सरकारी और दंगाई खबरें छापने वालों ने ‘इंडिया’ की राष्ट्रपति से मुलाकात को महत्व नहीं दिया

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
मीडिया Published On :


हत्यारे आरपीएफ कांस्टेबल की मानसिक स्थिति को लेकर विवाद, बीमारी गुप्त रखने की घोषणा और फिर आदेश वापस

 

अखबारों ने हद कर दी है। खबरों की परिभाषा ही बदल दी है। विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से मुलाकात की पर आज के अखबारों में इसकी खबर नहीं के बराबर है। इंडियन एक्सप्रेस ने इस खबर को पांच कॉलम में लीड बनाया है, चार कॉलम की फोटो छापी है। कोलकाता के द टेलीग्राफ ने इसे फोटो के साथ सिंगल कॉलम में छापा है और दाहिनी ओर के पूरे कॉलम में ऊपर से नीचे तक यही खबर है। नवोदय टाइम्स ने पहले पन्ने पर तीन कॉलम में फोटो और सूचना दी है। विस्तृत खबर अंदर है। इसके अलावा द हिन्दू, टाइम्स ऑफ इंडिया और अमर उजाला में यह खबर पहले पन्ने पर नहीं है। हिन्दुस्तान टाइम्स में यह खबर फोटो के बिना पहले पन्ने पर सिंगल कॉलम में है। 

कहने की जरूरत नहीं है और सबको पता है कि यह मुलाकात सरकार और संबंधित लोगों की शिकायत के लिए थी और भले राष्ट्रपति को कुछ करना नहीं है पर औपचारिकता तो थी ही और विपक्षी गठबंधन ने अगर प्रधानमंत्री से सरकार की शिकायत की है तो खबर है ही। पर पहले पन्ने पर नहीं छपी है लेकिन जो खबरें पहले पन्ने पर हैं उनकी बानगी देख लीजिये। एक-एक कर उन अखबारों की चर्चा करूंगा जिनमें राष्ट्रपति से विपक्षी नेताओं की मुलाकात की खबर नहीं है। मैं सिर्फ प्रमुखता से छपी खबर बता रहा हूं ताकि आपको अंदाजा लगे कि इस खबर को छोड़कर किस अखबार ने किस खबर को प्रमुखता दी है। आज उन अखबारों की भी खास खबरें  बताउंगा जिनमें ये खबर है और नहीं है।

 

1.अमर उजाला 

– तीसरे दिन भी हिंसा जारी, एसआईटी करेगी जांच 

– विपक्ष के हंगामे से नाराज स्पीकर बिरला नहीं बैठे आसान पर 

– ज्ञानवापी परिसर को सुरक्षित करने की मांग, सुनवाई कल 

– लंबे समय तक संबंध बनाने के बाद महिलाएं करा रहीं झूठे केस : हाईकोर्ट   

– सुप्रीम सवाल …. जम्मू कश्मीर में संविधान सभा नहीं तो कौन करेगा अनुच्छेद 370 हटाने की सिफारिश 

 

2.द हिन्दू 

– जीएसटी कौंसिल ऑनलाइन गेमिंग पर 28% टैक्स लेने की अपनी योजना पर बनी रही 

– धमकियों के बाद गुरुग्राम के झुग्गी झोपड़ी क्षेत्र से सैकड़ों भागे 

 

3.द टाइम्स ऑफ इंडिया

– मरने वाले छह हुए तो खट्टर ने कहा, दंगाइयों से वसूली होगी

 

4.नवोदय टाइम्स

– प्रधानमंत्री को उच्च सदन में आने का निर्देश नहीं दे सकते : धनखड़ 

– पूर्णेश मोदी पर न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग का आरोप 

 

5.द टेलीग्राफ 

– हमारे बच्चे क्या देख रहे हैं

इसके साथ कुछ लोगों की तस्वीर है जिनमें ज्यादातर बच्चे हैं और इस तस्वीर के कैप्शन के अनुसार, हरियाणा के नूंह में सांप्रदायिक हिंसा के बाद ये स्कूली बच्चे (बस्तों के साथ) बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को दिल्ली में एक प्रदर्शन के दौरान नारे लगाते हुए सुन रहे हैं।  

– प्रधानमंत्री के साथ एम्स सत्र ने मंत्री को ‘ठीक’ कर दिया। 

यह गुड़गांव के सांसद और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह से प्रधानमंत्री की मुलाकात की खबर है। इसमें बताया गया है कि मंत्रीजी अपने चुनाव क्षेत्र में एम्स के शिलान्यास के लिए प्रधानमंत्री को आमंत्रित करने गये थे। इससे पहले इंडियन एक्सप्रेस ने एक खबर छापी थी। इसके अनुसार उन्होंने पूछा था, धार्मिक जुलूस में तलवार और डंडे लेकर कौन जाता है। उन्होंने यह भी पूछा था कि जुलूस के लिए लोगों को हथियार किसने दिये थे। अखबार ने लिखा है कि प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद मंत्री जी के तेवर काफी ढीले पड़ गये थे। उन्होंने कहा, वीडियो से पता चलता है कि दोनों समुदायों के पास हथियार थे। इसलिए यह जांच का विषय है।  

– नूंह मार्च के लिए अनुमति की आलोचना 

– सत्यपाल मलिक ने चुनाव से पहले की अपनी आशंका सार्वजनिक की 

– एक अध्ययन से खुद को अलग करने की अशोका विश्वविद्यालय की जल्दबाजी 

इस अध्ययन का शीर्षक है, डेमोक्रैटिक बैकस्लाइडिंग इन द वर्ल्डस लार्जेस्ट डमोक्रेसी। इसमें 2019 की आम चुनाव की अनियमितताओं को दर्ज किया गया है। हालांकि इसमें यह डिसक्लेमर भी है कि इसका मतलब यह नहीं है कि किये गए परीक्षण फ्रॉड के सबूत हैं, न ही इसका मतलब है कि हेरा-फेरी बहुत व्यापक है।    

इंडियन एक्सप्रेस ने विपक्षी नेताओं की राष्ट्रपति से मुलाकात की खबर के साथ मणिपुर में निर्वस्त्र घुमाई गई महिलाओं में से एक के वीडियो की खबर भी दी है जिसमें सैनिक की पत्नी ने कहा है कि ‘ईश्वर के बनाए’ वीडियो के वायरल होने तक कोई उनकी बातों पर यकीन नहीं कर रहा था। अखबार की खबर के अनुसार तीन पीड़ित महिलाओं को सुरक्षित क्षेत्र में रखा गया है और उनतक पहुंच सीमित कर दी गई है। अखबार ने कुनो में एक और मादा चीता की मौत की खबर भी पहले पन्ने पर छापी है जो कई अखबारों में नहीं है। टाइम्स ऑफ इंडिया में पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर है। 

इंडियन एक्सप्रेस की पहले पन्ने की खबरों में एक विशेष खबर और है जो दूसरे अखबारों में नहीं है। यह है, उपहार हादसे के 26 साल बाद बिल्डिंग पर लगी सील हटाने का आदेश। इंडियन एक्सप्रेस में आज पहले पन्ने पर विज्ञापन नहीं है इसलिए और भी कई खबरें हैं जो दूसरे अखबारों में पहले पन्ने पर नहीं होती हैं। उदाहरण के लिए, एक खबर बताती है कि व्यवसायी गौरव डालमिया ने ठग संजय राय शेरपुरिया को 12 करोड़ रुपये दिये थे। यह ईडी से संबंधित मामले में सहायता के लिए था और अब ईडी ने अपने अभियोजन शिकायत में यह बात कही है। आज अखबार का पेज वन एंकर भी उन लोगों की आंखें खोलने वाला है जो अभी तक समझ रहे थे कि घृणा की राजनीति का असर उनपर नहीं होगा और दंगा आम लोगों को ही प्रभावित करता है। आप जानते हैं कि भाजपा की राजनीति और दंगाइयों को नियंत्रित न किये जाने के कारण गुड़गांव शहर में भी हिंसा पहुंच गई है। 

यहां कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के दफ्तर हैं और इनमें काम करने वाले उच्च वर्गीय लोग यहां रहते हैं। अंतरराष्ट्रीय माने जाने वाले इस शहर में पहले पानी भर जाता था अब दंगा हो रहा है और खबर के अनुसार नूंह में भीड़ के हमले के कारण जज और उनकी तीन साल की बेटी को छिपना पड़ा। इससे पहले आप पढ़ चुके हैं कि आरपीएफ के एक जवान ने चार रेल यात्रियों की हत्या कर दी और मोदी योगी का नाम भी लिया। उसे बचाने के लिए अब मानसिक रूप से कमजोर और बीमार कहा जा रहा है जबकि अगर ऐसा था तो उसकी ड्यूटी हथियार के साथ नहीं लगनी चाहिए थी। फिर भी लगी मतलब बीमारी दूर तक फैल चुकी है या फिर कोई साजिश है जो आम आदमी की हत्या का कारण बन रही है। अखबारों में खबरें नहीं छप रही हैं या जो छप रही हैं वो आपके सामने हैं। इसमें टाइम्स ऑफ इंडिया में पहले पन्ने से पहले के सिंगल कॉलम में छपी यह खबर उल्लेखनीय है कि रेलवे ने बुधवार को बयान जारी कर कहा कि हत्यारे कांसटेबल ने अपनी बीमारी और इलाज की बात गुप्त रखी थी और यह भी कि समय-समय पर होने वाली पिछली परीक्षा में ऐसी किसी बीमारी का पता नहीं चला था। पर घंटे भर बाद इस बयान को वापस ले लिया गया। 

यह खबर अंदर पेज 15 पर विस्तार से होने की सूचना है। अंदर इस खबर का शीर्षक है, उसने अंडकोश में दर्द की शिकायत की थी जिसे बहाना समझ कर खारिज कर दिया गया था। टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा है, अगर यह सही है कि आरपीएफ के जवानों की नियमित स्वास्थ्य जांच में मानसिक स्वास्थ्य की जांच नहीं होती है तो इसकी शुरुआत की जानी चाहिए। ऐसे में बीमारी छिपाने की खबर और उसे वापस लिए जाने से आप समझ सकते हैं कि क्या कुछ चल रहा होगा। द टेलीग्राफ ने भी इसे पहले पन्ने पर छापा है। ऐसे में हिन्दी अखबार  (पहले पन्ने पर) यह सब तो नहीं ही बतायेंगे पर यह जरूर बतायेंगे कि शोभा यात्रा और फिर अगले दिन तनाव फैला, हिंसा जारी, दिल्ली सतर्क आदि जैसी खबरें तो बतायेंगे पर यह नहीं बतायेंगे कि मस्जिद जला दी गई या इमाम को मार डाला गया या मणिपुर में 250 से ज्यादा चर्च जला दिये गये 60 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित है, शिविरों में रह रहे हैं लेकिन यह जरूर बताया गया था कि समुद्री तूफान बिपरजॉय से बचाने के लिए 50,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।   

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।

 


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