![](https://mediavigil.com/wp-content/uploads/2017/06/dddddd.jpg)
उर्मिलेश
आज ज्यादातर न्यूज चैनलों ने भीम आर्मी के नेता एडवोकेट चंद्रशेखर आजाद की गिरफ्तारी की खबर कुछ इस तरह पेश की: ‘भीम आर्मी का चीफ चंद्रशेखर गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस को उसकी काफी दिनों से तलाश थी।’
खबर की इन दो पंक्तियों में चंद्रशेखर को अनादर, हिकारत और ओछे ढंग से देखने और संबोधित करने का भाव साफ झलकता है, मानो वह कोई सामाजिक कार्यकर्ता और एक एडवोकेट न होकर एक अपराधी या असामाजिक तत्व हों! मजे की बात है कि हिंदी के बेहतर, टीआरपी के दबाव से कुछ मुक्त और अपेक्षाकृत ठीक-ठाक पत्रकारिता में यकीन रखने का दावा करने वाले एक बहुचर्चित न्यूज चैनल की 8 बजे की खबर भी आज कुछ इसी तरह की थी। क्या किसी दलित-बहुजन नेता या कार्यकर्ता को भारत का मुख्यधारा मीडिया (खासकर न्यूज चैनल) आज भी वाजिब सम्मान के साथ संबोधित करना नहीं चाहता?
मैं निजी तौर पर चंद्रशेखर को न तो जानता हूं और न कभी मिला हूं। पर मुझे लगता है, अशोक भारती और जिग्नेश मेवाणी जैसे नये सोच के दलित नेताओं की तरह चंद्रशेखर भी हमारे देश के सर्वाधिक उत्पीड़ित समुदायों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। वह वाजिब सम्मान के पात्र हैं। क्या ऐसा नहीं करने वाले चैनल अपनी अगली बुलेटिन में अपनी गलती के लिए माफी मांगकर अपने पेशेवर होने का सबूत देंगे?
(फेसबुक से)