अख़बारनामा: चुनाव प्रचार में गिनाई जा रही हैं बालाकोट की लाशें, बस तस्वीर नहीं है !

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प्रधानमंत्री और सेनाप्रमुख एक ही बात बोल रहे हैं 
एक को नभाटा ने छापा दूसरे को हिन्दुस्तान टाइम्स ने

संजय कुमार सिंह

आज के हिन्दुस्तान टाइम्स में पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ की फोटो के साथ एक खबर है। वायुसेना प्रमुख ने कहा, तीन कॉलम में तीन लाइन का इसका शीर्षक हिन्दी में कुछ इस तरह होगा, बालाकोट के सबूत हवा में तैर रहे हैं, पाकिस्तान देखना नहीं चाहता है। बेमौसम की इस खबर से मैं चौंक गया। खबर का शुरुआती हिस्सा पढ़ने से समझ में नहीं आया कि वायुसेना ने यह किस संदर्भ में कहां, किसके लिए कहा है। उल्लेखनीय है कि बालाकोट हमले के बाद वायुसेना प्रमुख प्रेस कांफ्रेंस कर चुके हैं और कह चुके हैं कि लाश गिनना उनका काम नहीं है (सरकार गिनती है)।

इसके बाद अब इसकी क्या जरूरत? पाकिस्तान ने इधर कुछ नया कहा भी नहीं है। हां, कल यह खबर जरूर दिखी थी कि पाकिस्तान पत्रकारों को बालाकोट ले गया था। क्या वायु सेना प्रमुख इससे बौखलाए हुए हैं। खबर पढ़ने से पता चला कि उन्होंने वही बातें दोहराई हैं कि हमने लक्ष्य साधा, इमारत गिरा दी आदि। पर इन बातों का ना पहले कोई मतलब था ना अब है। अगर चिन्हित किया गया लक्ष्य पुराना भवन था (जैसा स्वामीनाथन ए अय्यर ने टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित अपने कॉलम में हवाई हमले से पहले सरकार को सुझाव दिया था) या हमले के वक्त खाली था तो बिल्डिंग ही गिरेगी, मरेगा कोई नहीं। भले ही लक्ष्य भेद दिया गया हो। भारत सरकार की ओर से भारतीय मीडिया ने यह तर्क प्रस्तुत किया था कि हमले के वक्त वहां मोबाइल फोन काम कर रहे थे इसलिए वहां लोग थे और चूंकि हवाई हमले में कोई बच नहीं सकता इसलिए मर गए।

अब वायु सेना प्रमुख यह सब फिर क्यों दोहरा रहे हैं, मुझे समय़ में नहीं आया। और आज अभी तक यह किसी दूसरे अखबार में पहले पन्ने पर दिखी भी नहीं है। नवभारत टाइम्स की लीड जरूर इससे मिलती जुलती है। नभाटा में लीड का शीर्षक है, “पाक लाशें गिन रहा है, यहां सबूत मांग रहा विपक्ष : मोदी”। चुनावी भाषण में प्रधानमंत्री जो कहें, वही वायुसेना प्रमुख बोलें तो चिन्ता होना स्वाभाविक है। वायु सेना प्रमुख कह रहे हैं सबूत हवा में है और प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि पाकिस्तान हमले के इतने दिनों बाद, अभी तक लाशें गिन रहा है। मोटे तौर पर एक ही है। दूसरी ओर तस्वीरें अभी तक नहीं आई हैं। इतनी लाशें जो अभी तक गिनी जा रही हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मीडिया तस्वीर नहीं ले पा रहा है और भारतीय मीडिया में जो तस्वीरें छपी हैं वो पुरानी पाई गई हैं।

प्रधानमंत्री लोकसभा चुनाव के मद्देनजर चुनावी दौरे पर हैं और शुक्रवार को ओडिशा के कोरापुट में प्रदेश की नवीन पटनायक सरकार समेत कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को निशाने पर लिया और कहा, प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान लाशें गिन रहा है और ये लोग हमसे सबूत मांगते हैं।’ मैं प्रधानमंत्री के कहने पर सवाल नही उठा रहा हूं पर वायुसेना प्रमुख का यही बयान आज हिन्दुस्तान टाइम्स में कैसे है? यह हिन्दुस्तान टाइम्स ने भी नहीं बताया है। इस खबर पर राहुल सिंह की बाईलाइन है और वास्तव में एक्सक्लूसिव लग रही है। मुमकिन है इंटरव्यू हो पर लिखा नहीं है। यह अगर पेड नहीं है तो क्यों नहीं है – यह सवाल हिन्दुस्तान टाइम्स के शेयरधारकों को पूछना चाहिए।

इस खबर को इस सूचना के साथ देखिए कि ‘मिशन शक्ति’ को लेकर राष्‍ट्र के नाम संबोधन मामले में चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री को क्‍लीन चिट दे दी है। आयोग ने कहा है कि पीएम ने आचार संहिता का उल्‍लंघन नहीं किया है। चुनाव आयोग ने कहा है कि प्रधानमंत्री का संबोधन लाइव नहीं था और उसकी फीड एएनआई ने उपलब्‍ध कराई थी। इसलिए आधिकारिक रूप से मास मीडिया के दुरुपयोग के नियम यहां लागू नहीं होते। यहां उल्लेखनीय है कि एएनआई को प्लायबल कहने पर एडिटर्स गिल्ड को एतराज था। तथा एएनआई और दूरदर्शन मिलकर प्रधानमंत्री का संदेश प्रसारित करें तो (सरकारी) मीडिया का दुरुपयोग नहीं है। इसलिए संदेश प्रसारित करना सही है। आप जानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को मिशन शक्ति की कामयाबी से देश को अवगत कराने के लिए राष्ट्र को संबोधित किया था।

सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने सरकारी प्रसारण सेवा का इस्तेमाल करने के कारण इससे चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन होने का दावा करते हुए आयोग से इसकी शिकायत की थी। इस मामले में आचार संहिता के उल्लंघन से जुड़े विभिन्न पहलुओं की जांच के लिए गठित समिति की रिपोर्ट के आधार पर आयोग ने येचुरी की शिकायत को नामंजूर किया है। इस मामले में बहुत से सवाल अनुत्तरित हैं और कायदे से इंटरव्यू सीताराम येचुरी का होना चाहिए पर हो रहा है वायु सेना प्रमुख धनोआ से। यही है आज का मीडिया। आज के अखबारों में कई अलग और दिलचस्प खबरें हैं। मैं सबको पढ़ने और सबका प्लेसमेंट देखने में लगा रहा। इस चक्कर में तय नहीं कर पाया कि लिखना किसपर है। और क्या लिखा जाए। बाद में यही तय किया कि पाठकों को यह भी जानना चाहिए कि भले ही मैं अक्सर एक ही खबर की चर्चा करता हूं पर रोज कई खबरें होती हैं जो आपके अखबार आपको नहीं बताते या दबा छिपा देते हैं।

आज इन दो खबरों के अलावा तीसरी दिलचस्प खबर है आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद ट्रेन में यात्रियों को दिए जाने वाले चाय के कप में “मैं भी चौकीदार” का प्रचार। काठगोदाम शताब्दी एक्सप्रेस में यात्रियों को मैं भी चौकीदार वाले कप में चाय दी गई। इसकी शिकायत की गई तो रेलवे ने कप को वापस ले लिया। रेलवे की ओर से जारी बयान में कहा गया कि ऐसा होने की सूचना मिलने पर कप को हटा लिया गया। ठेकेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। गौरतलब है कि रेलवे में सरकारी दल का प्रचार किए जाने पर कार्रवाई ठेकेदार के खिलाफ हुई।

दूरदर्शन पर प्रधानमंत्री का संदेश प्रसारित हुआ पर उसे दूरदर्शन को ठेकेदार ने (यहां एएनआई पढ़ा जाए) दिया था इसलिए काररवाई की जरूरत नहीं है और प्रसारण आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है। मैं भी चौकीदार वाले कप के मामले में रेलवे के सुपरवाइजर के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है। मतलब जरूरत होती तो दूरदर्शन में भी किसी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाती पर प्रधानमंत्री का संदेश प्रसारित होना गलत नहीं है। इससे पहले रेलवे टिकट पर प्रचार था। फिर बोर्डिंग पास पर प्रचार था। मैंने खबरें पढ़ी नहीं क्योंकि कार्रवाई तो किसी ठेकेदार या निचले कर्मचारी पर ही होती है। पता नहीं इन मामलों में किसपर कार्रवाई हुई और हुई भी कि नहीं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। जनसत्ता में रहते हुए लंबे समय तक सबकी ख़बर लेते रहे और सबको ख़बर देते रहे। )