एक सहाराकर्मी के हवाले से….
इलाज ना हो पाने से एक और पत्रकार की मौत
बड़े दुख के साथ इत्तला कर रहा हूंं कि पत्रकार मोहम्मद अतहर, उम्र तक़रीबन 45 वर्ष, का इलाज की कमी और उनके संपादक के द्वारा दिये गये तनाव के कारण कल शाम हृदयाघात से इंतक़ाल हो गया। विडंबना ये है कि राष्ट्रीय सहारा उर्दू में कार्यरत मो.अतहर को इलाज के लिये 80,000 रुपये₹की आवश्यकता थी और इसके लिये उन्होंने सहारा प्रबंधन से लगातार निवेदन भी किया, लेकिन उनकी माँग अनसुनी कर दी गई।
ये बात सब को मालूम है कि सहारा प्रबंधन अपने कर्मचारियों को 12 महीने से वेतन नहीं दे रहा है और इस हिसाब से मरहूम मो.अतहर का लाखों रुपया सहारा के ऊपर बक़ाया है। वहीं दूसरी ओर प्रबंधन के वरिष्ठ लगातार कमीशनखोरी के एवज़ में लाखों के वारे-न्यारे कर रहे हैं।
आज पुरानी दिल्ली में मो. अतहर को सुपुर्द-ए-ख़ाक कर दिया जायेगा और हम किन्नर पत्रकारों की जमात सिर्फ़ ये कह कर मातमपुरसी कर लेगी कि…. ‘मर गया एक और पत्रकार’…भारत माता की… दिल ऐसे हालात में ‘जय’ बोलने की इजाजत नहीं दे रहा।
(वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व सहाराकर्मी महेंद्र मिश्र की फेसबुक दीवार से)