कुछ समय पहले तक राज्यसभा चैनल अपनी तरह का अकेला चैनल था। उसके कार्यक्रमों की गहराई अलग ध्यान खींचती थी और तमाम चैनलों की भीड़ में वह अकेला नज़र आता था। लेकिन 2014 के चुनाव के बाद इस चैनल पर “कांग्रेसी प्रचारक” होने का आरोप चस्पा करने का अभियान चला। निशाने पर चैनल के साथ-साथ उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी भी थे। चैनल के सीईओ गुरदीप सिंह सप्पल पर चैनल पर अनाप-शनाप ख़र्च और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया। यह सिलसिला वेंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति बनने के बाद ही थमा। इसी के साथ राज्यसभा चैनल की चमक भी धुमिल हो गई।
बहरहाल, अब हक़ीक़त सामने आ गई है। आरटीआई से पता चला है कि राज्यसभा टीवी पर लगाए गए ऐसे तमाम आरोप फ़र्ज़ी थे। क़रीब साल भर पहले चैनल के सीईओ पद से इस्तीफ़ा देने वाले गुरदीप सिंह सप्पल ने ख़ुद इसकी जानकारी अपने फे़सबुक पेज पर दी है। पढ़िए–
“मेरे कार्यकाल में राज्य सभा टीवी के बारे में बहुत कुछ ग़लत बातें कही गयीं। फ़ेक न्यूज़ और झूठे प्रचार की इंतहा की गयी। लेकिन मैंने हमेशा माना कि वक़्त ही इन सब का सही जवाब है।
क़रीब एक साल होने को है, जब मैंने राज्य सभा टीवी को छोड़ा था। अब एक RTI के जवाब में सब बातें साफ़ हो गयी हैं:
1. पहले दिन से ले कर अब तक राज्य सभा टीवी में कभी कोई भ्रष्टाचार की शिकायत नहीं हुई।
2. राज्य सभा टीवी के ख़िलाफ़ शुरू से अब तक कभी कोई जाँच के आदेश नहीं हुए।
3. शुरू से ले कर अब तक कभी भी राज्य सभा टीवी के ख़िलाफ़ कोई भी ऑडिट पैरा किसी भी CAG रिपोर्ट में नहीं है।
4. फ़ालतू ख़र्च के आरोप अनर्गल थे। ₹1700 करोड़ का ख़र्च कभी हुआ ही नहीं था। सात साल में केवल ₹345 करोड़ ख़र्च हुए हैं। साथ ही ये ख़बर चलाने वाले मीडिया समूहों को राज्य सभा से माफ़ी माँगनी पड़ी।
5. हमारा सालाना बजट भी ज़्यादा नहीं था। मेरे समय में आख़िरी दो साल में क़रीब ₹70 सालाना ख़र्च था। मेरे छोड़ने के बाद, वर्ष 2017-18 में क़रीब ₹85 करोड़ का ख़र्च रहा। और वर्ष 2018-19 में ₹100 करोड़ से ज़्यादा का बजट रखा गया है।
अब वे सब जिन्होंने हमारे ख़िलाफ़ झूठा प्रचार किया था और फ़ेक न्यूज़ चलायी थी, क्या वे माफ़ी माँगेगे?”