खबर से नाराज़ तीस्‍ता ने भेजा The Hindu को पत्र, कहा माफी मांगो वरना जाएंगे PCI

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सामाजिक कार्यकर्ता तीस्‍ता सीतलवाड़ और जावेद आनंद ने 4 फरवरी, 2017 को अंग्रेज़ी दैनिक दि हिंदू के पहले पन्‍ने पर प्रकाशित एक ख़बर पर आपत्ति जताते हुए अख़बार के संपादक के नाम एक पत्र भेजा है। उन्‍होंने कहा है कि पत्रकारिता के पेशेवर मानकों के हित इस गलत खबर के लिए माफी मांगी जाए और इसका खंडन किया जाए। अगर ऐसा नहीं किया गया तो वे अखबार के खिलाफ़ प्रेस परिषद में शिकायत लेकर जाएंगे।

दि हिंदू के संपादक के नाम तीस्‍ता सीतलवाड़ और जावेद आनंद का 4 फरवरी, 2017 को लिखा पत्र

सेवा में,
संपादक,
दि हिंदू

आज शनिवार 4 फरवरी को दि हिंदू के कई संस्‍करणों में पहले पन्‍ने पर प्रकाशित और सोनल सैगल द्वारा लिखित पूरी तरह एकतरफ़ा रिपोर्ट से हम सदमे में हैं जिसका धृष्‍टतापूर्ण शीर्षक है- ”तीस्‍ता, जावेद गॉट 290,000 डॉलर: सीबीआइ चार्जशीट”
इस रिपोर्ट में प्रत्‍यक्ष रूप से जो पक्षपात किया गया है, वह इसी विषय पर राष्‍ट्रीय मीडिया में अन्‍यत्र छपी ख़बरों से स्‍पष्‍ट होता है। इस मामले के तथ्‍य निम्‍न हैं:

1. रिपोर्ट का ”पेग” यह है कि तीस्‍ता सीतलवाड़ और जावेद आनंद व उनकी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी सबरंग कम्‍युनिकेशंस एंड पब्लिशिंग प्राइवेट लिमिटेड (एससीपीपीएल) के खिलाफ दिसंबर 2016 में सीबीआइ द्वारा दायर चार्जशीट के मामले में मुंबई की महानगरीय दंडाधिकारी की अदालत ने दोनों को नियमित ज़मानत दे दी है। हिंदू की रिपोर्ट में एक शब्‍द भी इस बात पर नहीं है कि अदालत ने कल ही ज़मानत मंजूर की है।

2. कल दिन भर अदालत में तीस्‍ता सीतलवाड़ और जावेद आनंद समेत राष्‍ट्रीय मीडिया भी मौजूद रहा। कई पत्रकारों ने दोनों ने उनका पक्ष जानने के लिए बात की लेकिन हिंदू के पत्रकार ने बात नहीं की। यह दूसरे अखबारों में प्रकाशित खबरों में साफ दिखता है।

3. यह ज़ाहिर है कि दि हिंदू ने कल की ज़मानत सुनवाई का संदर्भ तीस्‍ता सीतलवाड़ और जावेद आनंद को निजी रूप से नुकसान पहुंचाने के लिए इस्‍तेमाल किया है। कंपनी एससीपीपीएल ने फोर्ड फाउंडेशन से 2004-09 के दौरान एक कंसल्‍टेंसी के लिए 290,000 डॉलर की राशि प्राप्‍त की थी। उससे पहले कंपनी ने कानूनी सलाह ले ली थी कि कंसल्‍टेंसी शुल्‍क एफसीआर कानून के दायरे में नहीं आता है। कंपनी को कंसल्‍टेंसी के एवज में दी किस्‍तों में से फोर्ड फाउंडेशन साल दर साल टीडीएस काटता रहा। इन तथ्‍यों को तोड़-मरोड़ कर इस रूप में रखना कि ”तीस्‍ता, जावेद को निजी रूप से यह राशि मिली”, दुष्‍प्रचार और दुराग्रह के अलावा कुछ नहीं है।

4. यह बात सबको अच्‍छे से पता है कि सीबीआइ की मदद से पहले गुजरात की सरकार और अब केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा बरसों से तीस्‍ता सीतलवाड़ और उसके बाद जावेद आनंद को लगातार सताया जाता रहा है क्‍योंकि सिटिजंस फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) के सचिव के बतौर उन्‍होंने 2002 के दंगों में बचे लोगों को इंसाफ दिलवाने का लगातार प्रयास किया है। कुछ हफ्ते पहले ही हिंदू में छपी यह रिपोर्ट चार्जशीट के पीछे की परिस्थितियों को दर्शाती है। इसीलिए यह और ज्‍यादा चौंकाने वाली बात है कि मीडिया में कायदे की प्रतिष्‍ठा रखने वाला हिंदू एक ऐसी गैर-पेशेवर खबर को छापे जो वास्‍तव में प्रतिशोध ले रही सरकार के हितों के अनुकूल जा ठहरे।

5. पेशेवर पत्रकारिता के मानकों के हित हम तत्‍काल एक माफीनामे और खंडन का अनुरोध करते हैं।

तीस्‍ता सीतलवाड़, जावेद आनंद