केरल में एनडीए के उपाध्यक्ष और बीजेपी सांसद राजीव चंद्रशेखर व अर्णब गोस्वामी के चैनल ‘रिपब्लिक’ की वरिष्ठ संवाददाता श्वेता कोठारी ने लगातार छह महीने तक घोर बेइज्जती और शर्मिंदगी झेलने के बाद शुक्रवार को चैनल से इस्तीफ़ा दे दिया। उन्होंने इसकी सूचना अपने ट्विटर खाते पर देते हुए अपने इस्तीफ़े पर एक नोट पोस्ट किया है जिसमें संस्थान और उसके संपादकों समेत गोस्वामी पर अपनी जासूसी करने और निराधार तरीके से पदावनत करने व प्रताडि़त करने के संगीन आरोप लगाए हैं।
Statement- Why I resigned from Republic TV. pic.twitter.com/woTClAVICT
— Shweta Kothari (@Shwkothari) October 13, 2017
कोठारी के मुताबिक बीते 30 अगस्त को उनके रिपोर्टिंग मैनेजर (एक संपादक जिसका नाम नहीं लिया है) ने उनके पास आकर बताया कि अर्णब गोस्वामी उन्हें कांग्रेसी नेता शशि थरूर का प्लांट किया हुआ जासूस समझते हैं जिसकी वजह यह है कि थरूर उन्हें ट्विटर पर फॉलो करते हैं। उन्हें यह भी बताया गया कि कुछ साल पहले change.org पर शशि थरूर को लेकर चले एक पिटीशन पर उन्होंने दस्तखत किया था जो संदेह को और मज़बूत करता है।
अगले दिन उन्हें यह कहानी यह पता चली कि उनके रिपोर्टिंग मैनेजर ने उनके सोशल नेटवर्किंग प्रोफाइल का सघन परीक्षण करने के बाद खुद ही संदेह ज़ाहिर किया था कि वे थरूर की जासूस हो सकती हैं और यह बात मैनेजर ने गोस्वामी को भी बताई।
इसके बाद श्वेता की शर्मिंदगी का दौर शुरू हुआ। उनसे उनके वित्तीय काग़ज़ात मांगे गए ताकि यह जांचा जा सके कि कहीं वे थरूर से पैसे तो नहीं खा रही हैं। इसके अलावा उनके सहकर्मियों से भी उनके बारे में पूछताछ की गई। यहां तक कि ट्विटर पर लगी उनकी आवरण तस्वीर को भी संस्थान के प्रति वफादारी न बरतने के सबूत के तौर पर पेश किया गया, जो महज एक कविता है।
श्वेता ने जब यह मसला सितंबर के अंत में अर्णब के सामने उठाया तो उन्हें कोई ठोस जवाब नहीं मिल सका। वे लिखती हैं कि ऐसा पहली बार रिपब्लिक में नहीं हो रहा था। उनसे पहले भी कई सहयोगियों को इससे बुरा बरताव झेलना पड़ा था। वे 30 मई 2017 की एक घटना का उल्लेख करती हें जब उन्होंने किसी स्टोरी के लिए एक एसएचओ का स्टिंग किया था। शाम सात बजे उनके संपादक ने उन्हें कॉल कर के आरोप लगाया कि वे एसएचओ के साथ ‘फ्लर्ट’ कर रही थीं। जब उन्होंने इस पर एतराज़ जताया, तो संपादक ने धमकी दी कि वह उस संवाद को सार्वजनिक कर देगी और उनका करियर तबाह कर देगी।
अभी पांच दिन पहले इस सिलसिले में आखिरी निर्णायक घटना हुई जब 9 अक्टूबर को उन्हें भोर में डेढ़ बजे स्पेशल प्रोजेक्ट्स की टीम से ही हटा दिया गया। जब उन्होंने इसके पीछे की वजह जाननी चाही तो उनके रिपोर्टिंग मैनेजर का बेतुका जवाब मिला, ”तुमसे बात करना मेरी प्रतिष्ठा के खिलाफ है।” इस मसले को उन्होंने जब अर्णब के सामने उठाया तो फिर कोई जवाब नहीं मिला।
श्वेता कहती हैं कि इससे पहले भी वे दो बड़े संस्थानों के साथ काम कर चुकी हैं लेकिन ऐसा घटिया और प्रतिशोधपूर्ण माहौल कहीं नहीं मिला।
वे अंत में लिखती हैं कि उनके कई सहयोगियों ने यह घटनाक्रम लिखने से उन्हें हतोत्साहित किया था कि कहीं उनका करियर न खराब हो जाए, लेकिन पत्र की आखिरी पंक्ति में उनका शानदार जवाब दर्ज है, ”बहुत संभव है ऐसा हो जाए, लेकिन आज अगर मैं चुप रही तो मेरे पत्रकार होने का अर्थ ही क्या है?”
बता दें कि श्वेता कोठारी वही पत्रकार हैं जिन्होंने रिपब्लिक चैनल के शुरुआती दिनों में परमाणु ऊर्जा विरोधी कार्यकर्ता एसपी उदयकुमार के घर पर स्टिंग किया था, जासूसी की थी और उदयकुमार को विदेशी एजेंट ठहराने वाली स्टोरी की थी। इसके लिए श्वेता अपना नाम बदलकर वहां छात्रा बनकर गई थीं। बाद में उदयकुमार ने प्रेस काउंसिल को इस संबंध में एक पत्र लिखकर शिकायत की थी कि कैसे रिपब्लिक चैनल आंदोलनकारियों को प्रताडि़त कर रहा है।
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