पत्रिका समूह द्वारा संचालित समाचार वेबसाइट कैच न्यूज़ डॉट कॉम की एडिटर-इन-चीफ़ शोमा चौधरी को प्रबंधन द्वारा बिना कारण बताए बरखास्त किए जाने के बाद आज शाम संपादकीय स्टाफ के साथ अंतिम मुलाकात करने से भी रोक दिया गया। शोमा चौधरी को एक नाटकीय घटनाक्रम में शनिवार 27 फरवरी को मुख्यालय जयपुर तलब किया गया और कहा गया था कि वे 29 फरवरी से दफ्तर आना बंद कर दें क्योंकि पत्रिका को उनकी सेवाओं की अब ज़रूरत नहीं है, चूंकि ”कैच को कामयाबी के साथ स्थापित किया जा चुका है”।
शोमा ने जयपुर से लौटने के बाद संपादकीय विभाग के अपने कर्मियों को एक आंतरिक मेल भेजा था जो सोमवार की सुबह कई जगह प्रकाशित हुआ था। उसमें उन्होंने प्रबंधन के इस कदम को ”नाइंसाफी” करार देते हुए कहा था कि वे संपादकीय टीम को सोमवार की शाम चार बजे संबोधित करेंगी। अंग्रेज़ी और हिंदी कैच टीम के तमाम सदस्य शाम 4 बजे जब दिल्ली के कुतुब इंस्टिट्यूशनल एरिया स्थित दफ्तर पहुंचे, तो उन्हें पता चला कि बैठक नहीं होगी क्योंकि शोमा को इसके लिए मना किया गया है।
उन्हें निकाले जाने को लेकर लगातार अटकलें लगाई जा रही हैं, लेकिन ट्विटर पर ट्रेंड कर रहे हैशटैग #CatchNews पर आ रहे संदेशों से एक अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इस कदम के पीछे कोई राजनीतिक दबाव काम कर रहा था। जयपुर में पत्रिका के साथ काम कर चुके एक वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं, ”यह वेबसाइट जब शुरू हुई थी तब मैंने कुछ लोगों से कहा था कि पत्रिका समूह इसे झेल नहीं पाएगा और साल होते-होते इसका हश्र देखिएगा। शुरुआत हो चुकी है।”
पत्रिका प्रबंधन को करीब से जानने वाले पत्रकार बताते हैं कि राज्य में भले ही यह अख़बार वसुंधरा राजे की सरकार की आलोचना कर दे, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ़ यह नहीं जा सकता। जिस तरीके से कैच ने पिछले दिनों जेएनयू प्रकरण पर केंद्र की भाजपा सरकार और संघ के खिलाफ रिपोर्टिंग की है, बहुत संभव है कि शोमा चौधरी को निकाला जाना उसी का परिणाम हो।
पत्रिका समूह के मालिक गुलाब कोठारी के संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ करीबी रिश्ते जगजाहिर हैं। ध्यान रहे कि बिहार चुनाव के दौरान भागवत ने आरक्षण की समीक्षा संबंधी जो विवादास्पद बयान दिया था, उसके पहले इस संबंध में कोठारी से उन्होंने बाकायदा चर्चा की थी और एक साझा बयान जारी किया था जिसे राजस्थान पत्रिका के मुखपृष्ठ पर उकसाने वाली भाषा में प्रकाशित किया गया था। इस घटना पर कई संगठनों ने रोष भी जाहिर किया था। अभी कुछ दिनों पहले पत्रिका समूह ने दिल्ली में एक तीनदिनी कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें संघ के कई अहम नेता मौजूद थे।
शोमा चौधरी ने अपने सहयोगियों को जो मेल लिखा है, उसे नीचे पढ़ा जा सकता है:
प्रिय साथियों,
हमें कैच शुरू किए हुए सात महीने हो गए और हमने मीडिया का यह मंच जो सामूहिक रूप से खड़ा किया है उस पर मुझे बहुत गर्व है। आप जैसी बेहतरीन, कुशल और नौजवान टीम के साथ काम करना मेरे लिए इधर बीच का सबसे सुखद अनुभव रहा है। हमने काफी कुछ हासिल भी किया, फिर भी हम अभी उस सफ़र की शुरुआत में ही हैं जो मेरी परिकल्पना में एक बेहद संतोषजनक सामूहिक यात्रा रहने वाली थी।
कैच को बनाने की प्रेरणा यह थी कि हम सीमाओं का विस्तार कर सकें, खबरनवीसी की नई शैलियों को पत्रकारिता के पुराने मूल्यों के साथ मिलाने के नए तरीके ढूंढ सकें, यांत्रिकता को तोड़ सकें। अब भी इतने सारे विचार हैं जिन्हें शक्ल दी जानी बाकी है, जिन्हें उठाया जाना है, ऐसी तमाम खबरें जो अभी की जानी हैं।
मैं आपको खेद के साथ बताना चाहूंगी कि ऐसा लगता है आगे मैं इस सफ़र में आपका साथ नहीं दे पाऊंगी और टीम की अगुवाई नहीं कर पाऊंगी।
एक बेहद अप्रत्याशित घटनाक्रम में 27 फरवरी को मुझे वित्त निदेशक ने जयपुर बुलवाया और मुझे कहा गया कि चूंकि कैच सफलतापूर्वक स्थापित हो चुका है और अब स्थिर है, इसलिए पत्रिका मुझे आगे एडिटर-इन-चीफ बनाए रखने के हक में नहीं है। मुझसे सोमवार, 29 फरवरी से काम पर नहीं आने को कह दिया गया है।
यह कहना कि मैं इस एकतरफा व्यवहार से सदमे में हूं, पर्याप्त नहीं होगा। कैच कोई ऐसी संस्था नहीं थी जो पहले से चल रही हो और मैं वहां नौकरी करने आई थी। इसे मैंने सिफ़र से खड़ा करने में योगदान दिया था। इसलिए अचानक इससे अलग कर दिया जाना वास्तव में नाइंसाफी से कुछ भी कम नहीं है।
कैच आर्थिक रूप से पत्रिका की वेबसाइट है। इसलिए अनुबंध को समाप्त करना उनका अख्तियार है। फिर भी मैं टीम को आज शाम 4 बजे संबोधित करना चाहूंगी।
मालिक-संपादक के रिश्ते में आने वाले नियमित उतार-चढ़ाव के बावजूद पत्रिका, सिद्धार्थ, निहार और उनके परिवारों के साथ मेरे रिश्ते काफी मधुर थे और मैं उन्हें धन्यवाद देना चाहूंगी कि उन्होंने मुझे एक ऐसी चीज खड़ा करने का मौका दिया जिसे लेकर मुझे गर्व है। इसीलिए मैं इस घटनाक्रम से बहुत दुखी हूं और सदमे में भी हूं।
इस टीम के साथ काम करना काफी ऊर्जादायी, प्रेरक और जीवंत रहा। आपमें असीम संभावनाएं हैं। मुझे उम्मीद है कि पत्रिका आप सबका अंत तक साथ देगा।
मैं जानती हूं कि यह सूचना आप सबके लिए एक झटके की तरह है। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही है। काश, ऐसा नहीं हुआ होता।
अभिवादन सहित
शोमा