इंडिया टीवी के सर्वेसर्वा रजत शर्मा कभी एबीवीपी के नेता थे। अरुण जेतली के प्रिय साथी। यह संयोग नहीं कि मोदी सरकार आने पर उन्हें सीधे पद्मभूषण सम्मान से नवाज़ा गया जबकि संघप्रिय कहे जाने वाले रामबहादुर राय जैसे पत्रकार को पद्मश्री से ही संतोष करना पड़ा।
एबीवीपी का नारा है-ज्ञान, शील, एकता। लेकिन जब रजत शर्मा ने एक राष्ट्रीय चैनल को जन्म दिया तो ‘शील’ के नाम पर सेक्स समस्याओं और कुछ नामालूम नेताओं के अंतरंग रिश्तों के एमएमएस दिखाया। ‘ज्ञान’ का आलम यह है कि उनके चैनल ने सबसे पहले बताया कि एलियन धरती से गाय उठाकर ले जाते हैं और न जाने क्या क्या। जहाँ तक बात एकता की है तो जितने भी आग लगाऊ नेता हैं, वे उनके मशहूर ‘आप की अदालत’ कार्यक्रम में शामिल होकर बग़ैर कोई सज़ा पाये बरी होते रहे।
ग़ौरतलब है रजत शर्मा का पूर्वी उत्तर प्रदेश में ज़हर घोलने वाले महंत आदित्यनाथ से ख़ास अनुराग है। 2014 के चुनाव के पहले भी इंडिया टीवी ने उन्हें काफ़ी तवज्जो दी थी और अब 2017 के यूपी चुनाव को देखते हुए भी उन्हें बार-बार सामने लाया जा रहा है। इस बहाने ‘घर वापसी’ और ‘लव जिहाद’ जैसे मसलों पर अनाप-शनाप बोलते हुए महंत आदित्यनाथ घंटे भर तक अदालत में बैठे लोगों की तालियाँ बटोरते हैं (‘चुने’ हुए लोगों की यह तालियाँ देश भर की नुमाइंदगी करती हैं, टीवी का पर्दा यह छल रचता है) और अंत में रजत शर्मा शांति का उपदेश देने की औपचारिकता निभाकर उन्हें बाइज्ज़त जाने देते हैं।
अभी 16 जून का प्रसारित यह एपीसोड कई बार दिखाया गया। यह दरअसल आरएसएस की योजना का ही हिस्सा है। संघ प्रशिक्षित रजत शर्मा बड़े करीने से बीजेपी के ‘मिशन यूपी’ को आगे बढ़ाने में जुटे हैं। उनकी ख़ास कृपा असदउद्दीन ओवैसी जैसों पर भी रहती है। साफ़ समझ में आता है कि रजत शर्मा का दरअसल इरादा क्या है। तमाम अख़बारों और चैनलों में काम कर चुके वरिष्ठ पत्रकार नदीम.एस.अख़्तर ने भी अपनी फ़ेसबुक वॉाल पर कुछ लिखा है। पढ़िये—
”इंडिया टीवी पर रजत शर्मा वाले आप की अदालत प्रोग्राम में सांसद योगी आदित्यनाथ खुलेआम मुसलमानों के खिलाफ आग उगल रहे हैं। कह रहे हैं कि तुम एक मारोगे तो हम सौ मारेंगे। मुस्लिमों को हिन्दू धर्म में वापस लाएंगे, ये घर वापसी है।
और स्टूडियो में मौजूद जनता आदित्यनाथ की हर बात पे ताली पीट रही है। इनमें कम उम्र की युवतियां भी शामिल हैं। बड़ा अजब माहौल है। खुलेआम भारत के संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इस तरह के भड़काऊ बयान वाले प्रोग्राम को न्यूज के नाम पर प्रसारित करके Rajat Sharma जी क्या संदेश दे रहे हैं!!?? एडिटोरियल जजमेंट नाम की कोई चीज रह भी गई है कि नहीं इस देश में!!??
माना कि योगी आदित्यनाथ की जबान पे रजतजी का कंट्रोल नहीं लेकिन ऐसे भड़काऊ जहर उगलने वाले इंटरव्यू को प्रसारित किया जाए या नहीं, ये फैसला तो रजत जी ले ही सकते हैं। और मेरी ये जानने की तीव्र इच्छा है कि आदित्यनाथ के संविधान विरोधी बयानों पर स्टूडियो में ताली पीटने वाली जनता कहां से बुलाई गई थी? किसी हिंदूवादी संगठन से या फिर कहीं और से क्योंकि खून-खराबे की बात करने वाले गैरजिम्मेदार आदित्यनाथ की बातों पर ताली देश का कोई सामान्य नागरिक तो नहीं ही बजा सकता, ये कॉमन सेंस की बात है।
या फिर कहीं ऐसा तो नहीं कि सबकुछ प्रायोजित था!!?? हाथी के दांत दिखाने को और व खाने को और। क्यों रजत शर्मा जी!!??”
( नदीम.एस.अख़्तर )