राजस्‍थान में लाखों किसान सड़क पर, चौदह जिलों में चक्‍का जाम लेकिन टीवी चैनल बेख़बर

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राजस्‍थान के 14 जिलों के लाखों किसान अपना मांगों को लेकर सड़क पर हैं और प्रशासन से सीधी मुठभेड़ लेने को तैयार हैं। सोमवार को वार्ता की उम्‍मीदें विफल होने के बाद अखिल भारतीय किसान महासभा ने पूरे राज्‍य में किसानों द्वारा मंगलवार को चक्‍का जाम करने का आह्वान किया है। आंदोलन के केंद्र सीकर जिले की कृषि उपज मंडी में सोमवार तक जो हज़ारों किसानों ने पड़ाव डाल रखा था, उन्‍हें कलक्‍टर के दफ्तर नहीं जाने दिया गया तो वे जयपुर-सीकर हाइवे को जाम कर के बैठ गए हैं। बाकी संपर्क मार्ग भी जाम कर दिए गए हैं। आंदोलन का दूसरा बड़ा केंद्र बीकानेर है। इसके बाद झुंझनू, नागौर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, अलवर, जयपुर, डूंगरपुर, उदयपुर व अन्‍य जिलों में भी किसान आंदोलित हैं। इन किसानों की कोई भी ख़बर टीवी चैनलों ने अब तक नहीं चलाई है।

स्‍थानीय अख़बारों और वेबसाइटों पर राजस्‍थान का किसान आंदोलन भले दो दिन से दिख रहा है, लेकिन टीवी चैनलों ने इसे पूरी तरह नजरंदाज कर दिया है। यह स्थिति 11 दिनों से लगातार बनी हुई है लेकिन कहा जा रहा है कि मंगलवार को यह तनाव का रूप ले सकती है। मीडियाविजिल से बातचीत में अखिल भारतीय किसान महासभा के राजस्‍थान प्रमुख संजय माधव ने कहा, ”फिलहाल तो हम लोग चुपचाप पड़ाव डाले हुए हैं और चक्‍का जाम है। गांवों के रास्‍ते भी बंद कर दिए गए हैं। अगर पुलिस कोई कार्रवाई करती है तो तब का तब देख जाएगा।”

सोमवार को सीकर जिले में करीब 150 स्थानों पर चक्का जाम किया गया। चक्का जाम के बाद दोपहर को जिला कलेक्टर द्वारा किसान महासभा को जयपुर में मंत्री समूह से वार्ता करने का प्रस्ताव भेजा गया, जिस पर चर्चा करके पूर्व विधायक और महापड़ाव की अगुवाई कर रहे कामरेड अमराराम ने जयपुर जाकर मंत्री समूह से वार्ता करने से इंकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने कहा कि अगर मंत्री समूह को सोमवार को ही चर्चा करनी है तो वे सीकर आ जाएं बाद में किसान महासभा और मंत्री समूह के बीच मंगलवार को वार्ता होने पर सहमति बनी। अब किसान महासभा के 11 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल के साथ चार मंत्रियों का समूह किसानों की मांगों को लेकर वार्ता करेगा।

किसान नेता और पूर्व विधायक अमराराम ने साफ कर दिया कि अगर सरकार ने उनकी स्वामीनाथन आयोग की शिफारिशों सहित किसानों के कर्ज माफी की मांग नहीं मानी तो उनका महापड़ाव जारी रहेगा। सोमवार के चक्का जाम के बाद अमराराम ने मंगलवार को पूरे राजस्थान में चक्का जाम का आह्वान किया है।

 

अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड रूलदू सिंह ने सोमवार को झुंझुनू में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की किसान महारैली व विरोध सभा को संबोधित किया। कामरेड रूलदू सिंह ने देश में व्याप्त कृषि संकट व किसान आत्महत्याओं के भयानक दौर पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मोदी सरकार को झूठे वादों की बजाय किसानों के तमाम कर्ज माफ कर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू कर किसानों की फसलों की लागत का डेढ गुणा भाव दे तथा देशी गायों को छोड़कर विदेशी नस्ल की गायों को जो वास्तव में गाय नही हैं जो बेकार हैं उनके वध पर लगी रोक हटायें जिससे किसानों की फसलों को आवारा पशुओं से बचाई जा सके तथा किसानों के पशुधन की कीमत उठ सके।

11 सितंबर की विरोध सभा की अध्यक्षता कामरेड रामचंद्र कुलहरि ने की। वक्ताओं के भाषण के बाद अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की संयोजन समिति ने मंगलवार को राज्यव्यापी चक्काजाम के तहत जिला में सुबह 8 बजे से अनिश्चितकालीन चक्काजाम करने का निर्णय किया। अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड रूलदू सिंह के साथ राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य कामरेड गुरुनाम सिंह, किसान नेता कामरेड बलकरण बली एडवोकेट भी थे।

 

किसानों का कर्ज माफ करने, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने की मांग को लेकर राजस्थान के श्रीगंगानगर जिला मुख्यालय स्थित गंगासिंह चौक पर किसानों ने सभा किया। इस मौके पर जय किसान आंदोलन के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि श्रीगंगानगर का नाम किसान आंदोलन के लिए देश भर में चर्चा में रहता है। यहां के किसानों को फसलों का पूरा दाम नहीं मिल रहा है, कर्ज माफी नहीं होने के कारण देश के किसान की हालत बहुत खराब है।

डूंगरपर अखिल भारतीय किसान सभा के आह्वान पर किसान सभा व आदिवासी जन अधिकार एका मंच के नेतृत्व के कलेक्ट्री के बाहर अनिश्चितकालीन महापडाव आन्दोलन के 11वे दिन भारी संख्या मे किसानों ने पहुँच कर अपने मांग पत्र को क्लेक्‍टर को सौपा।

आदिवासी किसानो की प्रमुख मांगे: –

  1. किसानों के सभी सरकारी, साहूकारी,सहकारी कर्जे माप किए जाएं।
  2. स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिश के अनुसार फसल की 50 फीसदी मुनाफे पर सरकारी खरीद सुनिश्चित की जावे!
  3. फसल बीमा योजना को कम्पनियों के लिये लाभ का जरिया न बनाकर इसे किसानों के पक्ष मे मोडा जावे। फसल खराबी का मुआवजा तुरंत पूरा दो! दूध का स्थानीय वाजिब दाम दिलाने के लिये जिले मे डेयरी का विकास किया जावे।
  4. हर किसान को 5000 रूपया महिना पेशन दी जावे।
  5. राशन मे बन्द कर दी गई चीनी व केरोसीन को वापस शुरू किया जाकर केरोसीन हर माह 10/-रूपया की कीमत पर 10 लीटर दिया जावे।
  6. किसानों के रीको, इंडस्ट्रियल कोरिडोर, शहरी विस्तार आदि के नाम पर ली जा रही जमीनो पर रोक लगाओ तथा हाइवे पर एवं शहर के आसपास वर्षो से काबिज किसानों की जमींनो को खाते करो तथा जंगल की जमीन पर कब्जो को खाते करो।
  7. साल मे 200 दिन का काम व 300/- रूपया दैनिक मजबूरी दो। सारे बकाया पेमेन्ट तुरन्त करो! भूमिहिनो को जमीन दो।
  8. निजीकरण, वैश्वीकरण, उदारीकरण के कदमों को वापस लेते हुए केन्द्र व राज्य सरकार की नीतियो को 90 फीसदी लोगों के पक्ष मे मोडा जावे।
  9. राज्य मे सभी पढे लिखे प्रशिक्षित नौजवानो को रोजगार दो एंव वादे के अनुसार 15 लाख नौजवानों को सरकारी नौकरी दो। सबको सस्ती व सरकारी शिक्षा सुलभ कराओ तथा बकाया छात्रवृत्तियों का भुगतान करो।