लखनऊ 7 मार्च 2017। रिहाई मंच ने मध्यप्रदेश के शाजापुर के जबड़ी स्टेशन पर ट्रेन में हुए विस्फोट को आंतकी घटना बताने की जल्दबाजी पर सवाल उठाए हैं। मंच ने इस घटना से कथित तौर पर जुड़े आतंकी की लखनऊ में एनकाउंटर में हत्या पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जब मूल घटना ही संदिग्ध है तो उसे अंजाम देने के नाम पर किसी की हत्या कैसे वास्तविक हो सकती है।
रिहाई मंच द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में मंच के महासचिव राजीव यादव ने कहा है कि भोपाल-उज्जैन पैसेंजर में हुए विस्फोट के घायलों ने कैमरे के सामने बताया है कि विस्फोट ट्रेन की लाईट में हुआ। वहीं जीआरपी एसपी कृष्णा वेणी ने भी अपने शुरूआती बयानों में विस्फोट की वजह शॉर्ट सर्किट बताया और यह भी स्पष्ट किया कि घटना स्थल से किसी भी तरह की विस्फोटक सामग्री या उसके अवशेष नहीं मिले हैं। लेकिन बावजूद इन तथ्यों के जिस तरह मध्य प्रदेश के गृहराज्य मंत्री भूपेंद्र सिंह द्वारा बिना किसी ठोस आधार के आतंकी हमला कहते ही पुलिस और मीडिया का एक हिस्सा इसे आतंकी विस्फोट बताते हुए सूत्रों के नाम पर अपुष्ट खबरें चलाने लगा, जिसमें कभी दावा किया गया कि विस्फोट सूटकेस में हुआ था तो कभी कहा गया कि इसे मोबाइल बम से अंजाम दिया गया, पूरे मामले को संदिग्ध बना देता है। उन्होंने कहा कि ये जल्दबजी साबित करती है कि इसकी आड़ में विस्फोट के तकनीकी कारणों को दबाकर इसे जबरन आतंकी घटना के बतौर प्रचारित कर उत्तर प्रदेश में भाजपा के पक्ष में मुस्लिम विरोधी माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है।
लखनऊ के ठाकुरगंज में मुठभेड़ में मारे गए कथित आतंकी सैफुल्लाह की हत्या पर सवाल उठाते हुए राजीव यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस और एटीएस ने इसे वास्तविक दिखाने के लिए इसे पहली ‘लाइव मुठभेड़’ बनाने की कोशिश तो की, लेकिन वो कुछ सवालों पर जवाब नहीं दे पा रही है जो इसे संदिग्ध साबित करते हैं। मसलन, पुलिस मारे गए कथित आतंकी का नाम सैफुल्लाह बता रही है और यहां तक दावा कर रही है कि उसने उसके चाचा से बात कराकर उसे सरेंडर करने के लिए भी मनाने की कोशिश की। लेकिन पुलिस यह नहीं बता पा रही है कि उसे कथित आतंकी का नाम कैसे पता चला? इसी तरह इस सवाल का भी कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है कि पुलिस को कथित आतंकी के चाचा का नाम और नम्बर कहां से मिला या किसने दिया? क्योंकि यह तो नहीं माना जा सकता कि पुलिस से मुठभेड़ करने वाले कथित आतंकी ने खुद मुठभेड़ के बीच में ही पुलिस को अपने चाचा का नाम बताया हो और उनका फोन नम्बर दिया हो।
रिहाई मंच लखनऊ के प्रवक्ता अनिल यादव ने कहा कि जिस भाषा का इस्तेमाल मुठभेड़ की खबरों के प्रसारण में कुछ टीवी चैनलों ने किया जिसमें बार-बार यह बताया गया कि आतंकी आईएसआईएस से जुड़ा है और वो घर के अंदर से ‘जिहाद’ की बात कर रहा है (आजतक), वो पूरे मामले को वास्तविक मुठभेड़ कम,राजनीतिक घटना ज्यादा साबित करती है। क्योंकि चैनल यह नहीं बता पा रहा है कि उसे कथित आतंकी के आईएसआईएस से जुड़े होने की जानकारी किसने दी और उसे कथित आतंकी की किस बात से पता चल गया कि वो ‘जिहाद’ की बात कर रहा है। उन्होंने कहा कि पुलिस और मीडिया जिस तरह के तर्क गढ़ कर इसे मुठभेड़ साबित करना चाहते हैं वो इसे भाजपा की चुनावी रणनीति का हिस्सा साबित करने के लिए पर्याप्त है।
रिहाई मंच नेता ने कहा कि मंच ने पहले ही आशंका व्यक्त कर दी थी कि चुनाव में भाजपा को दयनीय स्थिति से उबारने के लिए खुफिया और सुरक्षा एजेंसियां मोदी पर आतंकी हमले या मुठभेड़ का नाटक कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि छठवें चरण में मतदान से ठीक पहले मोदी की मऊ रैली के पहले भी खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों ने माहौल बनाया था कि मोदी पर रॉकेट लाँचर से अतंकी हमला होगा। जिसके वास्तविक लगने के लिए गुजरात में दो मुसलमानें को आतंकी बताकर पकडा़ भी गया। इसीतरह पहले चरण के मतदान से पहले भी अचानक से सूरत की पुलिस दिल्ली स्पेशल सेल के कथित सुराग के आधार पर मोहम्मद उस्मान नाम के व्यक्ति को पकड़ने के लिए संभल पहुंच गई और चुनाव तक वहीं डेरा डाले रही। लेकिन वहां जाटों ने इस साजिश की हवा निकाल दी थी। उन्होंने कहा कि अब अंतिम चरण में किसी भी तरह अपनी इज्जत बचाने के लिए मोदी ने फर्जी मुठभेड़ का नाटक खुफिया एजेंसियों ने करवा तो दिया है लेकिन उन्हें इसका कोई फायदा नहीं होने जा रहा है।
द्वारा जारी
अनिल यादव
प्रवक्ता रिहाई मंच लखनऊ