प्रभात की गिरफ्तारी के खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार को पहुंचीं दो और शिकायतें, वरिष्ठ पत्रकार सुनील कुमार और सीपीजे ने दर्ज कराई आपत्ति

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दैनिक ‘पत्रिका’ के दक्षिणी बस्तर संवाददाता व निर्भीक पत्रकार प्रभात सिंह की फर्जी मामलों में गिरफ्तारी के खिलाफ छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार सुनील कुमार ने शासन के जनसंपर्क निदेशक (डीपीआर) को एक शिकायत दर्ज कराई है। पत्रकारों के दमन से जुड़े मामलों की जांच के लिए शासन ने जो समिति बनाई है, डीपीआर उसके सदस्य भी हैं।

सुनील कुमार ने 24 मार्च को अपनी फेसबुक पोस्ट के माध्यम से सूचना दी है कि बीती शाम उन्होंने मुख्यमंत्री रमन सिंह से मुलाकात की और प्रभात की गिरफ्तारी के संबंध मे तत्काल कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंने कहा है कि अपने व्यक्तिगत सरोकार के चलते उन्होंने मुख्यमंत्री से यह गुज़ारिश की है। वे लिखते हैं, ” मीडिया से जुड़े मामलों पर राज्यस्तरीय एक समिति के गठन के संदर्भ में मुख्यमंत्री ने कुछ और संपादकों समेत मुझे भी आमंत्रित किया था और मैं भी उस बैठक का हिस्सा था, इसलिए मैंने यह पहल की…।” समिति की बैठक दो-तीन दिनों में होनी तय है।

 

 

 

 

सुनील कुमार के अलावा अंतरराष्ट्रीय की संस्था कमेटी टु प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) ने भी 22 मार्च को जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ में प्रेस के लिए लगातार बिगड़ते जा रहे माहौल पर चिंता ज़ाहिर की है। बयान में प्रभात सिंह की तत्काल रिहाई की मांग की गई है और फर्जी मामलों में गिरफ्तार पत्रकारों संतोष यादव व सोमारू नाग समेत वरिष्ठ पत्रकार मालिनी सुब्रमण्यम और आलोक पुतुल के उत्पीडन का भी मुद्दा उठाया गया है।

गौरतलब है कि सीपीजे की एक टीम हाल ही में पत्रकारों की कार्य स्थितियों का जायज़ा लेने छत्तीसगढ़ आई थी जहां से लौटने के बाद यह बयान जारी किया गया है। इससे पहले कमेटी ने 19 जनवरी को राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह को एक पत्र भी भेजा था जिसमें संतोष यादव और सोमारू नाग की रिहाई की मांग की गई थी। इस पत्र की प्रति केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली, राजनाथ सिंह, सदानंद गौड़़ा, जुअल ओराम और छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री रामसेवक पैकरा को भी भेजी गई थी।