लातिन अमेरिकी देश चिली में चिली में मेंट्रो किराए में वृद्धि के बाद जारी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. वहां पिछले 6 अक्टूबर से सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शन चल रहा है. हिंसक विरोध प्रदर्शन को देखते हुए चिली के राष्ट्रपति ने राजधानी समेत पांच शहरों में शनिवार सुबह से आपातकाल लगा दिया है.
Troops descended on Santiago on Saturday after Chile’s President Sebastian Pinera declared a state of emergency amid a surge in violent protests over a hike in public transport fares https://t.co/jVfTs61kzg pic.twitter.com/u76lYKHztT
— Reuters (@Reuters) October 19, 2019
राष्ट्रपति सेबेस्टियन पिनेरा ने कहा, “मैंने आपातकाल की घोषणा कर दी है और हमारे देश के आपातकालीन कानून के प्रावधानों के अनुसार, मेजर जनरल जेवियर इटुरियागा डेल कैंपो को राष्ट्रीय रक्षा प्रमुख नियुक्त किया है.”
Chile protests: state of emergency declared in Santiago as violence escalates https://t.co/YfUf7ajbhD
— The Guardian (@guardian) October 19, 2019
इस हिंसक प्रदर्शन को समाप्त करने के लिए राष्ट्रपति पिनेरा ने विपक्षी दलों के साथ बैठक की है. पिनेरा ने एक बयान में कहा, “आपातकाल लगाने का मकसद बहुत सरल लेकिन बहुत गंभीर है : सैंटियागो के निवासियों के लिए सार्वजनिक व्यवस्था और शांति सुनिश्चित करना.”
VIDEO: Chilean riot police clash with demonstrators in the capital Santiago, as President Sebastian Pinera held a meeting with opposition leaders, aiming to find a way to end the violence that has claimed 15 lives pic.twitter.com/d0YBJC6k7A
— AFP News Agency (@AFP) October 23, 2019
इस हिंसक प्रदर्शन में अब तक 15 लोग मारे जा चुके हैं. बीते शुक्रवार को, प्रदर्शनकारियों की शहर के कई हिस्सों में दंगा पुलिस के साथ झड़प हुई और कई स्टेशनों पर हमलों के बाद मेट्रो सेवा को बंद कर दिया गया.शहर में कई जगहों पर हुई हिंसा के दौरान करीब 16 बसों को आग लगा दी गई और एक दर्जन मेट्रो स्टेशन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए.
Troops descended on Santiago on Saturday after Chile’s President Sebastian Pinera declared a state of emergency amid a surge in violent protests over a hike in public transport fares https://t.co/jVfTs61kzg pic.twitter.com/u76lYKHztT
— Reuters (@Reuters) October 19, 2019
अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि राष्ट्रपति पिनेरा को छात्रों,प्रदर्शनकारियों तथा सभी के मानवाधिकारों का सम्मान करना चाहिए. आपातकाल लगाना और सेना को सड़क पर उतारने से मानवाधिकारों के उल्लंघन में बढ़ोतरी होगी.
President Piñera must guarantee respect for human rights of students, protesters & everyone in #Chile. The decision to declare a state of emergency & deploy army to carry out law enforcement functions only increases risk of human rights violations. https://t.co/bJHn9SXyMD
— Amnesty International (@amnesty) October 22, 2019
आपातकाल की घोषणा के बाद सड़कों पर जन प्रदर्शनों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है. बावजूद इसके वहां प्रदर्शन जारी है.
Protests continue despite military curfew #Chile #Santiago pic.twitter.com/mhhZEpgl8M
— Ruptly (@Ruptly) October 23, 2019
आपातकाल घोषित किए क्षेत्रों में मेट्रोपॉलिटन रीजन (जहां सैंटिआगो स्थित है) तारापाका, एंटोफैगस्टा, कोक्विम्बो, वालपारासियो, मौले, कंसेप्सियन, बायो बायो, ओ-हिगिस, मैगलन और लॉस रियोस शामिल हैं.
Como assessor do PR, estou ajudando com questões técnicas do Chile. Esquerdalha dizendo que o Exército chileno está violentamente assassinando toda população. Recebi estas imagens. Viva a Internet livre, pois na mídia porca vocês nunca veriam isso. Polícia também está assim. pic.twitter.com/etJfg32kxf
— Arthur Weintraub (@ArthurWeint) October 23, 2019
दुकानों और शापिंग मालों में लूट शुरू हो चुकी है.चिली के संविधान के मुताबिक आपातकाल 15 दिनों से अधिक जारी नहीं रह सकता है.
Protests in #Chile continue alongside massive looting
Сourtesy: Dany Vasquez Huerta pic.twitter.com/CAJbGBFD8X
— RT (@RT_com) October 23, 2019
चिली में जो कुछ हो रहा है वह वॉल स्ट्रीट और आईएमएफ के इशारे पर काम करने वाली चिली सरकार की नवउदारवादी आर्थिक नीतियों का एक लक्षण है. चिली में अभी जो कुछ हो रहा है वो 1973 की अगस्तो पिनोचे की तानाशाही की याद दिलाता है जिसने सल्वाडोर अलांदे की तख्तापलट कर देश को बर्बाद कर दिया था. सल्वाडोर अलांदे दुनिया के पहले मार्क्सवादी राष्ट्राध्यक्ष थे. वे बदलाव लाना चाहते थे लेकिन कई लोगों को ये पसंद न था.
11 सितंबर 1973 को चिली के राष्ट्रपति सल्वाडोर अलांदे की मृत्यु एक सैन्य तख्तापलट अभियान के दौरान हो गई थी. वे दुनिया के पहले लोकतांत्रिक रूप से चुने गए मार्क्सवादी राष्ट्राध्यक्ष थे. 1970 में सत्ता संभालने के बाद उन्होंने चिली में कई आर्थिक सुधार किए. उनके सुधार कार्यक्रम में खनन उद्योग का राष्ट्रीयकरण भी शामिल था. राष्ट्रपति अलांदे का ये कदम विपक्ष और अमरीका की तत्कालीन सरकार को नागवार गुजरा था.