कोलकाता में 22 मई को वामपंथियों के प्रदर्शन के दौरान दर्जनों पत्रकारों की भी पिटाई हुई। इस घटना की गूँज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है। पिटाई की कड़ी निंदा करते हुए कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (सीपीजे) ने दोषी पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की माँग की है।
ग़ौरतलब है कि 22 मई को कोलकाता में वामपंथी दलों ने तमाम माँगों को लेकर सचिवालय का घेराव किया था। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर भारी बल प्रयोग किया जिससे तमाम वाम कार्यकर्ता घायल हैं। इस दौरान पुलिस ने वहाँ मौजूद पत्रकारों को भी नहीं बख्शा। प्रदर्शन को कवर कर रहे तमाम पत्रकारों को मारा-पीटा और जब उन्होंने इसके ख़िलाफ़ धरना दिया तो वहाँ से भी ज़बरदस्ती हटा दिया गया।
सीपीजे की ओर से जारी बयान के मुताबिक ईटीवी न्यूज़ चैनल के एक रिपोर्टर ने बताया कि “पुलिस ने दोपहर करीब 1 बजे कोलकाता प्रेस क्लब के पास लोगों को पीटना शुरू कर दिया। पुलिस प्रदर्शनकारियों और पत्रकारों में फ़र्क़ नहीं कर रही थी। वे बस लोगों को मार रहे थे। हम लोगों ने इसके ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण प्रदर्शन का फ़ैसला किया। क़रीब 2.30 बजे हम लोगों ने इकट्ठा होकर पूछा ही था कि पत्रकारों पर हमला क्यों हुआ कि एक वरिष्ठ पुलिस अफ़सर ने हमें डंडों से पीटने का हुक़्म दे दिया। ”
सीपीजे को एनडीटीवी की संपादक मोनादीप बनर्जी ने बताया कि ” एक टीवी रिपोर्टर मेयो रोड पर लाइव फोन इन दे रहा था, वहाँ मौजूद पुलिस अफसरों को उसकी बातें अच्छी नहीं लगीं। उन्होंने रिपोर्टर को धकेला और थप्पड़ मार दिया। पत्रकारों ने इसके विरोध में सड़क जाम किया अचानक पुलिस वाले उन पर टूट पड़े।”
अंग्रेज़ी अख़बार डीएनए ने लिखा है कि पुलिस की पिटाई और आँसू गैस से तमाम पत्रकार घायल होकर अस्पताल में पड़े हैं। फोटोपत्रकार तन्मय भादुरी आँसू गैस के असर में दस मिनट तक बेहोश पड़े रहे।
सीपीजे के एशिया प्रोग्राम समन्वयक स्टीवेन बटलर ने वाशिंगटन से बयान जारी करके कहा है कि “यह प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। जिस पुलिस अफसर के आदेश से पत्रकारों की पिटाई हुई उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए। पुलिस को पत्रकारों की सुरक्षा की ट्रेनिंग देनी चाहिए, ना कि उन पर हमला करने की।”
उधर, कोलकाता पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर सुप्रतिम सरकार ने सीपीजे को टेक्स्ट मैसेज भेजकर कहा है कि ‘पत्रकारों पर हमला निंदीय है। दोषी पुलिस अफसरों की शिनाख़्त के लिए जाँच के आदेश दे दिए गए हैं। ज़रूरी विभागीय कार्रवाई भी शुरू हो गई है।’
पत्रकारों का कहना है कि एक हफ़्ते में दूसरी बार कोलकाता पुलिस ने पत्रकारों पर हमला बोला है। बीती 16 मई को पार्क स्ट्रीट पर एक इमारत में लगी आग की कवरेज कर रहे फोटो पत्रकारों के ख़िलाफ़ भी पुलिस ने दुर्व्यवहार किया था।