ऊपर की तस्वीर में लाल झंडा लिए अगुवाई कर रही महिला, कॉमरेड सोहनी देवी हैं। वे जयपुर कूच कर रहे एक जत्थे की अगुवाई कर रही हैं। उनके पति और राजस्थान के मशहूर किसान नेता कॉमरेड अमरा राम जेल में हैं। सोहनी देवी जैसी तमाम किसान परिवारों की महिलाओं ने लालझंडा लेकर सीकर से जयपुर के बीच अपने नारों से तूफ़ान खड़ा कर दिया है। अफ़सोस कुछ दिन पहले ‘जौहर’ और पद्मावत वाले राजस्थान पर कुर्बान टीवी चैनलों में इसकी झलक भी शायद ही मिल पाए। ‘ललका झंडा और मोटका डंडा’ थामकर सड़क पर ‘जौहर’ दिखाती इन महिलाओं के सामने टीवी कैमरे जाएँ भी तो कैसे..
राजस्थान में लगभग 500 किसान नेता, युवा और छात्र जेल या हिरासत में हैं। वजह सिर्फ़ इतनी है कि सीपीएम से जुड़ी, अखिल भारतीय किसान सभा की ओर से 22 फरवरी को जयपुर में महापड़ाव का ऐलान किया गया था। महारानी वसुंधरा ने किसानों के साथ बीते सितंबर में किया वादे को तोड़ा है जिसे लेकर किसान अपना रोष जाहिर करना चाहते थे जो सरकार को बरदाश्त नहीं। याद होगा कि एक बड़े किसान आंदोलन के बाद सितंबर में 11 सूत्री समझौता हुआ था जिसमें हर किसान का 50 हज़ार तक क़र्ज माफ होना भी था।
आंदोलनकारियों का तर्क समझने के बजाय वसुंधरा सरकार दमन पर उतर आई है। 22 फरवरी के पड़ाव के पहले ही तमाम छापेमारी करके नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार कर लिया गया। इसने जैसे लोगों को खुली चुनौती दी और कहावत का इस्तेमाल करें तो किसान ‘अंडे-बच्चे समेत’ आंदोलन में उतर पड़े। ख़ासतौर पर महिलाओं की भागीदारी ग़ौर करने वाली है। इनमें कुछ तो घूँघट निकालकर निकली हैं, लेकिन मुट्ठियाँ तनी हुई हैं। सीकर से लेकर जयपुर तक किसानों ने जाम लगा दिया है। यही नहीं, नेताओं की रिहाई न हुई तो 24 फ़रवरी को पूरे राजस्थान में चक्का जाम का ऐलान किया गया है।
नीचे कुछ तस्वीरें और फ़ेसबुक टिप्पणियों से जानिए इस आंदोलन का रंग—