अंग्रेज़ी की पत्रिका आउटलुक के 8 अगस्त, 2016 के अंक में छपी आवरण कथा ”ऑपरेशन बेबी लिफ्ट” (हिंदी में प्रचलित ”बेटी उठाओ अभियान”) 29 जुलाई को सामने आने के बाद इस पत्रिका के प्रकाशक, संपादक समेत रिपोर्टर नेहा दीक्षित के खिलाफ़ हुई एफआइआर पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है।
रविवार 7 अगस्त को करीब सौ से ज्यादा लेखकों, बुद्धिजीवियों और पत्रकारों ने दीक्षित और आउटलुक पर आरएसएस के हमले के खिलाफ एक बयान जारी करते हुए इसकी निंदा की है और इसे प्रेस की आज़ादी पर हमला बताते हुए पुलिस केस वापस लेने की मांग उठायी है।
बयान पर वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन से लेकर ओम थानवी, अक्षय मुकुल, अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह, शबनम हाशमी, हर्ष मंदर, कविता कृष्णन, कविता श्रीवास्तव समेत तमाम सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं के दस्तखत हैं।
बयान में कहा गया है, ”मानव तस्करी की जांच शुरू करने के बजाय पुलिस ने उन लोगों के खिलाफ की गई भ्रामक शिकायत पर कार्रवाई करने को चुना है जिन्होंने इस अपराध का उद्घाटन किया। हम मांग करते हैं कि पुलिस उन लोगों के खिलाफ तत्काल आरोप दाखिल करे जो बाल तस्करी में संलिप्त हैं।”
स्वतंत्र पत्रकार नेहा दीक्षित ने तीन महीने की मेहनत और सघन शोध के बाद आउटलुक में आवरण कथा लिखी थी जिसमें बताया गया है कि आरएसएस से जुड़े संगठन किस तरह आदिवासी लड़कियों की तस्करी करने में संलिप्त हैं और उन्होंने तीन साल तक की छोटी बच्चियों समेत कुल 31 आदिवासी लड़कियों को असम से उठाकर पंजाब और गुजरात में भेजा है। रिपोर्ट कहती है कि इन संगठनों ने ऐसा करते हुए मानव तस्करी से जुड़े राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का जमकर उल्लंघन किया है जिसमें गुजरात और पंजाब सरकार की शह शामिल है।
रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद लतासील पुलिस थाने में एक शिकायत दर्ज करवायी गयी थी और बाद में पुलिस ने पत्रिका के प्रकाशक, संपादक और रिपोर्टर के खिलाफ एफआइआर दर्ज की थी।
इससे पहले भी 2013 में नेहा दक्षित को मुजफ्फरनगर पर लिखी अपनी स्टोरी के लिए उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा है।
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