रिलांयस के मालिक मुकेश अंबानी ने राघव बहल के नेटवर्क 18 पर क़ब्ज़ा कर लिया था। सामने 2014 का लोकसभा चुनाव था। चैनल को मोदीमय बनाने की तैयारी हो रही थी, लेकिन शायद नतीजे को लेकर पक्का यक़ीन नहीं था और ‘डंके की चोट पर’ की गूँज बाक़ी थी। ऐसे में समूह के हिंदी चैनल आईबीएन7 ने चुनाव भर के लिए, एनडीटीवी से नाता तोड़ चुके मशहूर टीवी ऐंकर विनोद दुआ के साथ एक कार्यक्रम का कॉन्ट्रैक्ट किया था। इस कार्यक्रम का नाम था ‘प्रश्नकाल’ जिसे विनोद दुआ शाम आठ बजे अपने ही अंदाज़ में पेश करते थे।
बहरहाल, मोदी जीत गए। 26 मई को उनका शपथ ग्रहण होना था। 22 मई को विनोद दुआ ने अपने कार्यक्रम में उनके नाम खुली चिट्ठी पढ़ी थी। यह चिट्ठी चार साल बाद भी मौज़ूँ हैं क्योंकि इसमें जताई गई तमाम आशंकाएँ सही साबित हुई हैं। मोदी सरकार के चार साल पूरा होने के मौक़े पर हो रहे धूम-धड़ाके के बीच इसे पढ़िए और गुनिए–
”जनाब नरेंद्र मोदी साहेब…26 मई को शपथ-ग्रहण समारोह होने जा रहा है। ये आपका निजी इवेंट नहीं है। ये देश के अगले प्रधानमंत्री के शपथ लेने का समारोह है। शपथ…जैसा कि हम सब जानते हैं हमारी सभ्यता और संस्कृति में एक पवित्र कसम होती है जिसका पालन ना करना एक नैतिक गुनाह माना जाता है।
शपथ की दूसरी शर्त होती है विनम्रता से अपने विश्वास को उस शपथ से बांधना, इसलिए विनम्र होकर इस देश की गरीब जनता जनार्दन की उम्मीदों पर खरे उतरें।
तीसरे, जीत में सिर्फ अहंकारी लोग अपना गुस्सा और ताकत जाहिर करते हैं। आपके बहुत से समर्थक और कार्यकर्ता ऐसा कर रहे हैं। चाहे ट्विटर हो…या फेसबुक, आपके बहुत से लोग गाली-गलौच पर भी उतर आए हैं। कृपया उनके नाम भी एक संदेश दें जैसे आप राष्ट्र के नाम संदेश देते रहेंगे।
चौथी और सबसे अहम बात…पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर डॉक्टर मनमोहन सिंह तक हर प्रधानमंत्री ने इस गलतफहमी में खुद को चने के झाड़ पर चढ़ाया है कि वो सिर्फ भारत का प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि वो विश्व का एक महान नेता है, जिसे अमेरिकी-रूसी और चीन के राष्ट्रपति के साथ शुमार किया जाना चाहिए क्योंकि भारत की असली जगह इनके साथ है…बस…कुछ साल की देर है।
इसी गलतफहमी में देश ने आजादी के 66 साल बिता दिए हैं। कृपया आप ये गलतफहमी ना पालें…आज भी भारत निर्धन व्यक्तियों से बसा हुआ एक धनवान देश है। आप एक ऐसे देश के प्रधानमंत्री बने हैं जहां गरीब से गरीब आदमी से भी टैक्स लिया जाता है। आपके पास अपना बहुमत है…सहयोगियों का साथ है…और सामने एक बेहद कमजोर विपक्ष है। कोई वजह नहीं है कि आप अपने किए हुए वायदे पूरे ना कर पाएं। बस गलतफहमियों से सावधान रहें…शुभस्ते पंथान: सन्तु। ”
यह कार्यक्रम अभी यूट्यूब पर मौजूद है। आप यहाँ क्लिक करके इसे देख सकते हैं। विनोद दुआ की चिट्ठी कार्यक्रम के अंत में है।