ज़ी न्यूज़ के शो “फ़तेह का फ़तवा” के ख़िलाफ़ दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सूचना प्रसारण मंत्रालय को नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता हिफ़जुर्रहमान ने इस शो को भड़काऊ बताते हुए इस पर तुरंत रोक लगाने की माँग की थी। उनकी यह भी माँग थी कि यूट्यूब से भी इस शो के तमाम टुकड़ों को हटाया जाए। आरोप है कि यह शो मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुँचाता है और समाज में सांप्रदायिक विद्वेष फैलाता है। इससे देश का माहौल ख़राब हो रहा है।
याचिकाकर्ता के वकील मो.फ़रहान ख़ान ने बताया कि इस मामले में हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश जी.रोहिणी ने भारत सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय को नोटिस जारी किया है। अगली सुनवाई 1 मई को होगी। उनका ये भी कहना है कि वे इस शो पर अंतरिम स्टे के लिए जल्द ही और याचिका दायर करेंगे क्योंकि इस शो का रुकना मुल्क के अमन चैन के लिए बेहद ज़रूरी है।
गौरतलब है कि तारिक फ़तेह पाकिस्तानी मूल के लेखक और विचारक हैं। उनके प्रशंसकों का कहना है कि वे इस्लाम की उदारवादी व्याख्या करते हैं जिससे कट्टरपंथी नाराज़ हैं। लेकिन विरोधियों का कहना है कि वे दरअसल भड़काने का काम करते हैं। उनके पास पाकिस्तान के अनुभव हैं, लेकिन भारत का परिवेश अलग है। यहाँ का मिज़ाज अलग है। उनका अंदाज़ भड़काऊ है। अगर वे वाक़ई कट्टरपंथियों से बहस करना चाहते हैं, तो पाकिस्तान बेहतर जगह थी,लेकिन वे वहाँ से भाग निकले।
आरोप ज़ी न्यूज़ पर भी है कि वह तारिक फ़तेह को सामने करके दरअस्ल भड़काऊ बहसें दिखा रहा है। सीधा मक़सद टीआरपी बटोरना है। प्रकारांतर में यह बीजेपी के राजनीतिक मक़सद के लिहाज़ से माहौल बनाने की कोशिश है। कुछ मौलानाओं को बटोरकर उन मुद्दों पर बहस कराई जाती है जो मुसलमानों का स्टीरियोटाइप गढ़ती हैं। सवाल शो के नाम पर भी है। इस्लाम के जानकारों के मुताबिक फ़तवा केवल मुफ़्ती जारी कर सकते हैं,कोई और नहीं। फ़तवा का अर्थ किसी मुद्दे पर राय देना होता है। तारिक़ फ़तेह मुफ़्ती नहीं हैं, लिहाज़ा वे फ़तवा नहीं जारी कर सकते।
लेकिन ज़ी न्यूज़ को इस महीन बात से मतलब नहीं है। वह एक मोटी बात समझता है कि उसके मालिक सुभाषचंद्रा बीजेपी की ओर से अब राज्यसभा सांसद हैं और जो बीजेपी को पसंद हो, उसे वही बात करना है।