कासगंज हिंसा के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेजी गई एक शिकायत पर संज्ञान लेते हुए आयोग ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट मंगवाई है। आयोग को भेजी गई शिकायत में जो तीन मुद्दे उठाए गए हैं, उनमें एक मीडियाविजिल पर छपी कासगंज केंद्रित ज़मीनी रिपोर्ट के हवाले से है जिसमें कहा गया था कि उत्तर प्रदेश शासन, यूपी पुलिस और केंद्रीय गृहमंत्री को सांप्रदायिक घटना के बारे में पांच दिन पहले ही आगाह कर दिया गया था।
मानवाधिकार जन निगरानी समिति (पीवीसीएचआर), वाराणसी के प्रमुख डॉ. लेनिन रघुवंशी ने 29/01/2018 को आयेाग में शिकायत भेजी कि कासगंज स्थित पीवीसीएचआर के दफ्तर से जुड़े चार व्यक्तियों राहुल यादव, अतुल यादव, निशांत यादव और उनके पिता राजू यादव को पुलिस ने गैर-कानूनी तरीके से हिरासत में ले लिया है। शिकायत में कहा गया है कि रेलवे रोड साहब बाला पेंच, कासगंज निवासी ये चारों व्यक्ति उन दंगाइयों का विरोध कर रहे थे जो सांपदायिक दंगे के दौरान दुकानें जला रहे थे।
गौरतलब है कि 26 जनवरी 2018 को भड़की हिंसा के दिन और उसके अगले दिन भी इलाके में कुछ मुसलमानों की दुकानें जलाई गई थीं। शिकायत में कहा गया है कि राहुल यादव और अतुल यादव को तो कासगंज थाने में रखा गया है कि लेकिन बाकी दो के बारे में कोई खबर नहीं है।
डॉ. लेनिन द्वारा दर्ज दूसरी शिकायत में बताया गया है कि कुछ दिनों पहले एक व्यक्ति ने ट्विटर पर उत्तर प्रदेश की सरकार और उसके अधिकारियों को कासगंज के बिगड़ते हालात के बारे में चेतावनी भेजी थी लेकिन प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई जिसके चलते दंगा भड़का और चंदन गुप्ता नाम का एक नौजवान मारा गया तथा संपत्ति का काफी नुकसान हुआ। इस शिकायत में जिस चेतावनी की बात की गई है, उसके बारे में सबसे पहली रिपोर्ट मीडियाविजिल (हिंदी) और नेशनल हेराल्ड (अंग्रेज़ी) में 30 जनवरी, 2018 को प्रकाशित हुई थी जिसे मीडियाविजिल के कार्यकारी संपादक अभिषेक श्रीवास्तव ने कासगंज दौरे से लौटने के बाद लिखा था।
कासगंज का एक युवा सचेतक जिसे सब ने अनसुना कर दिया…
मीडियाविजिल की इस रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए पीवीसीएचआर ने इसका जि़क्र अपनी शिकायत में आयोग से किया। आयोग ने इस पर संज्ञान लेते हुए शिकायत (डायरी संख्या 19096/सीआर/2018 और फाइल संख्या 2399/24/78/2018) को उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को अग्रसारित किया है और चार सप्ताह के भीतर इस मामले में एक रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया है। उक्त आदेश 2 फरवरी 2018 को आयोग ने जारी किया है।