आवेश तिवारी
बाबरी मस्जिद का जब विध्वंस हुआ तो उत्तर प्रदेश के सभी समाचार पत्रों ने ख़ास तौर से मझोले अखबारों और उनके रिपोर्टर्स ने शानदार पत्रकारिता की थी ख़ास तौर से जनमोर्चा में सुमन गुप्ता और गांडीव में राधा रमण चित्रांशी की रिपोर्टिंग को नहीं भुलाया जा सकता, रेडियो के लिए रामदत्त त्रिपाठी और मार्क टुली की रिपोर्टिंग भी ऐतिहासिक थी। यकीन मानिए आज भी जब अयोध्या का जिक्र होता है मुझे यही चेहरे याद आते हैं और मैं इनसे ही बातें करता हूँ। अभी जब अयोध्या फिर गरमाया तो वहां पर एबीपी से चित्रा त्रिपाठी और आज तक से कुमार अभिषेक एवं निशांत चतुर्वेदी वहां मौजूद थे। यह वो लोग हैं जो आजकल टेलीविजन के स्क्रीन पर रोज दिखाई दे रहे हैं, न तो यह देश की आत्मा की समझ रखते हैं न तो लोगों के सुख दुःख से इन्हें सरोकार है न ही इनको ख़बरों की समझ हैं। मेरे एक मित्र कहते हैं कि जिस तरह से अयोध्या की रिपोर्टिंग की गई वह अश्लील थी मैं कहता हूँ नहीं वह केवल अश्लील नहीं थी, हिन्दुस्तान में जर्नलिज्म का गैंग रेप हो रहा है रोज हो रहा हैं। खैर इन तीन पत्रकारों की समझ गई कहाँ है इनके लिए तीन टिप्पणियां जेरे गौर हैं –
1- चित्रा त्रिपाठी को जानने के लिए उनका ट्विटर एकाउंट देखना चाहिए, आरक्षण की प्रबल विरोधी चित्रा का स्टेटस है
रामलला की अयोध्या में गूंजते नारे-
#बच्चा-बच्चा राम का,जन्मभूमि के काम का
#एक ही नारा एक ही नाम,जय श्री राम-जय श्री राम
#तेल लगा लो डाबर का,नाम मिटा दो बाबर का
#नो इफ-नो बट,मंदिर बनेगा झट-पट
#मोदी_योगी काम करो,मंदिर का निर्माण करो
#राज तिलक की करो तैयारी, आ गये हैं भगवाधारी
2- – निशांत चतुर्वेदी का ट्विटर पर दो दिनों पहले का एक स्टेटस है कि मुस्कुराइए कि आप लखनऊ (लखनपुर) में हैं।
2- कुमार अभिषेक वही हैं जिन्होंने लखनऊ में पिछले वर्ष मोदी जी के योग कार्यक्रम के बाद मेरी टिप्पणी से आहत होकर एक पूरी रिपोर्ट कर डाली थी कि योग के कार्यक्रम में आधी रात से आये लोगों को शौच में कोई दिक्कत नहीं हुई।
लेखक छत्तीसगढ़ में कार्यरत चर्चित पत्रकार हैं। यह टिप्पणी उनके फ़ेसबुक से साभार प्रकाशित।