ख़बर है कि एनडीटीवी से करीब साठ कर्मचारियों की छुट्टी कर दी गई है। कहीं-कहीं ख़बरों में यह संख्या 100 तक बताई गई है। अधिकतर निकाले गए कर्मचारी तकनीकी कामों में जुड़े थे। आगे संपादकीय विभाग से भी छंटनी की आशंका है।
कर्मचारियों को निकाले जाने की ख़बर सार्वजनिक होते ही एनडीटीवी ने सोमवार की दोपहर एक आधिकारिक बयान अपनी वेबसाइट पर जारी किया जिसका शीर्षक है: ”हमारे कारोबार व संसाधनों के पुनर्गठन पर एनडीटीवी का वक्तव्य”। बयान में कहा गया है कि दुनिया के अन्य समाचार प्रसारकों की तरह एनडीटीवी भी अब अपने न्यूज़रूम और अन्य संसाधनों को मोंबाइल पत्रकारिता (MoJo) पर केंद्रित कर रहा है। कंपनी का कहना है कि इस पुनर्गठन से प्रभावित कर्मचारियों को अच्छा मुआवजा देना सुनिश्चित किया गया है।
एनडीटीवी ने करीब साल भर पहले मोबाइल फोन पर ख़बरों को शूट करने का चलन शुरू किया था। उसी वक्त से अटकलें लगाई जा रही थीं कि कभी भी यहां से कैमरामैनों की छुट्टी हो सकती है क्योंकि रोज़मर्रा के समाचार संग्रहण में अब रिपोर्टर खुद ही कैमरामैन की भूमिका को निभाएगा। सोमवार को इसकी पुष्टि हो गई जब ख़बर आई कि कैमरामैनों समेत कई तकनीकी स्टाफ को भी नौकरी से निकाल दिया गया है।
अपने बयान में कंपनी ने इस बात का खंडन किया है कि इस छंटनी का कोई भी लेना-देना कंपनी पर चल रहे वित्तीय अनियमितता संबंधी मुकदमों के साथ है। इस बारे में कुछ रिपोर्टों में बात सामने आई थी।
बयान कहता है, ”अपने कर्मचारियों के प्रति वचनबद्धता के लिए एनडीटीवी को लंबे समय से जाना जाता रहा है- 20 साल से ज्यादा समय तक कर्मचारियों को अपने साथ बनाए रखने का हमारा रिकॉर्ड इसकी गवाही देता है जिसके बारे में इंडस्ट्री में चर्चाएं होती हैं।” यह सच है कि पिछले दो दशक में पहली बार एनडीटीवी से इतनी भारी संख्या में एक साथ छंटनी की खबर आ रही है।
हाल के दिनों में यह चैनल इसके मालिकान के ऊपर पड़े सरकारी छापे और आयकर के मुकदमों के चलते चर्चा में रहा है। पिछले महीने जब मालिक प्रणय रॉय के ठिकानों पर आयकर विभाग का छापा पड़ा था, तो तकरीबन समूची पत्रकार बिरादरी मालिक के हक में साथ खड़ी हो गई थी। आज जब यहां से कर्मचारियों की छंटनी की जा रही है, तो अफ़सोसनाक तरीके से वे तमाम आवाज़ें गुम हो गई हैं जो एनडीटीवी के पक्ष में खड़ी दिखती थीं।