अख़बारनामा: मोदी ने डिस्लेक्सिया पीड़ितों का मज़ाक उड़ाया, छापने की हिम्मत सिर्फ़ टेलीग्राफ़ में


इस मामले में सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री की खूब निन्दा हुई है। द टेलीग्राफ ने पहले पन्ने पर खबर छापी है। आपके अखबार में है?


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  संजय कुमार सिंह

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण के आधार पर “भारतीय वायु सेना के हमलों का सूबत मांगने पर सरकार ने विपक्ष पर हल्ला बोला”, “विपक्ष हमारी सेना को हतोत्साहित और पाकिस्तान को खुश कर रहा है”, “मैं आतंक को मिटाने में जुटा, विपक्ष मुझे: मोदी” जैसी खबरों और शीर्षक के साथ सोशल मीडिया पर सरकार पर लगने वाले आरोपों का जवाब भी अखबारों में छप रहा है। अफवाहों को भी खबर बनाकर छापा जा रहा है। कहीं सीधे कहीं बहाने से। आज के अखबारों में मसूद अजहर की मौत की अटकलों की खबर इसी श्रेणी में आएगी। खास बात यह है कि ऐसी खबरों में ज्यादातर अखबार सिर्फ वही खबर छापते हैं जो सरकार के पक्ष में होती है। सरकार या प्रधानमंत्री के खिलाफ सोशल मीडिया की खबरों को आमतौर पर अखबारों में जगह नहीं मिलती।

एक और खबर बहुत चर्चा में थी और वह यह कि इंजीनियरिंग पढ़ रही एक लड़की ने प्रधानमंत्री मोदी से डिस्लेक्सिया (पढ़ने लिखने में दिक्क्त पैदा करने वाला मानसिक रोग) के शिकार बच्चों की रचनात्मकता का ज़िक्र करते हुए उनके लिए अपने किसी प्रोजेक्ट का ज़िक्र किया। मोदी ने बीच में बात काटते हुए पूछा कि क्या यह योजना 40-50 साल के बच्चों को भी लाभ पहुँचाएगी। सवाल पूछने वाली ने कहा, हाँ सर, फायदा पहुँचाएगी। इसपर वीभत्स ढंग से हंसते हुए उन्होंने कहा, फिर तो उसकी माँ बहुत खुश होगी। समर अनार्य (Samar Anarya) ने इस बारे में फेसबुक पर लिखा है, “उस सभागार में जो 100-200 बच्चे थे- इंजीनियरिंग पढ़ रहे- उनमें से एक को शर्म न आई? सामने देश का पीएम था, विरोध में डर भी लगा हो तो भी- कम से कम चुप रहने भर का प्रतिकार तो कर सकते थे!” पर वे ताली बजा रहे थे। हंसने में प्रधानमंत्री का साथ दे रहे थे।

इस मामले में सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री की खूब निन्दा हुई है। द टेलीग्राफ ने पहले पन्ने पर खबर छापी है। आपके अखबार में है? सोशल मीडिया की वही चर्चा अखबारों में होगी जिससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा को चुनाव में फायदा होगा? सरकार के पक्ष में बेसिर-पैर की खबरें कहां से और कैसे शुरू होती हैं – यह आमतौर पर पता नहीं चलता है। पर ऐसी खबरें बढ़ते-बढ़ते ऐसे छप जाती हैं जैसे सच हों। पाकिस्तान पर भारतीय वायु सेना के हमले में तीन सौ और उससे ज्यादा लोग मरे और उसमें मशहूर आतंकी जैश मोहम्मद का मसूद अजहर घायल हुआ है ये ऐसी पुरानी खबरें हैं और कल उसके मरने की खबर सोशल मीडिया पर चलती रहीं। इसके साथ ही यह भी कि प्रधानमंत्री या सरकार ने कब कहा कि भारतीय हमले में कितने मरे या अजहर घायल हुआ।

इस तरह सोशल मीडिया पर आरोप और बचाव भी चलता रहता है। अखबार अगर अपना काम ठीक से करें तो दूध का दूध और पानी का पानी होता रहे पर ज्यादातर अखबार एक ही थीम पर चल रहे लगते हैं। हालांकि, इंडियन एक्सप्रेस ने आज अमित शाह के हवाले से छापा है कि हवाई हमले में 250 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए। अहमदाबाद के एक कार्यक्रम में अपने भाषण में उन्होंने अगर ऐसे दावे किए तो यह खबर है ही और कहने की जरूरत नहीं है कि इस खबर को छापने के लिए कोई उनसे स्रोत नहीं पूछेगा। पर इस या ऐसी खबर का लाभ जब वोट उठाने के लिए लिया जाएगा तो लोग स्रोत मांगेंगे और जानना चाहेंगे कि खबर कहां से शुरू हुई तो बात अमित शाह या सरकार अथवा भाजपा की किसी हस्ती तक पहुंचेगी और यह अखबारों में नहीं छपेगा। सांसद, मंत्री और राज्यपाल तक ऐसी बातें कर रहे हैं और खबरें छप रही हैं। पहले ऐसे मामलों में खबर छपने पर कार्रवाई होती थी। अब ऐसा नहीं होता। मुद्दा भी नहीं बनता।

अब मसूद अजहर को ही लीजिए। उसे 1994 में जम्मू-कश्मीर से गिरफ्तार किया गया था। 1999 में एयर इंडिया विमान के अपहरण के कारण उसे छोड़ना पड़ा। इसके बाद उसने जैश ए मोहम्मद की स्थापना की थी। नवभारत टाइम्स की एक खबर के अनुसार भारत सरकार मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कराने के लिए संयुक्त राष्ट्र में लगातार प्रयास कर रही है। पुलवामा हमले के बाद भारत के प्रयासों के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र मे नया प्रस्ताव पेश किया गया है। इसपर जल्द फैसला होना है। कयास है कि मसूद की मौत की खबर सीमा पार से तो नहीं उड़ाई गई। इससे मसूद का मामला दब जाएगा और वह ओसामा बिन लादेन की तरह छिपकर अपनी गतिविधियां चलाता रहेगा। द हिन्दू ने इस बारे में पहले पन्ने पर विस्तार से खबर छापी है।

इस तरह तथ्य यह है कि मसूद अजहर तो हमारे कब्जे में था और आतंकवादी इतने सक्षम हैं कि उसे सफलतापूर्वक छुड़ा लिया। अब हमने फिर से उसे दुश्मन नंबर वन बना दिया है और उसे मारने का दावा कर रहे हैं या पाकिस्तान पर उसके खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बना रहे हैं। ठोंक दो की नीति अजहर के मामले में तो चली नहीं, अब हम फिर उसे मांगकर क्या करेंगे? और क्या मिल गया तो आतंकवाद खत्म हो जाएगा? या मर गया अथवा मार दिया गया तो आतंकवाद का निशान मिट जाएगा। जाहिर है, ऐसा कुछ नहीं होने वाला। फिर भी अखबार और हम सब इसी में लगे हैं। कल सोशल मीडिया पर लोग परेशान थे कि अजहर की मौत की खबर आ रही है पर कोई कंफर्म नहीं कर रहा है। जाहिर है, कंफर्म नहीं हो रहा है तो खबर पक्की नहीं है। लेकिन धैर्य नहीं है। क्योंकि भारतीय सेना ने मार दिया यह कंफर्म हो जाए तो भारत के अचानक पराक्रमी होने का श्रेय लिया जा सकेगा और शायद चुनाव में इसका लाभ एक दल को मिलेगा।

इसीलिए यह खबर आज कई अखबारों में है। नवभारत टाइम्स में लीड है, अजहर का खात्मा? इसके साथ जो बातें हाइलाइट की गई हैं वे इस प्रकार हैं – जैश सरगना बीमारी से मरा या सर्जिकल स्ट्राइक में, अटकलें तेज इसके साथ ही लिखा है, पाकिस्तान और जैश ने मोहम्मद ने इन खबरों को गलत बताया। नवोदय टाइम्स में लीड नहीं है पर लीड के ऊपर पांच कॉलम में टॉप की खबर है। शीर्षक है, मसूद अजहर के मरने की खबर, इनकार भी। हिन्दुस्तान में यह खबर सिंगल कॉलम में है। यहां शीर्षक है, मसूद अजहर को लेकर अटकलें।

अमर उजाला ने पाकिस्तान के एक अंग्रेजी अखबार के हवाले से खबर छापी है कि पुलवामा हमले के गुनहगार मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने का विरोध नहीं करेगा पाकिस्तान। इसके साथ खबर है, दिन भर चली मौत की चर्चा, जैश बोला – जिन्दा है। अखबार ने इसके मौत के कारणों से संबंधित साथ दो अटकलें भी छापी हैं। और नापाक मंसूबा के तहत यह भी लिखा है कि पाकिस्तान की योजना हो सकती है कि मसूद को मरा बताकर उसे भूमिगत कर दे।

दैनिक जागरण में पांच कॉलम में लीड है, जैश सरगना मसूद के मारे जाने की चर्चा। उपशीर्षक है, कहीं बालाकोट में भारतीय वायुसेना के हमले में तो कहीं किडनी और लीवर की बीमारी से मौत की बात। राजस्थान पत्रिका में आज लीड का शीर्षक है, अब सर्जिकल स्ट्राइक-2 पर सरकार और विपक्ष में भिड़ंत। इसमें कई खबरें हैं। और इनमें एक खबर है, जैश सरगना मसूद अजहर की मौत की रही चर्चा। फ्लैग शीर्षक है, सबूत पर सवाल : विपक्ष का आरोप, अभियान का हो रहा है राजनीतिकरण। दैनिक भास्कर में मसूद अजहर की मौत की अटकलें, पाक मीडिया का दावा – जिन्दा है हमारा मोस्ट वांटेड – शीर्षक खबर लीड है। फ्लैग शीर्षक है, मीडिया रिपोर्ट्स भारत के हमले में बुरी तरह घायल हुआ था, अस्पताल में दम तोड़ा।

टाइम्स ऑफ इंडिया ने इससे अलग खबर छापी है, जिसके शीर्षक का अनुवाद कुछ इस तरह होगा, मौत की अफवाहों के बीच पाकिस्तान ने अजहर को आर्मी अस्पताल से बाहर स्थानांतिरत किया। श्रीनगर डेटलाइन की आरती टिक्कू सिंह और रोहन दुआ की इस खबर में खुफिया सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि पाकिस्तान सेना ने इतवार की शाम करीब 7.30 बजे उसे रावलपिंडी के बेस अस्पताल से जैश के कैम्प में स्थानांतरित किया जो बहावलपुर के गोथ गन्नी में है। अखबार के अनुसार अजहर के संगठन जैश ने एक बयान में इमरान खान सरकार पर भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दबाव में झुकने का आरोप लगाया है ।

अजहर के बारे में जो पहले छप चुका है उसे अखबार ने दोहराया है कि अजहर को गुर्दे की बीमारी है और वह अस्पताल में इलाज करा रहा था। अखबार के मुताबिक जैश ने कहा है कि अजहर जीवित है और स्वस्थ है। उसने स्वीकार किया है भारतीय वायु सेना ने बालाकोट के उसके शिविर पर हमला किया था पर कोई नुकसान नहीं हुआ। हिन्दुस्तान टाइम्स में भारत पाक तनाव का असर साइबर स्पेस में, वेबसाइट प्रभावित शीर्षक खबर के साथ अजहर की मौत पर अटकल शीर्षक खबर छापी है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। जनसत्ता में रहते हुए लंबे समय तक सबकी ख़बर लेते रहे और सबको ख़बर देते रहे। )