सावधान ! टीवी टुडे समेत सभी मीडिया स्कूल सपना बेचने वाले धंधेबाज़ !

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(आजकल तमाम मीडिया हाउस अपने साथ नत्थी मीडिया स्कूलों में एडमीशन के लिए अख़बारों में धुआँधार विज्ञापन दे रहे हैं। युवा मीडिया समीक्षक विनीत कुमार बता रहे हैं इस धंधे की हक़ीक़त। लाखों की फ़ीस भरने से पहले इस युवा इस फ़रेब को समझ लें तो बेहतर होगा।)

 

ऐसे मीडिया सलाहकारों और फर्जी बातों के बहकावे में न आएँ !
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टीवी टुडे नेटवर्क का मीडिया स्कूल टीवीटीएमआइ आपसे दो लाख से ज्यादा रूपये लेगा. इसी तरह देश के दर्जनों अखबार और चैनल के अपने मीडिया स्कूल हैं. आप इनके विज्ञापनों से गुजरेंगे तो लगेगा कि कोर्स खत्म होने के साथ ही एंकर श्वेता सिंह, राहुल कंवर, पुण्य प्रसून वाजपेयी की छुट्टी कर दी जाएगी और प्राइम टाइम पर आप होंगे. शुरु के दो-चार दस दिन आपको ऐसा एहसास भी कराया जाएगा.

आप पहले ही दिन से कहीं भी आ जा सकते हैं, माइक छू सकते हैं, स्टूडियो खाली होने पर मॉक एंकरिंग कर सकते हैं, जिन चेहरे से मिलने की आपको हसरत रही है, वो आपको कैंटीन में चाय-कॉफी ऑफर करेंगे. लेकिन

सालभर फैंटेसी की ये दुनिया कब खत्म हो जाएगी, आपको पता तक नहीं चलेगा. करीब तीन से चार लाख गंवाने के बाद आप आइआइएमसी, जामिया, डीयू से पढ़े लोगों की ही तरह कतार में होंगे. प्रोफेशनली जो सीखेंगे, वो काम तब तो आए जब उसके लिए अवसर भी हों. ये बात मैं इस दावे के साथ इसलिए कह रहा हूं कि मैंने अपने कुछ छात्रों को बहुत साफ-साफ समझाया लेकिन उन्होंने इसकी चमकीली दुनिया के आगे मेरी सलाह को दरकिनार कर दिया और अब अफसोस करते हैं.

अभी अखबारों में ऐसे सलाहकारों की बाढ़ आई हुई है. ये सलाहकार जिस अंदाज में करियर की बात करते हैं, वो विज्ञापन के करीब होते हैं. आप एक-एक लाइन पढ़िए, महसूस कीजिए. मैं आपको दावे के साथ बताता हूं कि जिस साहस, काम करने का जुनून, जज्बा व्लॉ-ब्लॉ की बात ये कर रहे हैं, आपमे ये दिख गया तो पूरी कोशिश होगी कि आपको दरकिनार कर दिया जाए. टीवी टुडे नेटवर्क अपनी क्लास में मोबाईल, रिकॉर्डिंग तक की इजाजत नहीं देता. खिलाफ बोलना-लिखना तो बहुत दूर की बात है. मैं बार-बार इस संस्थान की चर्चा इसलिए कर रहा हूं कि ये सबसे ज्यादा अवसर और प्रोफेशनलिज्म के दावे करता है जबकि भीतर की सच्चाई बेहद कुरूप और कोर्स करने के बाद आपको तोड़ देनेवाली है. यकीन न हो तो थोड़ी मेहनत करके यहां से निकले लोगों की बैच के बारे में पता कीजिए.

मेरे पास भी ऐसे सलाह लिखने के ऑफर आते हैं लेकिन मुझे लगता है हजार-दो हजार लिखने के तो मिल जाएंगे लेकिन इससे पूरी की पूरी पीढ़ी बुरी तरह गुमराह होगी. जितना संभव हो पाता है, इनबॉक्स में जवाब दे पाता हूं लेकिन ऐसे अखबारी सलाह आपको गुमराह करेंगे मुझसे इस पेशे को बेहद चमकीला, पैसे और जज्बे से भरा बताने के लिए कहा जाएगा जबकि इसकी सच्चाई कुछ और है.

मैं आपसे ये बिल्कुल नहीं कह रहा, मीडिया में मत आइए. लेकिन इस तरह की राइट अप पढ़कर नहीं, ढंग की दो-चार किताबें पढ़कर आइए. इन विज्ञापननुमा सलाहों में आपके सपने बेचे जाते हैं जबकि आपको सपने बिकने नहीं देना है, उन्हें सहेजना है.
.विनीत कुमार