शहाबुद्दीन से भी घृणित शशि शेखर
खबर है कि हिन्दुस्तान के प्रधान संपादक और शोभना भरतिया के साथ 200 करोड़ के विज्ञापन घोटाले के सह अभियुक्त् शशि शेखर ने रांची में बुधवार की शाम गुपचुप तरीके से झारखंड के श्रमायुक्त से मुलाकात की है। वैसे भी इस मामले में प्रधान संपादक महोदय की छवि संपादकों वाली कम दूसरी वाली ज्यादा रही है।
महत्वपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के ठीक कुछ दिन पहले इस तरह की गुपचुप मुलाकात का क्या मतलब हो सकता है। एक तो यह कि शशि शेखर उत्तर प्रदेश विभिन्न… शहरों में जिस काम के लिए विख्यात हैं, वही काम झारंखंड में भी करना चाह रहे हैं। क्या संपादकों(इसे अन्यथा न लें) का काम सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ अधिकारियों को डराने-धमकाने और फुसलाने भर रह गया है।
शशि शेखर जी हम हम आपकी तुलना सीवान के शहाबुद्दीन से नहीं करना चाहते। याद है न आपने अपने एक पत्रकार साथी की हत्या पर अपने अखबार के पहले पन्नेनपर क्या लिखा था।
मजीठिया मामले में आपका यह रवैया शहाबुद्दीन से भी घृणित है। गरीब पत्रकार साथियों को देखिए और अपनी लाटसाहबी और ठाट देखें। लेकिन आपको फुर्सत कहा हैं शोभना भरतिया की ——— करने के अलावा।
(मजीठिया आयोग ने पत्रकारों के नये वेतनमान के लिए सिफ़ारिश की थी जिसे मालिक देना नहीं चाहते। उन्होंने सुप्रीमकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था, लेकिन कोर्ट ने साफ़ कह दिया कि पत्रकारों को उनका हक़ देना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट के सख़्त रुख़ के बावजूद मालिकान सिद्ध पत्रकारों और संपादकों के सहारे दमड़ी बचाने की जुगत भिड़ा रहे हैं। मालिकों से लड़ना मुश्किल है फिर भी पत्रकारों का एक हिस्सा इस लड़ाई को लड़ रहा है। मजीठिया मंच ऐसा ही एक प्लेटफार्म है।)