दलित बाग़ी : लिखने पर घर में बंद, लड़ने पर जेल में !

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कांचा इलैया जैसे प्रख्यात बुद्धजीवी हैदराबाद के अपने घर में नज़रबंद हैं क्योंकि उन्होंने कुछ ऐसी किताबें लिखी हैं जो मनुवादी समाज व्यवस्था को अमानवीय और बर्बर सिद्ध करती हैं। उधर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलित आंदोलन को प्रतिवादी मोर्चे में बदलने में जुटे युवा नेता चंद्रशेखर काफ़ी दिनों से जेल में हैं। उन्होंने ‘भीम आर्मी’ का गठन किया था और अपना पूरा नाम लिखते थे- चंद्रशेखर आज़ाद रावण। उनके गाँव के पास ‘द ग्रेट चमार’ के बोर्ड लगे थे। वे जून में गिरफ़्तार हुए थे और जुलाई में जेल के अंदर उन पर हमला किए जाने की ख़बर आई थी। इधर, उनकी व्हील चेयर पर बैठे एक तस्वीर सामने आई है जो जेल में सुरक्षा को लेकर ही सवाल खड़े नहीं करती, दलितों से घृणा की बजबजाहट भी उघेड़ती है। इस सिलसिले में दो सक्रिय बुद्धिजीवियों की फ़ेसबुक पोस्ट को हम आभार सहित प्रकाशित कर रहे हैं जो इन घटनाओं को एक व्यापक परिप्रेक्ष्य देती हैं–

कांचा इल्लय्या को पुलिस ने नज़रबंद किया.

देश के जानेमाने बुद्धिजीवी कांचा इल्लय्या को पुलिस ने हैदराबाद में उनके घर से बाहर जाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया है. उन्हें विजयवाड़ा की सभा में बोलने की अनुमति अस्वीकृत कर दी है. ज्ञातव्य है कि सुखासीन अभिजन समाज के पेटू समुदाय ने उनकी पुस्तक पर प्रतिबन्ध लगाने और उन्हें गिरफ्तार करने का हठयोग साध रखा है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी पुस्तक पर प्रतिबन्ध लगाने से इनकार और उनकी अभिव्यक्ति के पक्ष में स्पष्ट निर्णय देने के बावजूद आंध्र और तेलंगाना की सरकारों ने न उन्हें सुरक्षा प्रदान की और न ही उनके अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की ही रक्षा की.उलटे उन्हें ही नज़रबंद कर दिया .
एक लेखक की अभिव्यक्ति का यह दमन भारतीय जनतंत्र का स्याह अध्याय है.
फासीवाद की इन पदचापों को सुनकर समूचे बौद्धिक और नागरिक समाज को कारगर प्रतिरोध की तैय्यारी करनी चाहिए .

 

अगर राजपूत दलितों पर हमला करें

और राजपूत ही मुख्य मंत्री हो

तो दलितों के नेता को ही जेल में डाल दिया जाएगा

और दलित नेता जेल जाएगा तो अपने पैरों पर

लेकिन जेल से निकलेगा चार लोगों के कन्धों पर

राजपूत मुख्यमंत्री सर उठाने की सज़ा देगा

दलित नेता को जेल में इतना मारा जाएगा कि वह अपने पैरों पर चलने के काबिल नहीं बचेगा

यह किसी घटिया फिल्म की कहानी नहीं है

यह यूपी के राजपूत मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ की काली करतूतों का कच्चा चिटठा है

सहारनपुर में पहले तो राजपूतों ने दलितों की बस्ती पर हमला किया

बाद में निर्दोष दलित युवा नेता चंद्रशेखर को ही जेल में डाल दिया

जेल में चंद्रशेखर की यह हालत कर दी गई है कि अब वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता

यही है हिन्दू धर्म का महान जातिवाद

अगर हिन्दू धर्म में से दलितों से नफरत निकाल दो तो उसमें क्या बचेगा ?

योगी हिन्दू धर्म की असलियत दिखा रहा है

अगर चंद्रशेखर को जेल में कुछ गलत हुआ तो इसकी पूरी ज़िम्मेदारी हिन्दू धर्म में फैले हुए जातिवादी नफरत की होगी

उत्तर प्रदेश का मुख्य मंत्री योगी हिन्दू धर्म के इस जातिवादी नफरत के पेड़ का सड़ा हुआ फल है