वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा को 26-27 अक्टूबर की दरम्यानी रात करीब तीन बजे छत्तीसगढ़ पुलिस ने उनके गाज़ियाबाद के इंदिरापुरम स्थित आवास से उठा लिया। उन पर रंगदारी और जान से मारने की धमकी का आरोप लगाया गया है। सूत्रों के मुताबिक विनोद वर्मा के हाथ छत्तीसगढ़ के किसी मंत्री की सेक्स सीडी लग गई थी और इस स्टोरी पर वे काम कर रहे थे। पुलिस छत्तीसगढ़ स्थिति सोर्स का पता लगाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन जब क़ामयाबी नहीं मिली तो उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया। ख़बर है कि उन्हें रायपुर ले जाया जाया जाएगा।
पुलिस ने विनोद वर्मा के पास से 500 सीडी बरामद होने की ख़बरें प्लांट कराईं, लेकिन ये सीडी किसकी हैं, इसकी कोई जानकारी नहीं दी। सवाल यह है कि ब्लैकमेल करने वाला किसी की 500 सीडी क्यों बनवाएगा। इस काम के लिए तो एक-दो सीडी ही काफ़ी हैं।
विनोद वर्मा की गिरफ़्तारी को लेकर पत्रकार बिरादरी में काफ़ी रोष है। इसे पत्रकारिता की आज़ादी पर हमला बताया जा रहा है। जानकारी मिलते ही कई पत्रकार इंदिरापुरम थाने पहुँच गए थे, लेकिन उन्हें विनोद वर्मा से मिलने नहीं दिया गया। इस बीच पुलिस हिरासत से विनोद वर्मा ने एक ट्वीट किया है।
विनोद वर्मा बीबीसी के पूर्व पत्रकार रहे हैं. वह अमर उजाला के डिजिटल एडिटर भी रहे हैं. विनोद वर्मा छत्तीसगढ़ के सामाजिक राजनीतिक मुद्दों पर लंबे समय से लिखते रहे हैं. विनोद वर्मा एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया के सदस्य भी हैं.
नीचे पढ़िए, पत्रकार उर्मिलेश और राकेश कायस्थ की इस सिलसिले में फ़ेसबुक पोस्ट और बीबीसी हिंदी में आई ख़बर-
4 hrs ·
गुरुवार-शुक्रवार की रात को तकरीबन तीन बजे छत्तीसगढ़ पुलिस ने यूपी पुलिस के सहयोग से BBC और अमर उजाला के पूर्व वरिषठ पत्रकार और लेखक विनोद वर्मा को उनके इंदिरापुरम (गाजियाबाद,यूपी) स्थित घर से हिरासत में ले लिया। वर्मा एडिटर्स गिल्ड आफ़ इंडिया के सदस्य भी हैं। इस वक्त उन्हें इंदिरापुरम थाने में बैठाकर रखा गया है। उन्हें एक पोर्न सीडी रखने का आरोपी बनाया जा रहा है। वह सीडी किसी प्रांतीय मंत्री की बताई जा रही है! पत्रकार को हिरासत में लेने की यह शैली मुझे इमरजेंसी की याद दिला रही है। मैं यहीं थाने में एक शीशे की दीवार के पार विनोद से हो रही पुलिसिया पूछताछ को देख रहा हूं। वकील ओमवीर सिंह और अमित यादव थाने पहुंच चुके हैं।
1 hr ·
पत्रकार के तौर पर मैं विनोद वर्मा को लंबे समय से जानता हूं। मेरे परिचय उस वक्त से है, जब वर्माजी दिल्ली में मध्य प्रदेश से निकलने वाले अखबार देशबंधु अखबार के ब्यूरो चीफ हुआ करते थे। मैने उन्हे हमेशा एक संजीदा, संवेदनशील और गहरी साहित्यिक अभिरूचि वाले व्यक्ति के तौर पर जाना है। आज सुबह-सुबह उन्हे हिरासत में लिये जाने की ख़बर आई तो मैं हतप्रभ रह गया।
विनोद वर्मा हिंदी के कई बड़े संस्थानों में संपादक रह चुके हैं। बीबीसी लंदन से भी वे लंबे समय तक जुड़े रहे हैं। सामाजिक, सांस्कृतिक सवालों के साथ मानवाधिकार संबंधित मुद्धों में भी उनकी गहरी रुचि रही है। ख़बर है कि छत्तीसगढ़ पुलिस की टीम विशेष रूप से गाजियाबाद आई और यूपी पुलिस की मदद से उन्हे हिरासत में लिया गया। उनके पास छत्तीसगढ़ के किसी नेता की आपत्तिजनक सीडी होने की बात कही जा रही है।
आपत्तिजनक शब्द एक बहुत ही रिलेटिव टर्म है। अंग्रेजी के मशहूर लेखक जॉर्ज ऑरवेल ने कहा है- ख़बर वह नहीं होती है, जो हर कोई बताना चाहता है। ख़बर वह होती है, जिसे छिपाने की कोशिश की जाती है।
सीडी में क्या था, नेता कौन है, छत्तीसगढ़ पुलिस का आरोप क्या है। इन बातों की मुझे कोई जानकारी नहीं है। इसलिए मैं इन बातों पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। लेकिन पहली नज़र में यह एक सम्मानित पत्रकार के उत्पीड़न का मामला लगता है, इसलिए मैं खुलकर अपना विरोध दर्ज करना चाहता हूं।
छत्तीसगढ़ सरकार को इस मामले पारदर्शिता दिखाते हुए बताना चाहिए उसका पक्ष क्या है और सुबह चार बजे असंदिग्ध ट्रैक रिकॉर्ड वाले एक पत्रकार के घर छापा मारकर उसे हिरासत में क्यों लिया गया।
यह ठीक है कि पत्रकार बिरादरी अब पूरी तरह बंट चुकी है। लेकिन सरकारी तंत्र के हावी होने का समर्थन किसी भी आधार पर नहीं किया जाना चाहिए। सरकारे आती और जाती रहेंगी लेकिन इंस्टीट्यूशन के तौर पर मीडिया हमेशा रहेगा। मैं उम्मीद करता हूं कि पत्रकार समुदाय इस घटना पर एकजुटता दिखाएगा।
पत्रकार विनोद वर्मा को छत्तीसगढ़ पुलिस ने हिरासत में लिया
छत्तीसगढ़ पुलिस ने वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा को गुरुवार देर रात ग़ाज़ियाबाद स्थित उनके घर से हिरासत में लिया और पिछले कई घंटों से इंदिरापुरम थाने में उनसे पूछताछ हो रही है.
विनोद वर्मा को दोपहर 12 बजे सीजेएम कोर्ट में पेश किया जाएगा.
इंदिरापुरम थाने पहुंची बीबीसी संवाददाता सरोज सिंह ने पुलिस सूत्रों के हवाले से बताया है कि विनोद वर्मा के ख़िलाफ़ छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित पंडरी थाने में मामला दर्ज हुआ था.
पुलिस सूत्रों ने दावा किया है कि विनोद वर्मा के घर से 500 सीडी बरामद की गई हैं.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक़, विनोद वर्मा के ख़िलाफ़ धारा 384 (रंगदारी वसूलने) और धारा 506 (जान से मारने की धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
विनोद वर्मा बीबीसी के पूर्व पत्रकार रहे हैं. वह अमर उजाला के डिजिटल एडिटर भी रहे हैं. विनोद वर्मा छत्तीसगढ़ के सामाजिक राजनीतिक मुद्दों पर लंबे समय से लिखते रहे हैं. विनोद वर्मा एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया के सदस्य भी हैं.
रायपुर से स्थानीय पत्रकार आलोक पुतुल ने बताया कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और विधायक भूपेश बघेल पत्रकार विनोद वर्मा के रिश्तेदार हैं.
भूपेश बघेल ने कहा, “विनोद वर्मा की रिपोर्ट्स से सरकार नाराज़ थी और यह गिरफ़्तारी पत्रकारों को डराने की कोशिश है.”
मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल की छत्तीसगढ़ इकाई के अध्यक्ष डॉक्टर लाखन सिंह ने कहा, “यह पत्रकारिता की आवाज़ को दबाने की कोशिश है और हम इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे.”