त्रिपुरा में मंगलवार को एक पत्रकार को त्रिपुरा स्टेट राइफल्स (टीएसआर) की दूसरी बटालियन में तैनात एक जवान ने गोली मार दी। पत्रकार की मौत हो गई है। सुदीप दत्ता भौमिक स्यान्दन पत्रिका नाम के एक दैनिक और वैनगार्ड नाम के एक स्थानीय टीवी के लिए काम करते थे। पिछले दो महीनों में यह राज्य में दूसरे पत्रकार की हत्या है। इससे पहले सितम्बर में शांतनु भौमिक नाम के पत्रकार की अगवा कर के हत्या कर दी गई थी।
सुदीप पुराने पत्रकार थे। त्रिपुरा के पत्रकारिता जगत में बेहद प्रतिष्ठित पत्रकार स्वर्गीय भूपेन दत्त भौमिक के वे भतीजे थे और सबसे ज्यादा प्रसार वाले ‘दैनिक संबाद’ के समाचार संपादक प्रदीप दत्त भौमिक के चचेरे भाई थे। वे पुलिस और अदालत कवर करते थे।
स्यान्दन पत्रिका में उनके संपादक सुबाल कुमार डे के मुताबिक सुदीप ने टीएसआर की दूसरी बटालियन के कमांडेंट से मिलने के लिए वक्त मांगा था और मंगलवार को आरके नगर में उनकी मुलाकात तय थी। वे वहां मिलने के लिए पहुंचे, तो कमांडेंट के दफ्तर के बाहर उसके पीएसओ (निजी सुरक्षा अधिकारी) के साथ किसी बहस में उलझ गए।
डे के मुताबिक बहस के बीच ही जवान ने बंदूक से गोली चला दी। मौके पर ही सुदीप की मौत हो गई। गोली चलाने वाले जवान का नाम नंदगोपाल रियांग बताया जा रहा है। उसे गिरफ्तार कर लिया गया है।
ट्विटर पर इस पत्रकार की हत्या को लेकर काफी आक्रोश है। दिल्ली के केरला प्रेस क्लब ने सुदीप की हत्या की निंदा करते हुए एक बयान जारी किया है।
उधर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस हत्या की आलोचना की है।
We strongly condemn the brutal killing of journalist Sudip Dutta Bhowmik in Tripura. My condolences to the family of the deceased
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) November 21, 2017
त्रिपुरा की एक वेबसाइट http://www.tripurainfo.com के मुताबिक सुदीप की हत्या से पहले का घटनाक्रम काफी नाटकीय था। वे कमांडेंट के साथ बात कर रहे थे और उग्रवाद के कम होने के बाद टीएसआर की समस्याओं पर कुछ नोट भी कर रहे थे। थोड़ी देर बाद कमांडेंट तपन देबबर्मा चैम्बर से जुड़े शौचालय में गए ओर लौटकर उन्होंने दावा किया कि उनकी मेज़ पर कुछ लिफाफे रखे हुए थे गायब हैं। इन लिफाफों में बटालियन की नकद ऑडिट रिपोर्ट थी जो काफी संवेदनशील थी।
तपन का दावा है कि लिफाफा गायब पाने पर उन्होंने सुदीप पर सवाल उठाए और उनसे पूछा कि लिफाफा क्या उन्होंने लिया है या छुपा दिया है। ऐसे सवालों से अपमानित महसूस कर सुदीप ने विरोध किया और बहस शुरू हो गई। कमांडेंट ने अपने सिपाहियों को सुदीप की जांच करवाने के लिए बुलवा लिया।
वेबसाइट के मुताबिक सुदीप के चेहरे और शरीर के दूसरे हिस्सों पर लगी मिट्टी और धूल से अंदाजा लगता है कि उन्हें काफी मारा पीटा गया और ज़मीन पर गिरा दिया गया था। साइट कहती है कि इसी बीच कमांडेंट के निजी गार्ड ने सुदीप को पेट में गोली मार दी।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने भी निंदा में एक ट्वीट किया है।
Yet another journalist killed in Tripura, this time by paramilitary forces. Sudip Dutta Bhowmick was a senior journalist with Syandan, a daily paper in Tripura and Vanguard, a local TV channel. Punish the culprits. #JusticeForSudip https://t.co/4tpACbyqIL
— Dipankar (@Dipankar_cpiml) November 21, 2017
कुछ लोग ट्विटर पर यह भी कह रहे हैं कि पत्रकारों को चुप कराने का पुलिस ने यह नया तरीका निकाला है कि उन्हें मुलाकात के लिए बुलाओ और गोली मार दो। सौरव राय बर्मन ने इस सिलसिले में कई ट्वीट किए हैं और बताया है कि कैसे सुदीप ने स्यान्दन पत्रिका में लगातार कमांडेंट तपन देबबर्मा के भ्रष्टाचार के खिलाफ कई स्टोरी की थीं। उनका कहना है कि यह जानबूझ कर की गई एक हत्या है।
“It was a cold blooded murder at the instruction of Commandant Tapan Debbarma as Sudip had filed as many as 11 stories exposing his corrupt practices in Syandan Patrika,” Subal Kumar Dey, editor of the paper, said. Also rubbished the missing file angle.https://t.co/RZaIPMlDCI
— Sourav Roy Barman (@Sourav_RB) November 21, 2017
त्रिपुरा सरकार की इस हत्या के बाद चौतरफा आलोचना हो रही है। सरकार ने हत्या की जांच चालू कर दी है।