शर्म से डूब मरने की बात है। हिंदी के सबसे बड़े अख़बार होने का दावा करने वाले दैनिक जागरण ने जयपुर की माटी में खिलकर, गायकी के उस्ताद बने अहमद हुसैन और मुहम्मद हुसैन को पाकिस्तानी फ़नकार बताया है। यह हाल है पराड़कर जी के शहर वाराणसी की पत्रकारिता का। नाक़ाबिले माफ़ी यह है ग़लती, क्योंकि सवाल किसी वर्तनीदोष या छपाई का नहीं है..इन उस्ताद भाइयों के परिचय में कुछ जोड़ा गया है यानी संपादनकला का परिचय दिया गया है…!