सरोज कुमार
उदाहरण एकः दनकौर में पुलिस की ज्यादती के विरोध में दलित महिलाओं के नग्न होने/पुलिस द्वारा उनके कपड़े फाड़ने की घटना हुई थी, लोगों ने सोशल मीडिया पर पुलिस के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया था. तब बीबीसी ने बस पुलिस के बयान के आधार पर स्टोरी की कि पुलिस पर झूठे आरोप थे, ऐसा लिखा था मने कि दलितों-वंचितों की ऐसी स्टोरी झूठे होते हैं, उन्हें शेयर मत करिए!
दूसराः अब कर्णन के मसले पर यह लिख रहा है कि “वे भागे-भागे फिर रहे हैं, उनके इस फैसले कि लिव इन पार्टनर्स को विवाहितों की तरह देखा जाना चाहिए पर देशभर ने उनका मजाक उड़ाया था” आदि-आदि.
कमेंट में दिए लिंक पर दोनों खबर पढ़िए, उनका संदर्भ और भाषा देखिए पूर्वाग्रह स्पष्ट नजर आ जाएंगे! समय-समय पर ऐसी कई खबरें होती रही हैं.