पाक सेना ने कबूला एयर स्ट्राइक में मारे गए 200 आतंकी”, “IAF के हवाई हमले के बाद मारे गए आतंकवादियों की लाशें हटाई गईं”, “IAF बालाकोट हवाई हमले का सबूत”, “अमेरिका में रहने वाले गिलगित कार्यकर्ता ने शेयर किया वीडियो”। -ये कुछ 13 मार्च को भारतीय मीडिया संगठनों की प्रमुख सुर्खियाँ थीं।
ANI, न्यूज़18, इंडिया टुडे, ABP News,टाइम्स नाउ, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, इंडिया टीवी और ज़ी न्यूज़ उन मीडिया संगठनों में से थे जिन्होंने सोशल मीडिया में वायरल एक वीडियो का हवाला देते हुए दावा किया कि यह भारतीय वायुसेना द्वारा 26 फरवरी को किए गए हवाई हमले में 200 आतंकवादियों के मारे जाने को पाकिस्तानी सेना द्वारा स्वीकार किए जाने का — प्रतिनिधित्व करता है।
हालांकि, इन मीडिया संगठनों द्वारा ऊपर वर्णित संदेशों का सत्यापन नहीं किया गया। उनमें से अधिकांश के लिए इस खबर का स्रोत अमरीका में रहने वाले गिलगित कार्यकर्ता सेंगे हसनैन सेरिंग थे, जिन्होंने ANI से कहा था, “मुझे यकीन नहीं है कि यह वीडियो कितना प्रामाणिक है, लेकिन पाकिस्तान निश्चित रूप से कुछ महत्वपूर्ण छुपा रहा है जो बालाकोट में हुआ है।
ज़ी न्यूज़, जो इस रिपोर्ट को पहले चलाने वालों में एक था, वह कुछ ही घंटों बाद इस कहानी को बदलने में भी सबसे आगे रहा। यह समाचार चैनल “सोशल मीडिया में एक वीडियो का दावा है कि 200 आतंकवादी मारे गए लेकिन हम उसकी पुष्टि नहीं कर सकते,” से शुरू होकर, “बालाकोट वीडियो नकली है और छह साल पुरानी घटना का प्रतिनिधित्व करता है” तक बदल गया।
दक्षिणपंथी वेबसाइट ओपइंडिया ने भी पाकिस्तानी सेनाधिकारी की कथित बयान स्वीकार करने की कहानी चलाई।
तथ्य-जांच
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि मुख्यधारा मीडिया संगठनों द्वारा प्रसारित संदेश भ्रामक था। हमें कई सुराग मिले जिनसे सुझाव मिला कि यह वीडियो IAF के बालाकोट हवाई हमले के बाद का नहीं था।
1. ऑडियो
वीडियो के लगभग 0:50वें सेकंड में, पाकिस्तानी सेना के एक अधिकारी ने सांत्वना देने के लिए एक बच्चे को उठाया। उसके साथ ही, कैमरे के पीछे से लड़के को निर्देशित एक ऑडियो टिप्पणी में कहा जाता है – “ये रुतबा अल्लाह के कुछ ख़ास बन्दों को नसीब होता है। आपको पता है कि कुछ 200 बन्दे ऊपर गए थे? इसके नसीब में लिखा हुआ था शहादत। हम रोज़ाना चढ़ते हैं, जाते हैं, आते हैं. तो ये अल्लाह के ख़ास बन्दे, जिसपे करम होता है, जिसपे उनकी ख़ास नज़र-ओ-करम होती है, उसको ये नसीब होता है…परेशान नहीं होना, तुम्हारा वालिद मरा नहीं है, ज़िंदा है. मरा हुआ नहीं बोलते।”
इस ऑडियो कमेंटरी से निर्णायक रूप से निकाले जा सकने वाले महत्वपूर्ण अनुमान –
1) वह हिस्सा जिसमें व्यक्ति कहता है, “आपको पता है कि कुछ 200 बन्दे ऊपर गए थे?”, यह 200 आतंकवादियों के मारे जाने का प्रतिनिधित्व नहीं करता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि, इस कथन के तुरंत बाद का कथन था — “हम रोज़ाना चढ़ते हैं, जाते हैं, आते हैं.”इसलिए, यहां ‘ऊपर’ से उसका मतलब ‘पहाड़ों/पहाड़ियों के ऊपर’ से है।
2)केवल एक व्यक्ति की मृत्यु के बारे में बात किया जा रहा था, जो 200 दूसरे लोगों के साथ पहाड़ों या पहाड़ियों के ऊपर गया, लेकिन जिंदा नहीं लौटा था। इस पूरे कथन के अंतिम कुछ शब्द — जिनमें वह उस बच्चे के पिता के बारे में बात करता है जिसकी मृत्यु हो गई थी — इसकी अतिरिक्त रूप से पुष्टि करते हैं, “परेशान नहीं होना तुम्हारा वालिद मरा नहीं है, ज़िंदा है. मरा हुआ नहीं बोलते.”
3) बच्चे को गोद में रखने वाले सेनाधिकारी का नहीं था यह कथन।
4) चूंकि टिप्पणी करने वाला व्यक्ति कैमरे के पीछे था, इसलिए, हम नहीं जानते कि वह कोई असैन्य नागरिक था अथवा पाकिस्तानी सेना का कोई सदस्य।
2. गूगल रिवर्स-इमेज सर्च
जब ऑल्ट न्यूज़ ने इस वीडियो के अलग-अलग फोटो-फ्रेमों की रिवर्स सर्च की तो उनमें से एक ने हमें एक फेसबुक पोस्ट तक पहुंचाया जिसमें इस घटना की तस्वीरें थीं।
दूसरी तस्वीर
दूसरी तस्वीर उसी पाकिस्तानी सेनाधिकारी ‘फैसल’ की है। नीचे दिए गए कोलाज में कोई भी देख सकता है, फैसल की विशेषताएं मिलती हैं। इससे स्पष्ट होता है कि यह तस्वीर वीडियो वाली घटना का प्रतिनिधित्व करती है।
तीसरी तस्वीर
तीसरी तस्वीर में एक मृत व्यक्ति को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए एक सेनाधिकारी को देखा जा सकता है। मृतक के बगल में खड़े एक व्यक्ति के कपड़ों से मिलान करके हमने पुष्टि की कि यह तस्वीर उसी घटना के दौरान ली गई थी।
इस प्रकार यह स्पष्ट है कि ये तस्वीरें इसी वीडियो का प्रतिनिधित्व करती हैं। पाकिस्तानी सेनाधिकारी फैसल दोनों में दिखते हैं और ये तस्वीरें वायरल वीडियो के इस ऑडियो कथन का समर्थन करती हैं कि एक व्यक्ति, उस बच्चे के पिता, की मौत हुई।
कथित पाक सैनिक का दफन संस्कार
आल्ट न्यूज़ ने पिछले उप-उपखंडों में विश्लेषित मूल वीडियो का पता लगाया जो तीनों तस्वीरों का प्रतिनिधित्व करता है। एक पाकिस्तानी फेसबुक पेज ने इस वीडियो को 1 मार्च को अपलोड किया था, जिसमें मृत व्यक्ति के अंतिम संस्कार में पाक सेनाधिकारी फैज़ल समेत कई लोगों को देखा जा सकता है।
इस वीडियो में भिन्न स्थानों पर तस्वीरों वाले दृश्य दिखते हैं।
इसके अलावा, इस वीडियो में, सोशल मीडिया में वायरल वीडियो वाली तस्वीरें भी शामिल हैं। इससे तत्काल, इसकी पुष्टि होती है कि दोनों वीडियो एक ही घटना का प्रतिनिधित्व करते हैं।
पाकिस्तानी फेसबुक पेज ने इस घटना के दूसरे वीडियो और दृश्य भी अपलोड किए थे। उन तस्वीरों में से एक में मृत व्यक्ति का चेहरा दिखता है और उसके कैप्शन में लिखा है कि उसका अंतिम संस्कार 1 मार्च को हुआ।
पाकिस्तानी फेसबुक पेज ने इस घटना के दूसरे वीडियो और दृश्य भी अपलोड किए थे। उन तस्वीरों में से एक में मृत व्यक्ति का चेहरा दिखता है और उसके कैप्शन में लिखा है कि उसका अंतिम संस्कार 1 मार्च को हुआ।
और आगे, इस वीडियो के 1:09वें मिनट पर, पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा दफनाए जाते उस व्यक्ति पर जब माला अर्पित कर रहे थे, उसमें लगा टैग जिसपर ‘GOC 21 ARTY DIV’ लिखा था, देखा जा सकता है।
पाकिस्तानी फेसबुक पेज द्वारा अपलोड किए गए सभी वीडियो और दूसरे दृश्य पुष्टि करते हैं कि यह घटना कथित सैनिक को दफनाने का प्रतिनिधित्व करती है।
बालाकोट नहीं
अगर कोई दफन क्रिया के वीडियो और तस्वीरों को गौर से देखे तो पृष्ठभूमि में मोटी बर्फ दिखती है। बालाकोट हवाई हमला 26 फरवरी को हुआ और उस समय की मौसम की भविष्यवाणी को देखने से यह प्रकट होता है कि उस क्षेत्र में बर्फ की वैसी मोटी परत नहीं बनी हो सकती है।
फरवरी के अंतिम सप्ताह में बालाकोट का तापमान कभी माइनस 5 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं गया। हालांकि, इस तापमान में बर्फ होना लाजमी है, लेकिन बर्फ की उतनी मोटी परत बनना संभव नहीं, क्योंकि दिन का तापमान 7 डिग्री सेल्सियस तक ही ऊपर गया, और इस तापमान में बर्फ की मात्रा अवश्य ही कम होनी चाहिए।
और आगे, बालाकोट स्थल से की गई खबरों में हवाई हमला क्षेत्र में कोई बर्फ नहीं दिखती है। नीचे दी गई तस्वीर, 28 फरवरी को रॉयटर्सके फोटो पत्रकार द्वारा ली गई थी, और इसमें बर्फ का कोई निशान नहीं है।
इस लेख में प्रस्तुत किए गए तथ्य, निर्णायक रूप से स्थापित करते हैं कि वायरल वीडियो न तो बालाकोट का है और न ही पाकिस्तानी सेना द्वारा 200 आतंकवादियों के मारे जाने की स्वीकोरोक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। इस वीडियो की ऑडियो कमेंट्री अपने आप में यह स्थापित करने का पर्याप्त सबूत है कि पाक सैन्यकर्मी केवल एक व्यक्ति की मृत्यु की बात कर रहे थे। फिर भी, भारतीय मुख्यधारा मीडिया ने गैर-सत्यापित वीडियो को ‘ब्रेकिंग न्यूज़’ के रूप में चलाया। विडंबनापूर्वक, कुछ ने तो यह घोषित करते हुए कि उनके पास वीडियो की प्रामाणिकता का सबूत नहीं है, यह कहानी चलाई। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पुलवामा हमले के बाद से भारतीय मुख्यधारा मीडिया, भ्रामक सूचना के दुष्चक्र की महत्वपूर्ण योगदानकर्ता बन गई है।
यह महत्वपूर्ण पड़ताल आल्टन्यूज़ ने की है। साभार प्रकाशित।