पिछले कुछ दिनों से टीवी टुडे के चैनल ऐेस खुलासे कर रहे हैं जिससे संसद में हंगामा हो रहा है। ख़ास बात यह है कि दोनों ही धमाकों के निशाने पर सत्तापक्ष नहीं विपक्ष है। पहला है आगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर डील में फ़ैमिली (गाँधी परिवार) को दी गई कथित रिश्वत और दूसरी काले पैसे को सफे़द करने में जुटी पार्टियों का स्टिंग आपरेशन ( इसमें बीजेपी नहीं है) ।
नोटबंदी को लेकर संसद में फँसी मोदी सरकार के लिए देश के सबसे तेज़ चैनलों यानी आज तक और इंडिया टुडे का यह रुख़ वाक़ई राहत भरा है।
पहले बात हेलीकाप्टर सौदे की। इंडिया टुडे के राहुल कँवल ने बड़े ज़ोर-शोर से जिस ख़बर को एक्सक्लूसिव कहकर दिखाया वह तो पौनो तीन साल पहले ही यूके के डेलीमेल ने छाप दी थी । तो क्या पौने तीन साल पुरानी ख़बर को अचानक एक्सक्लूसिव कहकर दिखाना बेईमानी का संयोग भर है या इसका मक़सद सत्ता पक्ष को हथियार मुहैया कराना है?
ग़ौरतलब है कि इस ख़बर को मेल टुडे ने भी छापा था जो टीवी टुडे का ही अख़़बार है। तारीख़ थी 1 फ़रवरी 2014 .
राहुल कँवल जिन दस्तावेज़ों को दिखा रहे थे वे पौने तीन साल पहले की ख़बर में भी मौजूद थे।
वैसे, राहुल कँवल ने 15 दिसंबर को इस सौदे के कथित बिचौलिये क्रिशचियन मिशेल का इंटरव्यू दिखाया। यूएई से लाइव मिशेल ने तमाम दस्तावेज़ों के जाली होने का दावा किया। सवाल यह भी उठाया कि जब उसे लिखना आता है तो वह बजटशीट को डिक्टेट क्यों कराएगा ?
बहरहाल बिचौलिया झूठ बोल सकता है। यूपीए सरकार ने भी इस डील को संदिग्ध मानते हुए सौदा रद्द किया ही था।
लेकिन करीब आधे घंटे के इस इंटरव्यू में राहुल कँवल वह सवाल पूछना क्यों भूल गए जिसकी ख़़बर उन्होंने खु़द की थी। सवाल यह कि इस सौदे में गाँधी परिवार का नाम बताकर तमाम आरोपों से बरी करने का लालच मिशेल को किसने दिया था। इसी साल 4 मई को राहुल ने यह ख़बर दी थी कि गाँधी परिवार को फँसाने के लिए मिशेल पर दबाव डाला जा रहा है। क्या राहुल का यह विस्मरण महज़ संयोग है ?
अब आइये स्टिंग अाँपरेशन पर। नोटबंदी के बाद ही देश के हर कोने में बीजेपी के नेता नए नोटों के बंडलों के साथ पकड़े गए, लेकिन आजतक के स्टिंग में सिर्फ विपक्षी दल के लोग हैं। यह अक्षमता का मामला है या सत्ता पक्ष की ओर से आँख मुूँद लेने का।
ध्यान रहे कि नोटबंदी के कुछ पहले बिहार में बीजेपी के ज़मीन ख़रीद मिशन की जानकारी आजतक जैसे सबसे तेज़ चैनल ने नहीं दी थी। यह कशिश न्यूज़ जैसे छोटे से चैनल की कोशिश थी। ऐसा क्यों है कि बीजेपी के मामले में यह ग्रुप आजकल आमतौर पर गच्चा ही खाता है।
सवाल यह भी है कि मिशेल की बजटशीट पौने तीन साल बाद भी एक्सक्लूसिव है तो फिर आजतक और इंडिया टुडे सहारा -बिड़ला के उन दस्तावेज़ों पर ऐसा ही फॉलोअप क्यों नहीं कर रहे हैं जिसमें गुजरात सीएम को करोड़ों रुपये देना दर्ज है। मिशेल के बजटशीट को पवित्र मानने वालों के लिए ये काग़ज़ात अश्पृश्य क्यों हैं ? मिशेल का इंटरव्यू विदेश से हो सकता है तो सीएम को पैसा दैने वाले जायसवाल जी को तो देश में ही पकड़ा जा सकता है !
वैसे, मोदी के हनुमान बनने की कोशिश में राहुल कँवल पहले भी पकड़े जा चुके हैं। काफ़ी पहले उन्होंने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री एटली को लिखि पं.नेहरू की एक चिट्ठी की ख़बर फोड़ी थी जिसमें नेताजी सुभाषचंद्र बोस को युद्ध अपराधी कहा गया था। राहुल ने इसे राजनीतिक भूकंप की संज्ञा दी थी। यह अलग बात है कि यह पूरी चिट्ठी पूरी तरह फ़र्ज़ी थी और पहले भी अख़बारों के चंडूख़ाने में जगह पा चुकी थी।
सुनिये, नेहरू की फ़र्ज़ी चिट्ठी को राजनीतिक भूकंप बताने वाले टीवी टुडे संपादक राहुल कँवल का फ़ोनो ! टोटल फ़्रज़ी….!