इंडिया टुडे की ‘अंतरराष्‍ट्रीय’ पत्रकारिता: पहले विवादास्‍पद कवर बनाओ, फिर अपनी पीठ खुजलाओ

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इंडिया टुडे पत्रिका पिछले दो दिनों से बहुत गर्व से इस बात की मुनादी कर रही है कि उसका 31 जुलाई का आवरण वायरल हो गया है और उसे पुरस्‍कृत किया गया है। पत्रिका के कवर पर चीन के मानचित्र की एक तस्‍वीर मुर्गी की तरह बनी है और उसके नीचे छोटा सा पाकिस्‍तान का नक्‍शा भी उसी आकृति में है। कहानी पाकिस्‍तानी अर्थव्‍यवस्‍था के चीन द्वारा उपनिवेश बना लिए जाने पर है।

इस आवरण चित्र पर चीन में काफी बवाल मचा है, लेकिन इसलिए नहीं कि चीन या पा‍किस्तान को मुर्गी दिखाया गया है। वजह यह है कि चीन के मानचित्र में से ताईवान और तिब्‍बत को उड़ा दिया गया है। इसके जवाब में चीनी मीडिया भी बराबर की कार्रवाई कर रहा है और भारत का विकृत मानचित्र पेश कर रहा है। इंडिया टुडे के बीजिंग संवाददाता अनंत कृष्‍णन ने इस बारे में ट्वीट किया है:

पत्रिका इस बात पर गर्व कर रही है कि सोसायटी ऑफ पब्लिकेशन डिजायनर्स ने इंडिया टुडे के इस कवर को कवर ऑफ द डे के रूप में चुना है। अपनी कहानी में पत्रिका ने इस बात पर एक शब्‍द भी नहीं लिखा है कि उसने आखिर जान-बूझ कर ताईवान और तिब्‍बत को चीन के नक्‍शे में क्‍यों नहीं दिखाया।

ज़ाहिर है, जब यह कवर चुना गया होगा तो संपादक से लेकर डिज़ाइनर तक सब इस बात से वाकिफ़ रहे होंगे कि नक्‍शा गलत बनाया गया है। मानचित्र में से ताईवान और तिब्‍बत को उड़ा देना सचेत कार्रवाई जिसकी मंशा ही इस आवरण पर विवाद खड़ा करना था वरना और कोई वजह दिखाई नहीं देती है। यह पत्रकारिता के नाम पर दो देशों के बीच भूराजनीतिक तनाव को उकसाने की एक कार्रवाई कही जानी चाहिए, लेकिन बेशर्मी का आलम यह है कि पत्रिका ने अपने सीईओ का सराहनीय बयान छापकर खुद अपनी पीठ खुजलाई है।

इंडिया टुडे के ग्रुप सीईओ आशीष बग्‍गा का स्‍टोरी में बयान है, ”एसपीडी, न्‍यूयॉर्क में नाम आना इस बात को दर्शाता है कि इंडिया टुडे पत्रकारिता में अंतरराष्‍ट्रीय मानकों को तय कर रहा है। प्रासंगिक मुद्दों पर मज़बूत पक्ष रखना असरदार रिपोर्ताज और विचार की निशानी है। इंडिया टुडे में हम इस बात से खुश है कि हमने सोचने-समझने वाले भारतीयों की अच्‍छी सेवा की है।”

अगर जानबूझ कर गलत मानचित्र छापना, उस पर विवाद खड़ा करना और फिर सम्‍मानित हो जाना ‘पत्रकारिता का अंतरराष्‍ट्रीय मानक’ है तो इस पर गंभीर तरीके से बात होती चाहिए। चीनी मीडिया ने बदले की जो कार्रवाई करते हुए भारत के नक्‍शे से छेड़छाड़ की है, वह भी गलत है लेकिन उसकी आपत्ति बिलकुल जायज़ है।

दूसरी ओर ताईवान के अख़बार इस बात से खुश हैं और वे भारत की बड़ाई कर रहे हैं।

सवाल उठता है कि इलाकों के स्‍वामित्‍व को लेकर लड़ाई अगर सरकारों के बीच है, तो उसमें ब्‍लैकमेल करने का काम कोई मीडिया क्‍यों करेगा? ताईवान और तिब्‍बत का डर दिखाकर चीन को ब्‍लैकमेल करना सरकार करे तो समझ में आता है लेकिन सरकार का प्रवक्‍ता बनकर यह काम इंडिया टुडे क्‍यों कर रहा है?

पत्रिका के मालिक और एडिटर-इन-चीफ़ अरुण पुरी इस बात से खुश हैं कि विवाद खड़ा करने के लिए जानबूझ कर बनाया गया यह कवर एसपीडी द्वारा सराहा गया है।

बिलकुल यही चीज़ तब देखने में आई थी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले के अपने भाषण से गिलगिट और बलूचिस्‍तान का जि़क्र किया था। उस वक्‍त भी तमाम प्रकाशनों ने बलूचिस्‍तान में पाकिस्‍तान के किए जुल्‍म पर स्‍टोरी की झड़ी लगा दी थी। इंडिया टुडे तब भी पीछे नहीं था।