अख़बारनामा: सरकार से निर्देश लेकर छपते अख़बारों के बीच सवालों का ‘टेलीग्राफ !’


प्रधानमंत्री द्वारा रफाल की चर्चा राजनैतिक बहस को आकार देने की कोशिश है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भाजपा का अभियान है।


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रफाल होता तो नतीजे दूसरे होते मतलब पायलट प्रोजेक्ट चला नहीं

संजय कुमार सिंह

आज इंडियन एक्सप्रेस की लीड है, प्रधानमंत्री ने कहा, भारत के पास रफाल होता तो नतीजे अलग होते। इस खबर के साथ एक फोटो छपी है जिसका कैप्शन है, (रक्षा मंत्री) निर्मला सीतारमण ने दिल्ली में भारतीय वायुसेना के पायलट अभिनंदन और उनके परिवार से मुलाकात की। द टेलीग्राफ ने इसी खबर को लीड बनाया है। सात कॉलम में शीर्षक है, रफाल डाउन्स मोदीज ‘पायलट प्रोजेक्ट’। मोटे तौर पर इसका मतलब हुआ, रफाल विमान न होने से मोदी का पायलट प्रोजेक्ट चल नहीं पाया। कहने की जरूरत नहीं है कि एक ही खबर को दोनों अखबारों ने बिल्कुल अलग ढंग से पेश किया है और प्रस्तुति भी बिल्कुल अलग है। दरअसल यही संपादकीय आजादी है। आइए देखें इन दोनों अखबारों के साथ बाकी के अखबार क्या कहते हैं।

इंडियन एक्सप्रेस में विंग कमांडर अभिनंदन और उनके परिवार के साथ रक्षामंत्री की फोटो। और टेलीग्राफ का लगभग उल्टा शीर्षक यूं ही नहीं है। असल में टेलीग्राफ ने इसके बाद की भी खबर दी है। टेलीग्राफ के मुताबिक, प्रधानमंत्री इंडिया टुडे कॉनक्लेव में बोल रहे थे और विषय था, मजबूत नेतृत्व वाले देश को डराने की कोशिश कोई नहीं करता। अखबार ने लिखा है कि यह नैरेटिव एक अभियान का हिस्सा था जिसकी शुरुआत विंग कमांडर अभिनंदन को भारत को सौंपे जाने के बाद सुबह 24 घंटे से भी कम समय में हो गई थी। मोदी ने चर्चा में न सिर्फ विवादास्पद रफाल सौदे को घुसेड़ा बल्कि दावा भी किया कि अब देश के अंदर और बाहर के दुश्मर डर से झुक रहे हैं। अखबार ने रफाल वाले बयान पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ के ट्वीट का हवाला दिया है और कहा है कि उनके बयान से सीमा के दोनों ओर मुद्दा मिल गया।

अखबार ने अपने मुख्य शीर्षक के तहत इस खबर को “पाकिस्तान की पार्टी ने प्रधानमंत्री के बयान को खुशी से लपका” शीर्षक के साथ छापा है और इमरान खान की पार्टी का ट्वीट भी छापा है। अंग्रेजी के इस ट्वीट का हिन्दी अनुवाद इस तरह होगा, सच्चाई लंबे समय तक छिपी नहीं रहती है। भारत में फर्जी खबरें बनाने वाले जब लगातार इतनी सारी फर्जी खबरें फैला रहे हैं तो नरेन्द्र मोदी की चूक (अंग्रेजी में स्लिप अप लिखा है) से इस बात की पुष्टि होती है कि हाल की झड़प में पाकिस्तान ने भारतीय वायु सेना को छका दिया। दूसरी ओर, इंडियन एक्सप्रेस ने इस खबर के साथ इमरान की पार्टी की प्रतिक्रिया तो नहीं ही छापी है मोदी के बयान को विस्तार दिया है और लिखा है, मोदी ने कहा कि देश एक आवाज में पूछ रहा है कि रफाल क्यों नहीं है। अखबार ने इस खबर के साथ बॉक्स में स्पष्ट किया है कि बालाकोट हवाई हमले के बाद प्रधानमंत्री द्वारा रफाल की चर्चा राजनैतिक बहस को आकार देने की कोशिश है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भाजपा का अभियान है।

टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी बालाकोट हमला और उससे संबंधित नुकसान की खबर को लीड बनाया है और अभिनंदन के परिवार के साथ रक्षा मंत्री की तस्वीर छापी है। हिन्दुस्तान टाइम्स ने अभिनंदन के इस आरोप को लीड बनाया है कि पाकिस्सान ने उन्हें मानसिक रूप से परेशान किया। सीतारमण की फोटो यहां भी इस खबर के साथ है। द हिन्दू ने पाकिस्तान के इस बयान को लीड बनाया है कि अभिनंदन को किसी दबाव में नहीं छोड़ा गया। अब इसके मुकाबले प्रधानमंत्री के दावे को देखिए और उनके दावे के बाद इमरान की ट्वीट पर जैसे टेलीग्राफ ने खबर बनाई है वैसी खबर पाकिस्तान के इस दावे के साथ भी बनाई जा सकती है। पर ऐसा कर सकने वाले अखबारों की संख्या सीमित है। रक्षा मंत्री की फोटो यहां भी लीड के साथ है। कल मैंने लिखा था कि जनसत्ता में हमलोग अखबार देखकर समझ जाते थे कि साथियों में किसने बनाया होगा। आजकल के अखबारों को देखकर लगता है कि सब किसी एक निर्देश का पालन कर रहे हैं। 

हिन्दी अखबारों में दैनिक भास्कर ने हवाई हमले पर भारत या पाकिस्तान का नहीं, अमेरिका का पक्ष छापा है। और इसके साथ रक्षा मंत्री की फोटो भी है। फोटो के साथ खबर है, अभिनंदन ने रक्षा मंत्री को बताया, “पाकिस्तानी सेना ने शारीरिक नहीं, मानसिक प्रताड़नाएं दीं”।  अमर उजाला में लीड अभिनंदन को मानसिक यंत्रणा देने की खबर है और शीर्षक में यह भी बताया गया है कि पाकिस्तान ने पिस्टल और मैप नहीं लौटाए। अखबार में इस खबर के साथ रक्षा मंत्री की फोटो नहीं है। रक्षा मंत्री की फोटो एक और खबर के साथ है। इस खबर का शीर्षक है,  “भारत बदल सकता है, शब्दों के मायने, अभिनंदन का अर्थ ही बदल गया : मोदी”। दैनिक जागरण में टॉप पर तीन कॉलम में दो लाइन का शीर्षक है,  पाकिस्तान में विंग कमांडर अभिनंदन को दी गई मानसिक प्रताड़णा। इसके साथ दो कॉलम में रक्षा मंत्री की फोटो और खबर है, रक्षा मंत्री और परिजनों ने की मुलाकात।

दैनिक हिन्दुस्तान में भी तीन कॉलम में खबर है, “अभिनंदन लड़ाकू विमान उड़ाएंगे या नहीं, फैसला तीन जांच के बाद”। इस खबर के साथ रक्षा मंत्री की फोटो और मानसिक प्रताड़ना की खबर भी है। मूल खबर पर मदन जैड़ा की बाइलाइन है यानी खबर एक्सक्लूसिव है। नवोदय टाइम्स में, पाक सेना ने किया मानसिक उत्पीड़न लीड है। इसके साथ रक्षा मंत्री की फोटो है और खबर का शीर्षक है, अभिनंदन से मुलाकात कर बोलीं रक्षा मंत्री, हमें आप पर गर्व है। नवोदय टाइम्स ने पहले पेज पर नरेन्द्र मोदी की फोटो के साथ एक खबर चार कॉलम में विस्तार से छापी है और इसका बाकी हिस्सा अंदर के पन्ने पर। मैं शीर्षक, उपशीर्षक और इंट्रो बता देता हूं इससे आप समझ जाएंगे कि चुनाव की तैयारियों के क्रम में प्रधानमंत्री ने क्या-क्या कहा और अखबार ने कितनी सफाई से उन्हें बाकी खबरों से अलग कर दिया है। कल मैंने लिखा था कि विंग कमांडर अभिनंदन के भारत आने की खबर को मैं दूसरे दिन लीड नहीं बनाता। इसी तरह मैं कहूंगा कि चुनावी भाषणों में रोज कुछ न कुछ नया होता है और गर्मा गर्म भी। फिर भी, उसे रोज लीड नहीं बनाया जाएगा ना दूसरी खबरों से घालमेल कर बाकी खबरों का जायका खराब किया जाना चाहिए।

इस लिहाज से नवोदय टाइम्स ने अच्छा काम किया है। अखबार की इस खबर का शीर्षक है, “मोदी विरोध की जिद में आतंक के सरपरस्तों को सहारा न दें”। उपशीर्षक है, “बोले पीएम, कुछ लोग कर रहे हैं अपने ही देश का विरोध” और इंट्रो है, “राफेल की जरूरत अब महसूस हुई, इसपर राजनीति न करें”। आप जानते हैं कि इमरजंसी के दौरान खबरें सेंसर की जाती थीं। कल मैंने बताया था कि जनसत्ता में हमलोग अखबार देखकर समझ जाते थे कि साथियों में किसने बनाया होगा और अब अखबारों की हालत यह है कि खबरें अघोषित तौर पर सेंसर तो होती ही हैं देखकर लगता है कि सब एक निर्देश का पालन करते हैं। आज का निर्देश समझ में आया?

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। जनसत्ता में रहते हुए लंबे समय तक सबकी ख़बर लेते रहे और सबको ख़बर देते रहे। )