बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर में 2017 के ‘ऑक्सीजन कांड’ में निलंबित डॉक्टर कफील खान को दो साल बाद विभागीय जांच रिपोर्ट में सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया है. प्रमुख सचिव की अगुवाई में हुई जांच के बाद डॉक्टर कफील पर लगाए गए आरोपों में सच्चाई नहीं पाई गई.
BRD Hospital, Gorakhpur infants death case: Dr Kafeel Khan says, Inquiry Officer has admitted that ‘Dr. Kafeel brought 500 oxygen cylinders in 54 hours. He hasn’t committed any negligence. All the allegations levelled against him are irrelevant & without any substance' pic.twitter.com/nn9DQmXnvR
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 27, 2019
इस मामले में जांच अधिकारी हिमांशु कुमार, प्रमुख सचिव (टिकट और पंजीकरण विभाग) को यूपी के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने बीते 18 अप्रैल को रिपोर्ट सौंपी थी.
इस रिपोर्ट में कहा गया था कि कफील ने लापरवाही नहीं की थी और उस रात (10-11 अगस्त 2017) स्थिति पर काबू पाने के लिए सभी तरह के प्रयास किए थे. जांच की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. कफील अपने सीनियर अधिकारियों को ऑक्सीजन की कमी के बार में पहले ही इत्तला कर चुके थे.
रिपोर्ट में कहा गया है कि घटना वाली रात में डॉ. कफील ने बच्चों को बचाने के लिए भरपूर प्रयास किया था. डॉ. कफील उस रात अपने प्रयास से ऑक्सीजन सिलेंडर ले आये थे. उनकी तरफ से किसी तरह की लापरवाही नहीं हुई थी.
इस रिपोर्ट के आने के बाद डॉ. कफील ने कहा है कि सरकार मृत बच्चों के परिजनों से माफ़ी मांगे और उन्हें मुआवजा दें.
Those parents who lost their infants are still waiting for the justice.I demand that government should apologize and give compensation to the victim families.@PTI_News @TimesNow @myogiadityanath @narendramodi @ndtv @ravishndtv @abhisar_sharma @yadavakhilesh @RahulGandhi @UN pic.twitter.com/WaTwQSCUuZ
— Dr Kafeel Khan (@drkafeelkhan) September 27, 2019
18 अप्रैल 2019 को शासन को रिपोर्ट भेज कर डॉ. कफील को निर्दोष बताया था. फिर रिपोर्ट को चार महीने से अधिक समय तक दबाकर क्यों रखा गया?
बता दें कि दो साल पहले 2017 को 10 से 11 अगस्त के बीच बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से लगभग 70 बच्चों की मौत हो गई थी.
गौरतलब है कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल, गोरखपुर ऑक्सीजन कांड में लगे आरोप के लिए कफील को 9 महीने जेल में बिताना पड़ा था. इसके बाद वे बेल पर थे. हालांकि, अभी तक वो सस्पेंड चल रहे थे. डॉ. काफील ने इस मामले में सीबीआई जांच की भी मांग की थी.
इस रिपोर्ट के आने के बाद योगी सरकार की नियत पर सवाल खड़े हो गये हैं. सवाल है कि इतनी बड़ी घटना के लिए एक मुसलमान डॉक्टर को बिना जांच के क्यों टारगेट किया गया ? क्यों उनकी नौकरी गई और जेल हुई ? कौन लौटाएगा जेल में बिताये उनके 9 महीने?
क्या यह साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए नहीं किया गया? क्यों डॉ. कफील को उसकी सज़ा मिली जो अपराध उन्होंने किया ही नहीं. जांच रिपोर्ट में साफ़ लिखा है कि डॉ. कफील ने बच्चों को बचाने के लिए भरपूर प्रयास किये थे. योगी सरकार को इन सवालों का जवाब देना ही चाहिए. वरना लोगों का संदेह यकीन में बदल जायेगा.