उत्तर प्रदेश के चर्चित सामाजिक संगठन रिहाई मंच का फेसबुक पेज पिछले पांच दिन से ‘सीमित’ कर दिया गया है। पिछले पांच साल से चल रहे इस पेज के 12000 से ज्यादा फॉलोवर हैं जिन्हें एक झटके में अपने काम की खबर मिल जाती है। पिछले दिनों बिहार के नवादा में 5 अप्रैल को हुई सांप्रदायिक घटनाओं की ज़मीनी रिपोर्टिंग के बाद इस पेज को फेसबुक की ओर से आधिकारिक सूचना मिली कि पेज को ”लिमिट” किया जा रहा है। भारत के संविधान में अनुच्छेद 19(अ) के अंतर्गत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मूलभूत अधिकार नागरिकों को दिया गया है। क्या फेसबुक के ऊपर भारत का संविधान लागू नहीं होता, कि वह अपनी मनमर्जी जिसे चाहे उसकी अभिव्यक्ति को ”सीमित” किए दे रहा है?
पेज ”लिमिट” करने का क्या मतलब है? फेसबुक की पेज पॉलिसी कहती है कि किसी पेज को तभी सीमित किया जा सकता है अगर उससे स्पाम संदेश पैदा हो रहे हों या फिर अनैतिक तरीकों से लाइक मंगाए जा रहे हों। तीसरी आशंका यह हो सकती है कि किसी पाठक ने पेज की शिकायत की हो। चूंकि रिहाई मंच की ओर से लगातार सांप्रदायिक घटनाओं के खिलाफ रिपोर्टिंग की जाती रही है और वह भी खबरों की शक्ल में, लिहाजा स्पाम संदेश पैदा होने का सवाल ही नहीं उठता है। गलत तरीके से लाइक मंगवाए जाने का भी मामला नहीं है क्योंकि 12000 से ज्यादा लाइक सब के सब ऑर्गेनिक हैं यानी पैसे देकर नहीं खरीदे गए।
बहुत संभव है कि किसी ने इस पेज की शिकायत की रही हो। यह इस तथ्य से भी ज़ाहिर होता है कि फेसबुक ने पेज की समीक्षा कर के अंतिम फैसला देने की एक तारीख मुकर्रर की है जो 9 मई है। तब तक यह पेज अस्थायी रूप से सीमित रहेगा। सीमित किए जाने का मतलब यह है कि पेज की फीड लाइक किए लोगों की समाचार फीड में दिखाई नहीं देगी। इसका मतलब यह है कि आप कुछ भी लिखते रहिए, फेसबुक उसे पाठकों तक नहीं पहुंचने देगा।
यह रिहाई मंच की पोस्ट की गई खबरों में साफ़ दिख भी रहा है। नवादा वाली घटना की जांच करने गई मंच की टीम ने लौटकर 1 मई को जब ज़मीनी रिपोर्ट पोस्ट की थी, तो अपेक्षा के मुताबिक ठीकठाक लाइक और शेयर हुए थे जो 12000 लाइक के अनुपात में ही थे। प्रतिनिधिमंडल में रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव, लेख़क पत्रकार शरद जायसवाल, पटना हाई कोर्ट अधिवक्ता अभिषेक आनंद, सामाजिक कार्यकर्ता गुंजन सिंह, समाज वैज्ञानिक डॉ राजकुमार, रिहाई मंच नेता लक्ष्मण प्रसाद और रिहाई मंच प्रवक्ता अनिल यादव शामिल रहे. प्रतिनिधि मंडल के साथ इंसाफ इंडिया के अध्यक्ष मुस्तकीम सिद्दीकी के साथ नौशाद मलिक, सुल्तान कारी भी शामिल थे। इस प्रतिनिधिमंडल की रिपोर्ट जब वेबसाइटों पर छपनी शुरू हुई और पेज पर पोस्ट होने लगी, तो अचानक इस पर आने वाला ट्रैफिक लगभग खत्म हो गया और फेसबुक ने पेज को लिमिट करने का नोटिस भेज दिया।
पिछले पांच दिन से यहां जो कुछ पोस्ट किया जा रहा है, ऐसा साफ़ लग रहा है कि वह 12000 लोगों की समाचार फीड में नहीं जा पा रहा। पहले भी ऐसी स्थिति कई पेजों के साथ आ चुकी है। कुछ दिन पहले जनज्वार वेबसाइट के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ था। सूचनाओं के अकाल और फर्जी खबरों की बाढ़ के इस दौर में अगर सही खबरों को इस तरीके से सोशल मीडिया पर रोका जा रहा है, तो यह बेहद खतरनाक संकेत है और आने वाले दिनों की आहट है।
रिहाई मंच के प्रवक्ता राजीव यादव ने लिखा है, ”दोस्तों, पिछले दो दिनों से रिहाई मंच के पेज पर ‘आपके पेज की पोस्ट को समाचार फीड में दिखाई देने से ब्लाक किया गया है और इसकी सीमा अस्थायी है और इसकी समय सीमा 9 मई को 4:42 पूर्वाह्न बजे को समाप्त हो जाएगी’ इस तरह का एक मैसेज आने के बाद से पेज सक्रिय नहीं है। इसकी तकनीकी दिक्कतों के बारे में जो साथी कुछ बता सकें तो बेहतर होगा। हम अपनी सूचनाओं को पेज पर लगातार पोस्ट कर रहे हैं। ऐसे में जब तक यह दिक्कत आ रही है कृपया आप पेज को सर्च कर खुद विजिट करें जिससे हमारी सूचनाएं आपके के माध्यम से आप और आपके तमाम दोस्तों तक पहुंच सके।”