मीडियाविजिल डेस्क
शुक्रवार को देश की संसद में तेलुगुदेसम पार्टी के लाए अविश्वास प्रस्ताव पर जहां दिन भर बहस होती रही वहीं देश भर के करीबन 200 किसान संगठनों ने अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय के बैनर तले देश की संसद के सामने मोदी शासन के खिलाफ़ किसानों का अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दिया।
यह ख़बर लिखे जाने तक लोकसभा में प्रधानमंत्री का बयान तक नहीं हुआ था, अविश्वास प्रस्ताव पर मत विभाजन की बात तो दूर रही। पूरा मीडिया और देश शुक्रवार को जहां नेताओं के भाषणों में उलझा रहा, किसी का भी ध्यान नहीं गया कि हज़ारों की तादाद में अलग-अलग राज्यों से किसानों ने संसद मार्ग पर जुटकर इस सरकार को अविश्वसनीय करार दे दिया।
MSP धोखा – भंडाफोड़ मार्च :
Farmer's have also moved No-Confidence motion against Modi Gov. for neglecting farmers and their issues even after several warnings. Thousands of farmers march towards Sansad Bhawan in Delhi today. pic.twitter.com/XSP7XjykKD— Swaraj Abhiyan (@swaraj_abhiyan) July 20, 2018
दिलचस्प यह है कि संसद के भीतर तकरीबन हर एक विपक्षी नेता ने किसानों की बात की लेकिन किसी ने भी इस बात का जिक्र करना ज़रूरी नहीं समझा कि संसद के बाहर ये किसान अपनी समस्याओं को लेकर जुटे हुए हैं और सदन में मत विभाजन से काफी पहले ही उन्होंने इस सरकार को अविश्वसनीय करार दे दिया है।
किसानों की महारैली में किसानों के अविश्वास प्रस्ताव के मुद्दे योगेंद्र यादव सहित कई नेताओं ने रखे। उनमें शामिल थे डॉ. दर्शनपाल, जगमोहन सिंह, अतुल कुमार अंजान, आशीष मित्तल, मेधा पाटकर, कविता कुरुगंती, डॉ. सुनीलम व सांसद राजू शेट्टी। जिन राष्ट्रीय दलों के प्रतिनिधियों ने समर्थन पर वक्तव्य दिये उनमें थे शरद यादव, अली अनवर, सीताराम येचुरी, दीपांकर भट्टाचार्य, त्रिलोकचंद त्यागी व अरविंद सावन।
#AIKSCC comprising of 200 farmers organizations, organized a Black Flag Protest March named Modi ka MSP Dhokha Hai from Mandi House to Parliament Street, Delhi today. Thousands of farmers joined the March, denouncing the false claims being made by the Modi Government about MSP. pic.twitter.com/jJZOdEgbw3
— Swaraj India (@_SwarajIndia) July 20, 2018
किसान अविश्वास प्रस्ताव के प्रमुख मुद्दे निम्नलिखित रहे:
- मोदी शासन चुनावी घोषणा और घोषणापत्र को भूलकर किसानों को उनकी उपज का स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश पर आधारित सही MSP यानी न्यूनतम दाम नहीं दे पाई है। उन्होंने इसी महीने में, फिर कमज़ोर MSP, मात्र खरीफ फसलों के लिए घोषित करके किसानों के साथ धोखा किया है। घोषित नया MSP सही लागत व C2 पद्धति से न आंकते हुये मात्र लागत के दस या 20 प्रतिशत अधिक लाभ देना धोखा नहीं तो और क्या।
- मोदी शासन ने सूखा और आपदा के दौरान किसानों को राहत नहीं दी। कभी आर्थिक कमजोरी का कारण दिया लेकिन प्रत्यक्ष में ‘फसल बीमा’ योजना के द्वारा कंपनियों को हज़ारों करोड़ो रुपए का मुनाफा दान किया।
- मोदी शासन ने 2013 तक भू-अधिग्रहण कानून, पेसा कानून, भूमी संबंधी नियम/कानून नकार कर तथा बदल कर कई बड़ी बड़ी परियोजनाओं के लिए भूमि जबरन अधिग्रहित की या हड़प ली। आदिवासी किसानों का जल, जंगल, जमीन छीनकर अपनी जबरदस्ती बेहद आगे बढ़ाई है।
- मोदी शासन ने कंपनियों को लाख करोड़ रु. की छूट तथा करोड़ो रु. की संपत्ति बख्शी है। कार्पोरेट और किसानों के बीच की दूरी को बढ़ाया गया है। कंपनियों के पक्ष में कोई नीति नहीं, भावान्तर जैसे निर्णय से मात्र व्यापारियों को लाभ पहुंचाया गया है।
- किसानों को सातवें वेतन नहीं, मेहनत व प्राकृतिक सम्मान नहीं, और कर्जे के बोझ से आत्महत्याएं बढ़ रही हैं, तो भी देशभर में उठे आक्रोश के बावजूद संपूर्ण कर्जमुक्ति नहीं।
मोदी शासन के इन तमाम कारनामों के चलते, ‘मोदी सपोर्ट प्राइज’ के रूप में धोखा देते, इस देश के किसान, जाति-मजहब-प्रान्त के पार, एक होकर किसानों की ओर से शासन पर अविश्वास घोषित किया गया।
हम यह अविश्वास प्रस्ताव पारित करते हैं।