गिरीश मालवीय
छुहारे की मौत मरेगा पाकिस्तान : ऐसी हेडिंग दी जा रही है पाकिस्तान के व्यापार पर भारत द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने वाली खबरों को लेकर। पता नही विचारधारा के स्तर पर, भाषा के स्तर पर इतना दरिद्र भारत का मीडिया आज से पहले कब था? और सबसे बड़ी बात तो इस उन्माद के नाम पर झूठे प्रचार की हद पार की जा रही है। मीडिया बता रहा है कि पाकिस्तान में टमाटर 300 रुपये किलो बिक रहा है, क्योंकि भारत ने पुलवामा हमले के बाद टमाटर देना बंद कर दिया है। हक़ीक़त ये है कि टमाटर का यह निर्यात बंद हुए लगभग दो साल हो रहे हैं।
यह सच है कि पाकिस्तान बाजार में टमाटर बहुत महंगे दामो पर मिल रहे हैं। वहां के बाजारों में टमाटर की कीमत तकरीबन 300 रु किलो हो गयी है। इस संबंध में पाकिस्तानी मीडिया के कुछ वीडियो भी वायरल किये जा रहे हैं। लेकिन यह आज की ही बात नही है। 4 महीने पहले ही यह खबरें आ गयी थी कि पाकिस्तान के कुछ भागों में टमाटर की कीमत 300 रुपये किलो होने के बावजूद पाकिस्तान भारत से टमाटर का आयात नहीं करेगा। पाकिस्तान के खाद्य सुरक्षा मंत्री सिकंदर हयात बोसन ने उस वक्त ही स्पष्ट कहा दिया था कि पिछले एक साल से भी अधिक समय से पाकिस्तान के साथ भारत का कारोबार बंद कर दिया गया है, और अभी पाकिस्तान, चीन से टमाटर का आयात कर रहा ।
दरअसल 2016 तक पाकिस्तान भारत से टमाटर आयात कर रहा था। मनी भास्कर की खबर बताती हैं कि ‘पाकिस्तान हर साल भारत से 50,000 टन टमाटर का आयात करता था। लेकिन भारत पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के कारण पिछले साल से भी अधिक समय से पाकिस्तान के साथ भारत का कारोबार बंद है।’ एक पाकिस्तानी न्यूज़ वेबसाइट लिखती है ‘ Mozam Raza, deputy collector Customs posted at Wagah while talking to The News confirmed that not a single consignment of tomatoes or any other vegetables had crossed the Wagah-Attari border after December 2016. । पंजाब केसरी पिछले महीने 29 जनवरी को रिलीज अपनी खबर में बताता है कि ‘आई.सी.पी. अटारी पर पिछले छह वर्षों के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि पिछले वर्षों के दौरान पाकिस्तान को टमाटर, प्याज व अन्य वस्तुओं का भारी मात्रा में एक्सपोर्ट किया जाता रहा है लेकिन मौजूदा समय में पाकिस्तान टमाटर सहित अन्य किसी भी प्रकार की सब्जी को एक्सपोर्ट करने की भारतीय व्यापारियों को इजाजत नहीं दे रहा है। यहां तक कि एक पाकिस्तान नेता का बयान था कि ‘500 रुपए किलो में टमाटर खा लेंगे लेकिन भारत का टमाटर प्रयोग नहीं करेंगे।’
तो फिर हमारे मीडिया
चैनल और बड़े बड़े पत्रकार क्यो इस झूठ को फैलाने में लगे हैं कि पुलवामा के बाद
भारत द्वारा पाकिस्तान को टमाटर निर्यात बन्द किए जाने से वहाँ टमाटर महंगा हो गया
है। इस तरह की फेक न्यूज़ को फैलाने की जिम्मेदारी
किसकी हैं? वैसे कमाल की खबर तो
यह भी है कि सीमा पर तनाव के बावजूद मौजूदा वित्त वर्ष के पहले 7 महीनों में भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार में
करीब 5 फीसदी वृद्धि दर्ज
की गयी थी। यानी एक तरफ तो मोदी सरकार पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाने की बात
करती रही लेकिन साथ ही व्यापार भी बढ़ाती गयी। पुलवामा हमले के बाद उसे जनता को
मीडिया के जरिए कुछ ठोस कार्यवाही करने का भरोसा देना था इसलिए तुरंत पाकिस्तान का
MFN दर्जा (मोस्ट फेवर्ड
नेशन या तरजीही मुल्क) समाप्त कर दिया गया। हद तो ये कि पाकिस्तान ने भारत को कभी MFN का दर्जा दिया ही नहीं था।
क्या आप जानना चाहेंगे कि पाकिस्तान के कुल आयात का भारत का कितना हिस्सा है।
पाकिस्तान के शीर्ष आयातक देश चीन ($15.2 अरबों), संयुक्त अरब अमीरात ($6.95 अरबों), सऊदी अरब ($2.53 अरबों), इंडोनेशिया ($2.46 अरबों) और जापान ($2.37 अरबों) रहे है। पाकिस्तान से हमारा आयात महज 44.8 करोड़ डॉलर का ही है, जो भारत
के कुल आयात के 0.01 प्रतिशत
से तथा पाकिस्तान के कुल निर्यात के 2 प्रतिशत से भी कम है। अब बताइये आपके द्वारा छुहारे लेने से इनकार
करने का क्या मतलब है?
पाकिस्तान सालाना कुछ लाख डॉलर्स मूल्य का निर्यात ही भारत को करता है जो उसके ओर हमारे विदेशी व्यापार में महत्वहीन रकम है। यह छुहारे, लौकी, टिंडे की खबरें आपको सिर्फ इसलिए बताई या सुनाई जा रही है ताकि आपको लगे कि यह सरकार कुछ कर रही है।
यह गिरावट का दौर है और रोज नए प्रतिमान लांघे जा रहे है। याद आता है कि जब नोटबन्दी हुई और उसे उस वक्त काले धन के खिलाफ सबसे बड़ी कार्रवाई बताया गया तो एक जानेमाने अर्थशास्त्री ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि बड़ी सरल सोच से काम लिया जा रहा है। इन्हें लगता है कि बड़े लोगो ने काला धन अपने गद्दों में छुपाकर रखा हुआ है? आज दो साल बाद हम उनकी प्रतिक्रिया पर विचार करते हैं तो हम पाते हैं कि वह सच कह रहे थे, लेकिन उस वक्त मीडिया ने जो माहौल बना दिया था उसने एक आम आदमी के विचार करने की शक्ति का अपहरण कर लिया। आज भी बिल्कुल वही माहौल बनाया जा रहा है। आज भी आम आदमी की सोचने समझने की शक्ति का इन मीडिया हाउस के द्वारा हरण किया जा रहा है।
लेखक आर्थिक मामलों के जानकार हैं।