क्या डेकन क्रॉनिकल पर छापामारी के बाद अगली बारी टाइम्स समूह की है? ध्यान रहे कि प्रवर्तन निदेशालय ने डेकन क्रॉनिकल समूह की 263 करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली है जिसमें ज़मीन, आवासीय जायदाद, शेयर, बैंक बैंलेंस, आलीशान कारें और विदेशी मुद्रा भी शामिल है। यह कार्रवाई बैंकों से लिए गए कर्ज के मामले में हुए 1162 करोड़ के फर्जीवाड़े से जुड़ी है जिसे तीन दिन पहले अंजाम दिया गया है। अब अटकलें लगाई जा रही हैं कि कुछ और मीडिया समूह ऐसी कार्रवाई की जद में आ सकते हैं।
इनमें सबसे पहला नाम बेनेट कोलमैन कंपनी लिमिटेड यानी बीसीसीएल का आ रहा है जो देश का प्रतिष्ठित अखबार इकनॉमिक टाइम्स और टाइम्स ऑफ इंडिया प्रकाशित करता है तथा टाइम्स नाउ चैनल चलाता है। एक वेबसाइट politicsparty.com कहती है कि अगले एक महीने के भीतर मोदी विरोधी सभी मीडिया को निशाना बनाया जाएगा। वेबसाइट पर उसके संपादक प्रियदर्शिनी सिद्धार्थ रेड्डी लिखते हैं–
”सभी के हाथ में पत्थर है। सब धैर्य से इंतज़ार कर रहे हैं कि उसे पहला पत्थर कौन मारे जो प्रधानमंत्री के खिलाफ मूर्खतापूर्ण जंग छेड़े हुए है। पहला पत्थर जैसे ही फेंका जाएगा, हर कोई पत्थर फेंकेगा… भविष्यवाणी कहती है कि भारत के सबसे बड़े मीडिया मालिकान पर सबसे पहला पत्थर आयकर अधिकारियों के साथ मिलकर प्रवर्तन निदेशालय फेंकेगा। इसीलिए हर कोई उस मालिक से दूर भाग रहा है क्योंकि कोई भी पत्थरों की जद में नहीं आना चाहता।”
इस वेबसाइट की सामग्री देखने में तो प्रचारात्मक लगती है, लेकिन स्टोरी में आगे इकनॉमिक टाइम्स के ग्लोबल बिज़नेस समिट 2017 में 40 मिनट पहले मोदी और उनके मंत्रियों के न जाने की बहुप्रचारित और विवादास्पद घटना का सहारा लेकर ऊपर का दावा किया गया है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी को इस समिट का उद्घाटन करना था जिसकी मंजूरी वे दे चुके थे। आखिरी वक्त पर इसकी मंजूरी कथित ‘सुरक्षा कारणों’ से रद्द की गई, जिसके बाद तीन कैबिनेट मंत्री समेत आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू तक वहां नहीं पहुंचे।
सबसे पहले इस संबंध में ख़बर चलाने वाली वेबसाइट न्यूज़लॉन्ड्री के मुताबिक बहुत संभव है कि उत्तर प्रदेश चुनाव में बीजेपी के खिलाफ चलाए गए प्रचार और टाइम्स समूह के एमडी विनीत जैन के नोटबंदी पर किए गए ट्वीट से प्रधानमंत्री नाराज़ रहे हों। रेड्डी लिखते हैं कि टाइम्स समूह को उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी सरकार से उसके पक्ष में प्रचार चलाने के एवज में 100 दिनों में 100 करोड़ का विज्ञापन राजस्व प्राप्त हुआ था। इसके बदले एक डील हुई थी कि अखिलेश यादव को उच्च प्रदर्शन वाला मुख्यमंत्री दर्शाया जाए। इस साइट पर टाइम्स समूह को नोएडा में यूपी सरकार द्वारा दी गई करीब 50 एकड़ जमीन का भी हवाला है और कहा गया है कि अखिलेश सरकार ने जीत के बाद समूह के प्रस्तावित विश्वविद्यालय में भारी निवेश करने का वादा किया था।
रेड्डी की बातों से सहमति जताने की एक वजह यह दिखती है कि यूपी चुनाव के दौरान अखिलेश सरकार को कवर कर रही इकनॉमिक टाइम्स की पत्रकार रोहिणी सिंह ने एकतरफ़ा तरीके से ट्वीट किए थे। ईटी ग्लोबल समिट में पीएम के जाने से इनकार के बाद रोहिणी ने अपने पिछले तमाम ट्वीट डिलीट कर दिए हैं। इसे लेकर ट्विटर पर उन्हें खूब खरीखोटी सुनाई गई है।
वेबसाइट की मानें तो टाइम्स समूह के मालिकान ने अब मोदी सरकार के खिलाफ़ खुले रूप में जंग छेड़ दी है और आदेश जारी किए हैं कि प्रधानमंत्री मोदी व बीजेपी को किसी भी प्रकाशन व टीवी चैनल में कवरेज न दी जाए। इसी संबंध में रेड्डी लिखते हैं कि बहुत जल्द जांच एजेंसियां टाइम्स ऑफ इंडिया के परिसरों पर छापा मार सकती हैं और मालिकान को गिरफ्तार कर के पैसों की हेरफेर के संबंध में पूछताछ की जा सकती है।
प्रियदर्शिनी सिद्धार्थ रेड्डी एक ज़माने में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की किचन कैबिनेट के सदस्य हुआ करते थे। आंध्र प्रदेश यूथ कांग्रेस से लाकर उन्हें राजीव ने अमेठी का चुनाव प्रभारी बनाया था। सिद्धार्थ रेड्डी के छोटे भाई प्रियदर्शिनी राम साक्षी टीवी के सीईओ हुआ करते थे। रेड्डी का राजनीतिक झुकाव इधर बीच स्पष्ट नहीं है, लेकिन जिस तीव्रता से वे आजकल अपनी वेबसाइट पर नरेंद्र मोदी और बीजेपी की प्रशंसा में वक्त बिता रहे हैं, माना जा सकता है कि सत्ता के गलियारों में पुरानी पैठ होने के नाते उनकी बात में कुछ तो दम होगा।
आखिरी मौके पर टाइम्स समूह के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री का न जाना एक ऐसी घटना है जिसके दूरगामी निहितार्थ हो सकते हैं।