जर्मनी की मशहूर पत्रिका Der Spiegel ने ताज़ा अंक में कवर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की जो तस्वीर छापी है, वह बेशक विवाद पैदा कर रही है लेकिन अगर ऐसा कुछ भारत में होता तो अब तक देश के किसी कोने में अमेरिकी राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत कोई न कोई माई का लाल इस पर मानहानि का मुकदमा ठोक चुका होता। याद करें अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव जब भारत में ट्रम्प की जीत के लिए कुछ लोग यज्ञ और हवन कर रहे थे। ज़ाहिर है, उन्हें इस कवर से ठेस पहुंची होगी जिसमें ट्रम्प के एक हाथ में खंजर दिखाया गया है तो दूसरे हाथ में स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी का खून से रिसता सिर है।
जर्मनी के कुछ अखबारों ने इस कार्टून की आलोचना की है। कार्टूनिस्ट एडेल रोड्रिग्ज़ इसकी व्याख्या करते हुए इसे ”लोकतंत्र की हत्या” का प्रतीक कहते हैं। यह मुखपृष्ठ दिसंबर 2015 में न्यूयॉर्क डेली न्यूज़ के कवर की तरह है जिसमें ट्रम्प को स्टैच्यू का सिर कलम करते दिखाया गया था, हालांकि वह तस्वीर इतनी भयावह नहीं थी।
अकेले कवर ही नहीं, बल्कि Der Spiegel की संपादकीय लाइन भी इस तस्वीर की व्याख्या की पुष्टि करती है। पत्रिका के संपादक क्लॉस ब्रिकबॉमर लिखते हैं कि ट्रम्प ”शीर्ष से तख्तापलट करने का प्रयास कर रहे हैं” और एक ”अनुदार लोकतंत्र की स्थापना” करना चाहते हैं।
भारत में 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद कई तबकों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी कुछ इसी किसम की शिकायत थी, लेकिन इस सरकार का ढाई साल बीत जाने के बाद भी आज तक किसी प्रकाशन ने इसकी तुलना वाली कोई तस्वीर या कार्टून प्रकाशित करने की हिम्मत नहीं दिखायी है।
इससे पहले अंग्रेज़ी की पत्रिका दि इकनॉमिस्ट ने ऐसा ही एक कवर छापा था जिसमें ट्रम्प को मोलोतोव कॉकटेल फेंकते हुए दर्शाया गया था। कहीं ज्यादा करीबी मुखपृष्ठ न्यूयॉर्कर का था जिसमें स्अैच्यू ऑफ लिबर्टी के हाथ में थमी मशाल को बुझा हुआ दिखाया गया था जिसमें से धुआं निकल रहा था।