केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने दिव्यांग समाज का अपमान किया है। मामला वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में विपक्ष के महागंठबंधन की संभावना से जुड़ा है। इस पर व्यंग्य करते हुए केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने समाचार एजेंसी एएनआइ से कहा- “सौ लंगड़े मिलकर एक पहलवान नहीं बन सकते।“
ऐसा करना “दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016“ के तहत दंडनीय अपराध है। कोई दिव्यांग मामला दर्ज करा दे, तो पांच साल तक सजा और जुर्माना संभव है।
इस गंभीर मामले में मुख्यधारा की पत्रकारिता भले ही मौन हो, मीडिया विजिल लगातार नजर बनाए हुए है। मीडिया विजिल में विस्तार से बताया जा चुका है कि रामविलास पासवान ने किन धाराओं का उल्लंघन किया है।
देखें —
‘सौ लंगड़े’ पर पासवान को सज़ा होनी चाहिए, मीडिया ताली ठोंक रहा है !
इस बीच विकलांग आंदोलन संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री देव शर्मा ने 23 मार्च को शहादत दिवस पर देश भर में “हल्ला बोल“ का आह्वान किया है। इस दौरान जगह-जगह केंद्रीय मंत्री के पुतले फूंके जाएंगे और प्रधानमंत्री को फैक्स भेजकर बर्खास्तगी की मांग की जाएगी।
उधर, विकलांग आंदोलन संघर्ष समिति के राजस्थान प्रदेश संयोजक श्री रतनलाल बैरवा ने 19 मार्च 2017 को जयपुर के ज्योतिनगर थाना में शिकायत दर्ज कराई है। इसे परिवाद संख्या पी-जे-618 के तहत दर्ज किया गया है। इसकी जांच हेतु श्री अनिल कुमार को नामित अधिकारी बनाया गया है।
शिकायत इस प्रकार है-
सेवा में
थानाधिकारी
ज्योति थाना, जयपुर
विषय – दिव्यांग व्यक्तियों के लिए अपशब्द बोलने व सम्मान पर ठेस पहुंचाने पर मुकदमा दर्ज कराने हेतु
मान्यवर,
दिनांक 17 मार्च 2017 को केंद्रीय मंत्री श्री रामविलास पासवान ने सरेआम मीडिया में देश के निशक्त व दिव्यांग जनों के लिए अपशब्दों का प्रयोग किया है- (सौ लंगडे़ मिलकर एक पहलवान नहीं बन सकते)। संयुक्त राष्ट्रसंघ नीति में ऐसा बोलना धारा 15 में अपमानजनक व्यवहार माना गया है। UNCRPD की धारा 17 में हर व्यक्ति की प्रतिष्ठा की सुरक्षा करना लिखा है। भारत के संविधान की प्रस्तावना में साफ लिखा है कि किसी भी व्यक्ति की गरिमा का ध्यान रखा जाएगा। RPWD Bill 2014 में ऐसा बोलना जुर्म माना गया है। केंद्रीय मंत्री ने इस कहावत का जान-बूझकर इस्तेमाल किया है जिससे देश व प्रदेश में करोड़ों लोगों के सम्मान पर ठेस पहुंची है। प्रधानमंत्री मोदी जी दिव्यांग नाम दे रहे हैं और उनके मंत्री हमारा अपमान कर रहे हैं।
अतः ऐसे मंत्री के लिए विकलांगता कानून को उपयोग में लाया जाए और उनसे इस्तीफा लेकर तुंरत मंत्री पद से बर्खास्त करके कानूनी उचित कार्रवाई की जाए या स्वयं मंत्री सार्वजनिक रूप से देश के दिव्यांग समाज से माफी मांगें।
जिसमें मंत्री के बोलते हुए समय का वीडियो भी संलग्न है। अतः ऐसे मंत्री के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए और देश के दिव्यांग समाज को न्याय दिलाकर सामाजिक सम्मान बचाया जाए।
निवेदक
रतनलाल बैरवा,
राजस्थान प्रदेश संयोजक, विकलांग आंदोलन संघर्ष समिति