(दिल्ली से पानी के नाम पर भेजी गई ख़ाली ट्रेन ने आज दिल्ली से ही झांसी गये फोटो जर्नलिस्ट रवि कनौजिया की जान ले ली। वे किसी ख़ास एंगल की तलाश में ट्रेन की छत पर चढ़े और हाईटेंशन तार की चपेट में आ गये। उनका शव दो घंटे तक वहीं रेलवे लाइन पर पड़ा रहा। रवि की मौत का शोक मनाते फोटो पत्रकारों को इलाहाबाद के मशहूर फोटो जर्नलिस्ट और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मीडिया शिक्षक एस.के. यादव ने एक चेतावनी दी है। उन्होंने याद दिलाया है कि कभी उत्तर प्रदेश के मशहूर छायाकार संजीव प्रेमी की जान भी ऐसे ही गई थी। जोश में यूँ होश खोना अपनी क़ीमती जान को बेहद सस्ते में गँवाना है। इससे बचना चाहिए। फेसबुक पर लिखी उनकी चेतावनी हम साभार प्रकाशित कर रहे हैं। उसके नीचे दुर्घटना का ब्योरा भी है )
एस.के.यादव की फ़ेसबुक पोस्ट–
‘’फोटोपत्रकारिता का एक टीचर होने के नाते “RIP’, दुखद, या “श्रद्धांजलि ” लिखकर शोक प्रकट करने से इतर यह पोस्ट चेतावनी के साथ शेयर कर रहा हूँ।
इंडियन एक्सप्रेस के फोटोजर्नलिस्ट रवि कनोजिया की असामयिक मौत इस पेशे से जुड़े हर व्यक्ति के लिए दुख़दायी है।लेकिन मेरी जिज्ञासा मौत के कारणों को तलाशते हुए हताशा और निराशा का भाव पैदा करती है।
आज से लगभग 26 साल पहले इसी तरह मेरे एक मित्र,उ त्तर प्रदेश के टॉप फोटोजर्नलिस्ट,टाइम्स ऑफ़ इंडिया-लखनऊ के संजीव प्रेमी की मौत तत्कालीन पीएम राजीव गांधी की भारत यात्रा कवरेज के दौरान कानपुर स्टेशन पर,स्वागत के लिए उमड़े अपार जनसमूह के बीच राजीव की बेहतर फोटो खींचने की धुन में, ट्रेन की छत पर चढ़ने से हो गयी थी।
फोटोपत्रकारिता अत्यंत जोखिम भरा पेशा है,लेकिन इस तरह के जोखिम से कई सवाल खड़े होते हैं।
इसे आप साहसिक कार्य की श्रेणी में रक्खेंगे या अतिउत्साह में उठाया गया अविवेकपूर्ण कदम !
ऐसा तो नहीं हम जोश में होश खो बैठ रहे हैं!
यह दोनों फोटोपत्रकार बड़े अखबार के और अनुभवी लोग थे,फिर भी ऐसी बचकानी हरकत कर जान गँवा बैठे। बचकानी इसलिए की आये दिन ट्रेन की छत पर हाई वोल्टेज करेंट की जद में आकर मरने वालों की खबर हम अखबारो में पढ़ते रहते है और इसके जानलेवा होने की बात से सभी वाकिफ हैं।
यह घटना हमें नसीहत देती है कि हमें काम के जूनून को बनाये रखते हुए अपनी जान की हिफाजत का भी सर्वोच्च ध्यान रखना होगा।
मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मीडिया और खासकर फोटोजर्नालिज्म के छात्रों को पढाई के दौरान प्रोफेशनलिज्म का पाठ पढ़ाते हुए बताता हूँ कि-अगर जान की परवाह ज्यादा है तो इस पेशे में न आयें। फोटोपत्रकारिता शेरदिल इंसानो के ही बस की बात है,इसमें पग-पग पर जान का जोखिम है,सीमा पर मुस्तैद सेना के जवान से भी ज्यादा, अगर ईमानदारी से अंजाम दिया जाय तो।
मेरी तरह हर जिम्मेदार फोटोपत्रकार एक महान फोटो खींचने के लिए अपनी जान की बाजी लगाना पसंद करेगा,बजाये इसके कि वो किसी ट्रक के पहिये के नीचे आकर या इस तरह के अन्य गैर पेशेवर कारणों के बीच गुमनामी में जान गँवा बैठे।
आज दुनिया के संपन्न देशों में फोटोपत्रकारों को जोखिम के बीच सुरक्षित रहकर कैसे काम करें, इस बात का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।युद्ध और आतंकवादी हिंसा के बीच फोटोपत्रकार मौत सामने देखकर भी पैर पीछे खींचने की बजाय,दुर्लभ और टॉप-एक्सक्लूसिव श्रेणी की तस्वीर खींचते हुए सहर्ष मौत को गले लगा रहे हैं।ऐसी मौत जिसपर उनके माता पिता भी नाज़ करें। जीवन कीमती है,जान जाये मगर पूरी कीमत वसूल कर, इतने सस्ते में तो बिलकुल नही।”
एस.के. यादव
नीचे रवि कनौजिया की 2013 की तस्वीर। साथ में पढ़िये दुर्घटना के बारे में झाँसी से जीशान अख़्तर की रिपोर्ट—
पिछले पांच दिन से हंगामा था. वाटर ट्रेन के आसपास पत्रकारों का जमघट लगा रहा. देश भर के लिए अजूबा और सियासत का नया रास्ता बन चुकी पानी की इस ट्रेन से भले ही नेताओं, सरकारों की राजनीति चमक गयी हो, लेकिन एक फोटो जर्नलिस्ट की इसी ट्रेन से जान चली गयी. बयानों और टीवी पर प्राइम टाइम में चिल्लाते नेताओं ने पानी पर सियासत कर खुद को साबित करने की खूब कोशिश, लेकिन सियासती ट्रेन किसी का भी भला नहीं कर सकी. इंडियन एक्सप्रेस के बेहतरीन फोटो जर्नलिस्ट में से एक रवि कनौजिया का शव दो घंटे तक घटनास्थल पर पड़ा रहा. रेलवे पुलिस मौके पर पहुंची. इसके बाद भी शव को मजदूरों को बुलवाकर उठवाया गया. इसके लिए मजदूरों का दो घंटे तक इंतज़ार किया गया.
(दो घंटे तक रेलवे ट्रैक पर यूँ ही पड़ा रहा रवि कनौजिया का शव)
पानी की सियासत और फोटो जर्नलिस्ट की जान लेने के बाद ट्रेन झाँसी से आगरा की ओर बढाई जा चुकी है. देश के कथित दिमागदार नेताओं, रणनीतिज्ञों को बैठकर समीक्षा करनी चाहिए कि आखिर पानी की ट्रेन से आम जनता या किसे कितना फायदा हुआ.
बताया जा रहा कि दिल्ली में अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में रवि कनौजिया फोटो जर्नलिस्ट के रूप में कार्यरत थे. करीब 34 साल के रवि आज ही झाँसी में खड़ी पानी एक्सप्रेस की कवरेज करने के लिए पहुंचे थे. उनके साथ महिला पत्रकार स्वाति दत्ता भी थी.
ट्रेन रेलवे यार्ड से खड़ी हुई थी. शाम करीब 6 बजे रवि ट्रेन की फोटो लेने के लिए ट्रेन के ऊपर चढ़े थे. इसी दौरान ऊपर से निकली हाई टेंशन लाइन की चपेट में आ गये. इससे उनकी मौके पर ही मौत हो गयी. वह लुधियाना के रहने वाले थे. 2009 से दिल्ली में इंडियन एक्सप्रेस के लिए काम कर रहे थे. उन्हें मुजफ्फरनगर दंगों के कवरेज के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया द्वारा 2014 में सम्मानित किया जा चुका था.
फोटो जर्नलिस्ट के साथ आयी महिला पत्रकार ने बताया कि वह कुछ आगे थीं, तभी आसपास मौजूद कुछ लोगों ने चिल्लाना शुरू कर दिया. उन्होंने जैसे ही पीछे मुड़कर देखा. तेज़ धमाके के साथ रवि नीचे गिर गये. उनकी मौके पर ही मौत हो गयी.
सीएम अखिलेश यादव ने घटना सामने आने के बाद फोटो जर्नलिस्ट के परिजनों को 20 लाख की आर्थिक सहायता का ऐलान किया है.
बता दें कि झाँसी में 4 मई को केंद्र सरकार द्वारा खाली पानी एक्सप्रेस भेजी गयी थी. ये ट्रेन महोबा में सूखे की समस्या को देखते हुए भेजी गयी थी. पर यूपी सरकार ने पानी एक्सप्रेस से पानी लेने से मना कर दिया था. खाली टेंक भेजे जाने को लेकर हुए हो हल्ले के बाद रेलवे द्वारा पानी एक्सप्रेस में 5 लाख लीटर से अधिक पानी भरवा दिया गया. ट्रेन रेलवे यार्ड में खड़ी हुई थी.