अख़बारनामा: पीएम के सुर में सुर मिलाकर विपक्ष को गाली देने की जागरण पत्रकारिता!


प्रधानमंत्री के सुर में सुर मिलाकर विपक्ष को गाली देना एक बात है और अच्छी रिपोर्टिंग बिल्कुल अलग। वैसे भी, प्रधानमंत्री अपने पद का ख्याल न रखें हमारे तो प्रधानमंत्री हैं हम क्यों उनकी घटिया बातों को प्रमुखता देकर प्रचारित करें।


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संजय कुमार सिंह

वैसे तो आज ज्यादातर अखबारों में नीरव मोदी को लंदन में देखे जाने की खबर लीड है। पर दैनिक जागरण और नवोदय टाइम्स ने कल ग्रेटर नोएडा में प्रधानमंत्री के भाषण की खबर को लीड बनाया है और दोनों में शीर्षक एक से हैं। दैनिक जागरण में यह खबर चार कॉलम में है और शीर्षक है, “हर भ्रष्ट को मोदी से कष्ट” उपशीर्षक है, “ग्रेनो से सौगातों की बौछार, पीएम ने विपक्ष पर फिर निशाना साधा”। नवोदय टाइम्स में यही खबर दो कॉलम में लीड है और दो लाइन का शीर्षक है, “भ्रष्ट अब त्रस्त हैं मुझसे : मोदी”। अखबार ने इस खबर का इंट्रो बनाया है, “हवाई हमले का सबूत मांगने वालों पर साधा निशाना”। दो कॉलम की लीड अमूमन तभी लगती है जब कोई अच्छी खबर लीड बनाने लायक न हो। कहने की जरूरत नहीं है कि नवोदय टाइम्स इस बात को समझता लगता है जबकि जागरण से ऐसा नहीं लगता है।

खास बात यह है कि नवोदय टाइम्स ने नीरव मोदी की खबर को पहले पन्ने पर टॉप पर रखा है और शीर्षक का फौन्ट भी पर्याप्त बड़ा है। जागरण में नीरव मोदो को लंदन में देखे जाने की खबर पहले पन्ने पर नहीं है। यहां पहले पन्ने पर नीचे की तरफ सबसे किनारे वाले कॉलम में विज्ञापन के साथ छह लाइन की खबर है, नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पण की अपील ब्रिटिश कोर्ट पहुंची। इसका विस्तार अंदर के पन्ने पर है। यह सूचना भर है। नवोदय टाइम्स में पहले पन्ने पर चार कॉलम में एक खबर है, “मोदी बताएं मसूद को जेल से किसने रिहा किया : राहुल”। जागरण में यह खबर भी पहले पन्ने पर नहीं है। जागरण और नवोदय टाइम्स के पहले पन्ने पर एक और खबर कॉमन है। खबर चुनाव की घोषणा से संबंधित है। जागरण में शीर्षक है, “लोकसभा चुनाव का आज होगा शंखनाद”। नवोदय टाइम्स में इस खबर का शीर्षक है, “चुनाव की घोषणा कल संभव”। यहां आज और कल का अंतर नोट करने लायक है।

आज इतवार है। इसलिए आज घोषणा होने की उम्मीद मुझे तो कम है पर जागरण ने खबर में साफ लिखा है, चुनाव आयोग लोकसभा चुनाव की तारीखों की रविवार को घोषणा करेगा। शिवांग माथुर की यह खबर विश्वस्त सूत्रों के अनुसार है। जी हां, पहले पन्ने पर तीन कॉलम की खबर सूत्रों के अनुसार ही है हालांकि इस सूत्र को विश्वस्त भी बताया गया है। नवोदय टाइम्स में यह खबर एजेंसियों की है। इसमें कहा गया है, आगामी लोगसभा चुनावों की तारीखों को लेकर शनिवार को चुनाव आयोग की एक अहम बैठक 12 बजे दिन में हुई। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि संभवतः सोमवार को तारीखों की घोषणा हो सकती है। यहां सोमवार भी ‘संभवतः’ है। कहने की जरूरत नहीं है कि जागरण की खबर पूरी तरह अटकल है फिर भी शंखनाद और लिखने की शैली में झलकता आत्मविश्वास सूत्रों को जानने की जिज्ञासा जताता है।

जागरण के पहले पन्ने की खबरों से लगता है कि उसके पास खबरों का संकट तो था ही। चुनाव आयोग की पक्की खबर को प्रमुखता देना भी जरूरी था। दूसरी ओर, नवोदय टाइम्स के पहले पन्ने से लगता है कि आज पहले पन्ने लायक खबरों की वाजिब कमी थी। इसके मुकाबले आज के अंग्रेजी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स को देखें तो खबरें ही खबरें हैं। पहले पन्ने पहले के अधपन्ने पर ऊपर चार कॉलम में खबर है, “भाजपा टिकट बांटते हुए जीत पर नजर रख रही है इसलिए उम्र की कोई सीमा नहीं”। इसके साथ बॉक्स में एक खबर है, “कांग्रेस के साथ आरजेडी के गठबंधन का फैसला जेल में बंद लालू यादव करेंगे”। इन दोनों खबरों के नीचे चार कॉलम में ही पर एक लाइन का शीर्षक है, “भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए आरएसएस ने 100% मतदान के लक्ष्य रखा।”

हिन्दुस्तान टाइम्स की आज की लीड खबर है, भारत ने कहा, “नए पाकिस्तान को नई कार्रवाई दिखानी चाहिए”। तीन कॉलम दो लाइन के शीर्षक के साथ खबर छपी है, “चुनाव आयोग ने पार्टियों से कहा अपनी प्रचार सामग्री में सेना की फोटा का उपयोग न करें”। नीरव मोदी की खबर तो यहां टॉप पर है ही। मेट्रो के दो नए एक्सटेंशन की शुरुआत की सूचना नक्शे के साथ है और एक विदेशी खबर मिलाकर पन्ना ऐसा नहीं लगता है कि अखबार में खबरों की कमी थी। मैंने यह तुलना और सूचना यह बताने के लिए दी है कि अगर कोई खास खबर न हो तो भिन्न अखबारों का चयन कितना अलग होता है और उन्हीं खबरों का प्लेसमेंट बदल जाने से अखबार कितना लचर लग सकता है।

आपनी बात मजबूती से रखने के लिए मैं फिर दैनिक जागरण और नवोदय टाइम्स में लीड बनी खबर पर आता हूं। शीर्षक से ही पता चलता है कि प्रधानमंत्री ने यह दावा किसी सबूत, उदाहरण या आंकड़े के बिना किया है। कहने की जरूरत नहीं है कि प्रधानमंत्री का भाषण चुनावी मोड में चलता रहता है। इसमें वे विपक्ष पर आरोप लगाने, अपनी पीठ खुद थपथपाने, बढ़ा-चढ़ाकर दावा करने, तथ्यात्मक रूप से गलत, झूठे और निराधार आरोप लगाने जैसे काम करते रहे हैं। ऐसे में कोई अखबार उनके भाषण से अच्छी चीज निकाल ले यही प्रतिभा है और जरूरत भी। प्रधानमंत्री के सुर में सुर मिलाकर विपक्ष को गाली देना एक बात है और अच्छी रिपोर्टिंग बिल्कुल अलग। वैसे भी, प्रधानमंत्री अपने पद का ख्याल न रखें हमारे तो प्रधानमंत्री हैं हम क्यों उनकी घटिया बातों को प्रमुखता देकर प्रचारित करें।

इस लिहाज से आज टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर उल्लेखनीय है। अखबार में इस खबर का शीर्षक है, पाकिस्तान को जमीनी कार्रवाई की उम्मीद थी, हवाई हमले से हमने चौंका दिया। मुझे लगता है कि नवोदय टाइम्स और दैनिक जागरण के शीर्षक के मुकाबले टाइम्स ऑफ इंडिया का शीर्षक से बेहतर है और लगता ही नहीं है कि उसी सभा में कहा होगा। अखबार में सूचना औऱ शीर्षक का अलग महत्व है इसका ख्याल तो रखा ही जाना चाहिए।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। जनसत्ता में रहते हुए लंबे समय तक सबकी ख़बर लेते रहे और सबको ख़बर देते रहे। )