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संजय कुमार सिंह
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वैसे तो मैं टेलीविजन पर समाचार बहुत कम देखता हूं पर पता चला कि भारतीय एयर स्ट्राइक के दौरान जैश के कैम्प में 280 से ज्यादा आतंकियों के मौजूद होने की खबर चल रही है। कंप्यूटर पर मुझे उसका वीडियो मिल गया। थोड़ा और तलाशने पर आजतक की साइट पर खबर का लिंक मिल गया। टेलीविजन पर जो अंश मैने देखे उसमें कहा जा रहा था कि भारतीय हमले में कितने मरे यह किसी ने नहीं बताया, अमित शाह ने बताया (250)। वायुसेना प्रमुख की प्रेस कांफ्रेंस खंड-खंड में दिखाई जा रही थी। उसमें वे कह रहे थे कि हमने टारगेट पूरा किया। और एंकर इसका मतलब बता रहा / रही थी – मारे गए आतकवादी। हालांकि वायुसेना प्रमुख ने ये नहीं बताया कि उनका टारगेट बम गिराना, बिल्डिंग गिराना, पेड़ गिराना या आतंकवादी मारना था। जाहिर है, टारगेट एक निश्चित जगह पर बम गिराना ही हो सकता है और वे कह चुके हैं कि वायु सेना लाशें नहीं गिनती।
मतलब साफ है कि जहां बम गिराया गया वहां लोग मरे कि नहीं – इसकी पुष्टि या खंडन वे नहीं कर रहे हैं। पर आजतक कह रहा है कि टारगेट हिट किया का मतलब हुआ आतंकवादी मारे गए। संख्या कहां से मिली उसपर आगे बात करता हूं। वायुसेना प्रमुख की प्रेस कांफ्रेंस के टुकड़ों में जो हिस्सा मैं झेल पाया उसमें उन्होंने यह भी कहा कि हमने टारगेट पूरा किया है। अगर ऐसा नहीं होता तो उन्हें जवाब देने की क्या जरूरत थी। मैं उनके इस सवाल का जवाब नहीं दूंगा क्योंकि मुझे संदर्भ या आगे-पीछे की बातें नहीं मालूम है। पर पाकिस्तान ने जवाब कहां दिया है? पाकिस्तान के सैन्य प्रवक्ता ने तो कहा है कि हमें भारत को बताना था कि हम भी हमला कर सकते हैं औऱ चूंकि हमारा मकसद नुकसान पहुंचाना नहीं था इसलिए हमने टारगेट के पास हमला किया। यानी पाकिस्तान ने जवाब नहीं दिया है अपनी क्षमता दिखाई है। दूसरे, जवाब देना होता तो अभिनंदन को क्यों छोड़ा जाता?
इसके जवाब में बताया जा रहा है कि यह मोदी जी के कारण हुआ। पर यह कोई नहीं बता रहा है कि मोदी जी का इतना ही असर है तो वह कुलभूषण जाधव के मामले में क्यों नहीं चल रहा है। इसके अलावा, इमरान खान ने अभिनंदन को यह कहकर छोड़ा है कि पाकिस्तान युद्ध नहीं चाहता। इसके बावजूद व्हाट्सऐप्प यूनिवर्सिटी में बताया जा रहा है कि पुराने मामलों में पाकिस्तान ने भारतीयों के साथ कैसा सलूक किया था। कहने की जरूरत नहीं है कि तब इमरान खान प्रधानमंत्री नहीं थे। अगर इधर मोदी के रहने से अभिनंदन को छोड़ दिया गया तो उधर इमरान खान ने छोड़ दिया – यह बात कोई नहीं कह रहा है।
वायुसेना प्रमुख ने बहुत सधे हुए अंदाज में सिर्फ मुद्दे की बात की। उन्होंने यही नहीं बताया कि लक्ष्य क्या था पर यह जरूर कहा कि हमने टारगेट पूरा किया। इसके बावजूद आजतक कह रहा है उन्होंने सारे सवालों के जवाब दिए पाकिस्तान में त्राहि-त्राहि मच गई है। फिर भी उसने अभिनंदन को छोड़ दिया क्योंकि वह डरा हुआ है और भारत के प्रधानमंत्री महान हैं (भारतीय मीडिया के अनुसार)। भारत पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देना जारी रखेगा जबकि मेरा मानना है कि आत्मघाती हमलावरों के बिना भाषा तो बदल ही जाएगी। सेवा या किसी भावना के तहत काम करने वालों का मुकाबला वेतनभोगी कर ही नहीं सकते।
अब 280 की संख्या के बारे में…नेट पर आज तक की खबर इस प्रकार है- भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट में घुसकर की गई एयर स्ट्राइक में 280 से ज्यादा आतंकियों के मारे जाने का सबूत आमने आया है। नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (एनटीआरओ) के सर्विलांस से खुलासा हुआ है कि जब बालाकोट में भारतीय वायुसेना ने एयर स्ट्राइक की, उस समय वहां पर 280 से ज्यादा मोबाइल फोन एक्टिव थे। इससे साफ होता है कि भारतीय वायुसेना ने जिस समय बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद के कैंपों पर हमला किया, उस समय वहां पर 280 से ज्यादा आतंकी मौजूद थे। इसमें गौर करने वाली बात है कि फोन ऐक्टिव था मतलब आतंकी मोजूद थे और उतने ही जितने फोन थे। टुटपुंजिए अपराधियों के पास कई-कई फोन बरामद होते रहे हैं। आम लोग (जो अपराधी नहीं हैं उनमें दो फोन तो आम है और लोग तीन भी रखते हैं। अपराधियों के मामले में 280 ऐक्टिव फोन मतलब वहां 280 लोगों की मौजूदगी मुझे तो यकीन करने लायक नहीं लगती है।
यही नहीं, यह जानकारी भी “सूत्रों के मुताबिक” है। एनटीआरओ ने भारतीय वायुसेना को बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद के कैंप में 280 से ज्यादा मोबाइल फोन एक्टिव होने की जानकारी दी थी। (वहां 280 आतंकवादियों के मौजूद होने की नहीं)। खबर के मुताबिक, इसके अलावा बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद के कैंप में 280 से ज्यादा आतंकियों के मौजूद होने की जानकारी रॉ ने भी उपलब्ध कराई थी। खुफिया एजेंसियों ने भी सैटेलाइट के जरिए जैश के बालाकोट कैंप में काफी संख्या में आतंकियों के मौजूद होने की जानकारी जुटाई थी। इसमें गौर करने वाली बात यह है कि इस जानकारी के बाद भारतीय वायुसेना के मिराज लड़ाकू विमानों ने जैश के कैंप पर एयर स्ट्राइक की थी। और इसका खुलासा आज अमित शाह की घोषणा के बाद हुआ है। इस तरह, “भारतीय वायुसेना का बालाकोट मिशन पूरी तरह सफल रहा”।
बात यहीं नहीं खत्म होती है। इसमें भी पेंच है। खबर लिखते हुए, इस मामल में एएनआई की खबर मिली। यह अंग्रेजी में है। इसके मुताबिक, हमले से पहले जैश के मोहम्मद के कैम्प में 300 लोग सक्रिय थे। यहां 20 बढ़ गए। हालांकि खबर में आगे ‘करीब’ 300 फोन कहा गया है। खबर कहती है कि भारतीय वायु सेना को जब हमले के लिए क्लियरेंस दिया गया तो एनटीआरओ ने निगरानी शुरू की। आजतक की खबर में कहा गया है कि एनटीआरओ और रॉ ने भारतीय वायु सेना को यह जानकारी दी थी। एएनआई की खबर में दूसरी खुफिया एजेंसी (एजेंसियों लिखा है) का नाम नहीं है और सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि उसने भी एनटीआरओ के आकलन की पुष्टि की थी।
एएनआई की खबर में आगे लिखा है, हवाई हमले के घंटों बाद, विदेश सचिव (रक्षा सचिव या वायु सेना का अधिकारी नहीं) विजय गोखले ने मीडिया से कहा कि भारतीय वायु सेना ने जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े शिविर पर हमला किया है और बड़ी संख्या में जैश के आतंकवादी, प्रशिक्षक और सीनियर कमांडर मारे गए हैं।” खबर के मुताबिक उस समय गोखले ने कहा था कि यह खुफिया जानकारी के आधार पर किया गया ऑपरेशन था और यह भी कि आतंकवादी भारत के खिलाफ हमले की योजना बना रहे थे तथा यह पहले ही की गई कार्रवाई थी।
पुनश्च: मोबाइल की सक्रियता मोबाइल टावर से होती है। और जो इलाका बताया जा रहा है, वहाँ आसपास के इलाके में तमाम लोग रहते हैं। तो क्या वे सभी आतंकवादी हुए। हैरानी की बात है कि सरकार कुछ बोल नहीं रही और मीडिया अपने आप सबूत पर सबूत पेश कर रहा है। नत्थी पत्रकारिता (एम्बेडेड पत्रकारिता) का क्या नतीजा होता है, यह इराक युद्ध से समझा जा सकता है। पर जब युद्ध बिक रहा हो, तो ठहरकर सोचने की फुर्सत किसे है ?
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।