ट्विटर पर ट्रेंड करता ‘आर्टिकल 30’ और इसके ‘हिंदू विरोधी’ होने का सच जानिये..

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भारत की आज़ादी विभाजन का दर्द भी समेटे हुए थी। लेकिन भारत के तत्कालीन नेतृत्व, जिसने अहिंसा के ज़रिये साम्राज्यवाद पर असंभव सी लगने वाली जीत हासिल की थी, सभ्यता के उच्चतम मानदंडों को अपना रहा था। इसीलिए जब पाकिस्तान ने हिंदू और मुसलमान को दो राष्ट्र बताया तो उन्होंने इस द्विराष्ट्रवाद के सिद्धांत को ठुकरा दिया। पाकिस्तान की वैचारिक हार तब भी हुई और बांग्लादेश निर्माण ने तो उस सिद्धांत को हास्यास्पद ही साबित कर दिया। लेकिन भारत में तब हाय करके रह गये मुस्लिम लीग के हिंदू संस्करण आज प्रबल हैं और उन तमाम उपलब्धियों को मिट्टी में मिला देना चाहते हैं। यह यक़ीन करना मुश्किल है कि एक ऐसी पीढ़ी तैयार हुई है जो अल्पसंख्यकों को शिक्षा के अधिकार की गारंटी देने वाले संवैधानिक प्रावधान को हिंदू विरोधी प्रचारित कर रही है।

ट्विटर पर इस समय आर्टिकल_30_हटाओ नाम से हैशटैग ट्रेंड कर रहा है तो हमने सोचा कि क्यों न इसकी सच्चाई आपको बता दी जाए। सोशल मीडिया ने लोगों को देश-दुनिया के कोने-कोने से आपस में जोड़ दिया है। अपनी बात कहने और किसी समस्या को सामने लाने के लिए इस माध्यम का जमकर इस्तेमाल होता है। इनमें भी ट्विटर आज के समय में अभिव्यक्ति की आज़ादी का सबसे बड़ा टूल बन गया है। शिकायत हो या तारीफ़ ट्विटर ने हर किसी को कमाल का प्लेटफ़ॉर्म दिया है। ख़ासतौर पर कुछ लोगों ने ट्विटर को झूठ फ़ैलाने का हथियार बना लिया है। अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए इसी क्रम में आये दिन फर्जी ख़बरों को भी ट्विटर पर ट्रेंड करा दिया जाता है।  आज भी पिछले कई घंटों से एक हैशटैग ट्रेंड कर रहा है। आर्टिकल_30_हटाओ

सबसे पहले तो इस हैशटैग में ट्रेंड क्या कर रहा है वो बताते हैं। दरअसल एक ख़ास तरीके से नफ़रत और प्रोपेगंडा फ़ैलाने के लिए इस ट्रेंड का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस वक्त करीब 1 लाख 88 हज़ार से अधिक ट्वीट किये जा चुके हैं। और ये स्टोरी लिखे जाने तक ये हैशटैग भारत में नंबर 3 पर ट्रेंड कर रहा है। इसके अंदर मांग की जा रही है कि संविधान से आर्टिकल 30 हटा दिया जाए। साथ ही आर्टिकल 30 A को भी हटाने की मांग की जा रही है। कुछ ट्वीट देख कर समझिए कि आखिर मसला क्या है ? इस ट्विटर ट्रेंड में ये भी बताया जा रहा है कि आर्टिकल 30 A हिंदुओं के साथ भेदभाव करता है।  एक ट्वीट में बताया गया है कि आर्टिकल 30 में लिखा है कि मदरसों में कुरान और हदीस पढ़ाई जाएगी।

एक यूजर ने एक वीडियो शेयर किया है जिसकी शुरुआत में ये बताया जा रहा है कि धारा 30 A हिंदुओं को अपने धर्म की शिक्षा देने से मना करती है। आपको बता दें कि यही वीडियो अधिकतर समय सोशल मीडिया पर फैलायी जाती है, जब भी आर्टिकल 30 A का ज़िक्र किया जाता है।

https://twitter.com/dilipsaini14/status/1265871677616873474

 

 

दरअसल आर्टिकल 30 A है ही नहीं। झूठ और नफ़रत फ़ैलाने के लिए ही सिर्फ़ इस फर्जी 30 A का सहारा लिया जा रहा है|  इसके बाद अब समझना ज़रूरी है कि आर्टिकल 30 क्या है ? दरअसल संविधान में आर्टिकल 30 अल्पसंख्यकों को शिक्षण संस्थानों की स्थापना का अधिकार देता है।

 

आर्टिकल 30 की उप-धारा 30 (1) अल्पसंख्यकों को, भाषा या धर्म के आधार पर, अपनी मान्यता के अनुसार अपने शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना करके उन्हें संचालित करने का अधिकार है।

आर्टिकल 30 की उप धारा 30 (1ए) अगर किसी अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा चलाये जा रहे शैक्षिणक संस्थान का अधिग्रहण राज्य द्वारा आवश्यक हो जाता है (उपधारा-1 संबंधित) तो इस स्थिति में राज्य, अधिग्रहण के बदले में जो भी राशि/मुआवजा तय  करेगा, वो इतना हो कि अप्ल्संख्यकों के अधिकारों तनिक भी हनन न हो।

आर्टिकल 30 की उप-धारा 30 (2) राज्य मदद देते समय, किसी भी शैक्षणिक संस्थान से इस बात पर भेदभाव नहीं करेगा कि वो किसी विशेष समुदाय द्वारा, भाषा या धर्म के आधार पर प्रशासित किया जा रहा है।

जिस देश में आज भी नल और कुएं से पानी भरने पर, घोड़ी पर चढ़कर बारात ले जाने पर दलितों को मार दिया जाता है। जहां जाति देखकर आज भी स्कूलों में बच्चों के साथ भेदभाव किया जाता है। जातिगत समीकरण देख कर वोट तय किया जाता है, चुनावों में उम्मीदवार खड़ा किया जाता है। जहां भारत के ही लोगों को चिंकी कहकर चिढ़ाया जाता है। बिहार के लोगों को चिढ़ाने के मकसद से बिहारी कहा जाता है। वहां आर्टिकल 30 को हटाए जाने की बात की जा रही है। जो अल्पसंख्यक समुदाय को शिक्षित करने में और आगे बढ़ने में मददगार है।