प्रधानमंत्री लखनऊ में आंबेडकर महासभा गए. चंद मिनट ठहरे. फोटो खिंचाई और निकल गए. मीडिया से बात नहीं की. महासभा के Lalajee Nirmal ने इस दौरान उन्हें निजी तौर पर कुछ बताया. जो बताया, वह निर्मल जी के शब्दों में यह है – “वार्ता जमीन, न्यायपालिका, निजी क्षेत्र में दलितों की भागीदारी की थी, 77 वें संविधान संशोधन के फलस्वरूप अनुच्छेद 16(4)ए को लागू करने में आ रही अड़चनों को दूर करने की थी, वार्ता दलितों की आर्थिक आजादी की थी. लेकिन ‘अमर उजाला’ ने देखिए क्या छाप दिया. लालजी निर्मल कहते हैं कि – “दलितों के मसीहा तो सिर्फ और सिर्फ डा अम्बेडकर हैं.”
जो बात कही ही नहीं गई, वह छापने की प्रेरणा मीडिया को कहां से मिली? मोदी जी और निर्मल जी की बातचीत में कोई तीसरा था नहीं, और इन दोनों ने मीडिया को बताया नहीं, तो राम वाली बात कहां से आई?