इंडिया टीवी पर AAP की जीत वाला सर्वे ना दिखाने का आरोप ! ट्विटरजंग की लपेट में राजदीप भी !

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आम आदमी पार्टी का आरोप है कि इंडिया टीवी ने सी.वोटर-हफ़पोस्ट का वह सर्वे नहीं दिखाया जिसमें पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत की भविष्यवाणी की गई है।

ग़ौरतलब है कि कई सालों से सी.वोटर का सर्वे इंडिया टीवी में दिखाया जाता था। इसी को टाइम्स नाऊ भी इस्तेमाल करता था। आप नेताओं ने इस मसले पर ट्विटर वार छेड़ दिया, लेकिन चैनल की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। कहा जा रहा है कि चूँकि कभी एबीवीपी में सक्रिय रहे रजत शर्मा, प्रधानमंत्री मोदी के बेहद क़रीबी हैं, इसलिए उन्होंने आप की जीत दिखाने वाले सर्वे को गोल कर दिया।

कई लोगों ने आप नेता आशुतोष के ट्वीट से रजत शर्मा को नत्थी भी किया लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। वे टी-20 पर ट्वीट करते रहे।

पिछले कुछ दिनों से लगातार आम आदमी पार्टी और मीडिया में ट्विटरजंग जारी है। आम आदमी पार्टी का दावा है कि जैसे दिल्ली चुनाव के पहले माहौल बनाने के लिए चैनल वाले उसे हराने वाले सर्वे दिखाते थे, वैसे ही पंजाब के चुनाव के पहले किया जा रहा है। पार्टी का दावा है कि वह पंजाब में बहुमत पा रही है। इस सिलसिले में न्यूज़ 24 के सर्वे पर उसकी सर्वेसर्वा अनुराधा प्रसाद को लेकर हुए अरविंद केजरीवाल के ट्वीट चर्चा में हैं।

इस ट्विटरजंग की चपेट में मशहूर एंकर राजदीप सरदेसाई भी आ गए। ग़ौरतलब है कि उन्हें आप का समर्थक माना जाता रहा है। चर्चा तो यह भी थी कि वे पार्टी में शामिल होंगे और गोवा में उसके मुख्यमंत्री चेहरा होंगे। सरदेसाई ने आप के इन हमलों पर चिंता जताई और दावा किया कि पत्रकारों का पोल से कोई लेना देना नहीं होता। सर्वे करने वाली कंपनी जो नतीजे देती है, पत्रकार उसे पेश भर करते हैं।

लेकिन केजरीवाल ने इस सफ़ाई को बेहद कमज़ोर बताया।

राजदीप ने जवाब दिया कि वे मोटी चमड़ी या 56  इंच वाली छाती वाले नहीं हैं। इसलिए गाली पड़ती है तो बुरा लगता है।

इस मसले पर पूर्व टीवी पत्रकार और अब फ़िल्मकार विनोद कापड़ी के साथ भी आम आदमी पार्टी की नोंक-झोंक हुई। पार्टी चुनौती दे रही है कि चैनलों को बताना चाहिए कि वे किसके पैसे से चल रहे हैं।

इस बीच आप के साइबर योद्धाओं ने विनोद कापड़ी का वो ट्वीट सार्वजनिक कर दिया जिसमें उन्होंने 2014 के ‘ऑपरेशन प्राइम मिनिस्टर’ पर पीएमओ की चुप्पी पर निशाना साधा था। तब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे और इस स्टिंग ऑपरेशन में बताया गया था कि कैसे पैसा लेकर सर्वेक्षणों में इस या उस पार्टी को जीतते दिखाया जाता है।

बहरहाल, पंजाब की हक़ीक़त तो 11 मार्च को सामने आ जाएगी, लेकिन इतना तो तय है कि सर्वेक्षणों को लेकर जिस तरह बार-बार सवाल उठ रहे हैं, उसका कोई ठोस जवाब ढूँढने की ज़रूरत है। हालाँकि मीडिया के पास साख के नाम पर बचाने के लिए कुछ ख़ास है भी नहीं।

.बर्बरीक