मुज़फ़्फ़रनगर दंगे के लिए आज़म को दोषी ठहराने वाला स्टिंग ‘फ़र्ज़ी’! ‘सर्वश्रेष्ठ आज तक’ को मिलेगी सज़ा !!

Mediavigil Desk
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मुज़फ्फ़रनगर में दंगा भड़काने के लिए कैबिनेट मंत्री और दिग्गज सपा नेता आज़म ख़ान को दोषी बताने वाले सबसे तेज़ “आज तक” का स्टिंग फ़र्ज़ी निकला। उत्तर प्रदेश विधानसभा की सात सदस्यीय जाँच समिति ने लंबी जाँच-पड़ताल के बाद चैनल को अवमानना और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का दोषी पाया है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में चैनल के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की सिफ़ारिश की है।

वैसे, तो राजनीति में आई गिरावट के सामने पत्रकारिता की गिरावट को मामूली ही माना जाता रहा है, लेकिन ‘आजतक’ जैसे प्रतिष्ठित चैनल पर लगा यह दाग़ बताता है कि फ़िलहाल दोनों में गिरावट को लेकर होड़ लगी है। ख़ास बात यह है कि मुज़फ्फ़र नगर दंगों की वजह से जितनी दरार समाज में पैदा हुई, वैसी तो विभाजन के उन अँधेरे दिनों में भी नहीं हुई थी। एक पुलिस वाले का स्टिंग करके, आज़म ख़ान को विलेन साबित करने की ज़ोरदार कोशिश के पीछे राजनीतिक उद्देश्यों से भी इंकार नहीं किया जा सकता। लोकसभा चुनाव में यूपी से ऐतिहासिक सफलता पाने वाली बीजेपी के ध्रुवीकरण अभियान में आज़म ख़ान का ख़ास महत्व रहा है और “आज तक” के फ़र्ज़ी स्टिंग ने उसका काम आसान किया।

यह संयोग नहीं है कि इस 350 पेज की रिपोर्ट जब विधानसभा के पटल पर रखी गई तो बीजेपी को छोड़कर सभी दलों ने एक सुर में चैनल के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की माँग की। समिति के सभापति सतीश निगम ने कहा है कि मीडिया टीआरपी का खेल और व्यापार का साधन बन गया है। अपने व्यापार के अति उत्साह और पैसे के खेल में मीडिया के लोग क्या-क्या कर जाते हैं और उसका समाज पर क्या प्रभाव पड़ रहा है, इसका उसको अहसास नहीं है।

रिपोर्ट में चैनल के मैनेजिंग एडिटर सुप्रिया प्रसाद और अब चैनल से अलग हो चुके एसआईटी हेड दीपक शर्मा समेत कई एंकरों और एडिटरों के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 153ए, 295ए, 463, 469, 471 और सीआरपीसी की धारा 200, 202 के तहत कार्रवाई की सिफ़ारिश की गई है।

सभी आरोपियों ने विधानसभा के सामने पेश होने के लिए समय माँगा था। लिहाज़ा अब 4 मार्च को इस मामले में फ़ैसला सुनाया जाएगा। सवाल यह है कि यूपी विधानसभा के कठघरे में खड़ा ‘आज तक’ क्या जनता से भी माफ़ी मांगेगा ? आख़िर दिलों में दरार पैदा करने से बड़ा अपराध क्या हो सकता है ! ‘आज तक’ लगातार ख़ुद को “सर्वश्रेष्ठ” का तमगा देता रहा है, लेकिन इस स्टिंग ने उसकी बुनियादी ईमानदारी पर ही सवाल खड़ा कर दिया है।