चैनल टीआरपी के लिए पल-पल की लड़ाई लड़ते हैं। दर्शक रिमोट का बटन दबाकर किसी दूसरे चैनल की ओर न चला जाए, इसके लिए क्या-क्या नहीं करते। लेकिन क्या उन्हें झूठ का सहारा लेने या अपुष्ट ख़बर देने की इजाज़त भी है ? सबसे तेज़ चैनल आज तक ने चंडीगढ़ में आतंकियों के होने की एक ऐसी ही ख़बर प्रसारित की जो लोगों को डरा गया। वरिष्ठ पत्रकार मुकुल सरल ने इस अनुभव को अपनी फ़ेसबुक वॉल पर दर्ज किया है। पढ़िये—
”कल (21 सितंबर) दिन में अचानक “आज तक” पर एक ब्रेक्रिंग न्यूज़ आई। जो बेहद डराने वाली थी। ख़बर थी कि “चंडीगढ़ में एक संदिग्ध इनोवा कार देखी गई है, जिसमें नौ लोग सेना की वर्दी में सवार हैं और उनके पास हथियार हैं।” अचानक “आज तक” चैनल पर पहुंचा मैं यह ख़बर देखकर चौंक गया और कुछ देर तक उसके फॉलोअप की इंतज़ार करता रहा। लेकिन उसके बाद काफ़ी देर तक वह ख़बर दोबारा लौट कर नहीं आई। ख़बर बेहद महत्वपूर्ण थी इसलिए मैंने अन्य चैनल देखे, लेकिन यह खबर कहीं नहीं थी। इसके बाद वेबसाइट देखीं लेकिन यहां भी यह ख़बर नहीं थी। मुझे एहसास हो गया कि ख़बर गलती से चलाई गई है। लेकिन ऐसी ख़बर में ग़लती! यह कोई छोटी-मोटी ख़बर नहीं थी। न केवल सरसरी तौर पर सिर्फ एक संदिग्ध कार की बात की गई थी, बल्कि उसमें नौ लोगों के सेना के वर्दी में सवार होने और उनके पास हथियार होने की बात कही गई थी। ऐसे समय में जब उड़ी जैसा हमला हो चुका है और हमलों का ख़तरा है। पूरा देश ग़म और गुस्से में है। ऐसे समय में इस तरह की एक भी गलत ख़बर पूरे देश में डर और गुस्सा पैदा कर सकती है।
“आज तक” खुद को सबसे बड़ा चैनल कहता है लेकिन उसने अपनी इतनी ज़िम्मेदारी नहीं समझी कि वो खुद इस ख़बर का खंडन पेश करता और जनता को आश्वस्त करता कि ऐसी कोई बात नहीं है, हमें गलत ख़बर मिली थी और भूलवश हमने इसे ऑऩ एयर कर दिया। हालांकि यह ऐसी ख़बर थी जिसमें भूल स्वीकार नहीं की जा सकती। ऐसी संवेदनशील ख़बर ऑन एयर करने से पहले पूरी तरह पुष्टि की जाती है। क्या “आज तक” अपनी लापरवाही को समझेगा?”
मुकुल सरल की इस पोस्ट पर वरिष्ठ पत्रकार महेंद्र मिश्र ने भी चिंता जताते हुए टिप्पणी की है। पढ़िये–
Mahendra Mishra यह चैनल की आपराधिक लापरवाही को दिखाता है। कमोवेश सभी चैनलों का यही हाल हो गया है। न्यूज रूम वार रूम में तब्दील हो गए हैं। उनका वश चले तो अभी हथियार लेकर मैदान में कूद पड़ें। कुछ तो बाकायदा परमाणु युद्ध का ऐलान कर रहे हैं। अब इससे बड़ी गैर जवाबदेही और क्या हो सकती है। थोड़ सा भी पढ़ा लिखा और संवेदनशील व्यक्ति होगा तो वह सपने में भी न्यूक्लियर युद्ध की हिमायत नहीं करेगा। और उसका आह्वान चैनेल कर रहे हैं। जिन पर समाज और देश को दिशा देने की जिम्मेदारी है। आप अपने तक जितनी भी पीड़ा और दुख झेल सकते हैं। आप एकबारगी आत्म हत्या भी कर सकते हैं। लेकिन आने वाली पीढ़ियों को कैसे इसका भागीदार बनाया जा सकता है। न्यूक्लियर वार के बाद की तस्वीर के बारे में किसी ने सोचा है। या फिर यह बच्चों का खेल हैै। इसलिए इस तरह के अहमकपने की जमकर मजम्मत होनी चाहिए।