मीडियाविजिल पर 16 मार्च को प्रकाशित स्‍टोरी पर पत्रकार पुष्‍प शर्मा का विस्‍तृत प्रत्‍युत्‍तर

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मीडियाविजिल ने 16 मार्च को एक स्‍टोरी प्रकाशित की थी जिसका शीर्षक था, ”अपने रिवर्स स्टिंग का शिकार हुए हैं अंडरकवर पत्रकार पुष्प शर्मा!” संदर्भ यह था कि केंद्रीय आयुष मंत्रालय से सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के आधार पर दि मिली गजेट में एक खबर लिखने पर उठे विवाद और मंत्रालय द्वारा किए गए खंडन के बाद खोजी पत्रकार पुष्प शर्मा को एक दिन पहले की शाम दिल्ली पुलिस ने पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया था। देर रात उन्हें दिल्ली के कोटला मुबारकपुर थाने से छोड़ा गया और अगले दिन सवेरे दस बजे आने की हिदायत दी गई। इसके बाद से दिल्‍ली पुलिस ने पुष्‍प शर्मा को लगातार प्रताडि़त किया और पत्रकारों समेत कई तबकों की ओर से शर्मा के समर्थन में आवाज़ें उठी थीं।
मीडियाविजिल ने इस घटना के बारे में अपनी ओर से कोई टिप्‍पणी नहीं की थी, पुष्‍प शर्मा द्वारा देर रात जारी संदेश शब्‍दश: प्रकाशित किया था और आज भी यह वेबसाइट अभिव्‍यक्ति की आज़ादी के समर्थन में व पुलिस के दमन के विरोध में ही खड़ी है। स्‍टोरी में हालांकि आगे दिए गए विवरणों पर पुष्‍प शर्मा ने पहली बार 31 जुलाई को ईमेल के ज़रिये अपनी आपत्ति जताई और उन्‍होंने अपने बारे में कही गई बातों का विस्‍तृत साक्ष्‍य मीडियाविजिल को मुहैया कराया है। पुष्‍प शर्मा को आपत्ति है कि उनसे बगैर बात किए हुए सूत्रों के आधार पर उनके अतीत से जुड़ी बातें लिखी गई हैं जो उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने वाली हैं।  
मीडियाविजिल ने 3 अगस्‍त को शर्मा के मेल का जवाब देते हुए जवाब में देरी के लिए खेद जताया था और यह स्‍पष्‍ट किया था कि वेबसाइट का उनके ”खिलाफ़” खबर छापने का कोई प्रच्‍छन्‍न एजेंडा नहीं था। उन्‍हें बताया गया कि मीडियाविजिल ने उनकी गिरफ्तारी के वक्‍त उनसे संपर्क करने की कोशिश की थी लेकिन संपर्क नहीं हो सका। वेबसाइट की ओर से पत्रकारीय निष्‍पक्षता का खयाल रखते हुए शर्मा को प्रस्‍ताव दिया गया कि यदि वे चाहें तो उनका बयान और सारे साक्ष्‍य यहां प्रकाशित किए जा सकते हैं। शर्मा ने इसकी सहमति मीडियाविजिल को दे दी।
नीचे हम पत्रकार पुष्‍प शर्मा की ओर से भेजे गए मेल, सामग्री और साक्ष्‍यों (अटैचमेंट) को अविकल प्रकाशित कर रहे हैं ताकि किसी किस्‍म के भ्रम की गुंजाइश न रह जाए। हम एक बार फिर यह स्‍पष्‍ट करना चाहते हैं कि 16 मार्च की खबर के पीछे कोई प्रच्‍छन्‍न मंशा नहीं थी, सिवाय इसके कि खबर को एक व्‍यापक परिप्रेक्ष्‍य दिया जा सके। हम मानते हैं कि एक पत्रकार की अखंडता और विश्‍वसनीयता बहुत मायने रखती है। एक ऐसे माहौल में जब सच बोलना मुश्किल होता जा रहा हो, ऐसे में सच कहने वाले पत्रकार के अधिकारों की रक्षा करना हम सबका कर्तव्‍य है। मीडियाविजिल अपनी ओर से किसी भी किस्‍म की गैर-जिम्‍मेदार टिप्‍पणी के लिए सार्वजनिक तौर पर खेद प्रकट करता है और पुष्‍प शर्मा को उनके साहसिक उद्घाटन के लिए मुबारकबाद देते हुए उनकी पत्रकारीय मुहिम में साथ खड़े होने की वचनबद्धता जाहिर करता है।
नीचे हम तारीखवार पुष्‍प शर्मा द्वारा भेजी गई सामग्री को प्रकाशित कर रहे हैं। सामग्री अंग्रेज़ी और हिंदी में मिश्रित है।  (मॉडरेटर)


 

31 जुलाई

Well I don’t know who wrote all this and what is your motive behind writing something based on hear and say that’s too about me without ever connecting with me or knowing my version.

First issue about the case which is pending since 2009 ( Police complaint copy attached)

Note – I will send my reply to your other issues in next email first this this issue should be cleared ….

सबूत भेज रहा हूँ

सबसे पहला २४ सितम्बर २००९ का है जब मैंने पुलीस वाले का स्टिंग करके सारे सबूत दिल्ली  पुलिस कमिश्नर को दे दिए थे और फिर उसी सबूत की वजेह से जांच बिठा दी गयी थी ये उसी प्रार्थना पत्र की कोपी है जिसे मैंने आई पी अस अजय कश्यप को को दिया था और इस पर पुलिस कार्यालये की मोहर साफ देखि जा सकती है. मुझे दिखने क लिए कर्येवाही तो हुई मगर सिर्फ दिखाने को …जिसे डी सी पी द्वारका को दिया गया था वहां विजिलेंस के जिले सिंह को जांच दि गयी उन्होंने आगे इस्पेक्टर योगेन्द्र खककर और उप निरीशक मेथू को जांच दे दि गयी ये वही उप निरीशक मेथू हैं जिन्होंने मेरे बयान रिकॉर्ड भी करे थे …ये सिलसिला एक महीना चला होगा और फिर २१ नवम्बर २००९ को मेरे खिलाफ मुकदमा लिख दिया गया क्यूंकि मैंने पुलिस के खिलाफ लडाई धमकी के बाद भी जरी राखी थी इसी सच की कीमत तो चुकानी ही थी और फिर कब मेरे अन्दर अधर्म से लड़ने की हिम्मत आ गयी ये में नहीं जानता पर इस दर्द को जीने के बाद सच मेरी जिन्दगी का मकसद बन चुका था बाकि सब आपको पता है …..याद रहे ये ही हो सबूत था जिसे दिखाकर मुझे तेहेलका में नौकरी मिली फॉर वहां पर  की गयी स्टोरी पर अंतर राष्ट्रीय अवार्ड मिला

लिंक है

http://www.thehindu.com/news/national/ipiindia-award-for-tehelka-the-week/article2568418.ece

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Now you wrote Rent a riot sting was done by K Ashish ….? See in Tehelka page

http://www.tehelka.com/2010/05/rent-a-riot-cash-for-chaos/

You will come to know who was staffer there ….later same story bagged IPI award in 2011

http://www.thehindu.com/news/national/ipiindia-award-for-tehelka-the-week/article2568418.ece

my name was mentioned there.

Note – You should have done some research before writing this.

 

2nd issue –

 

People gave you lots of stories about me but they didn’t tell my background from Indian institute of management Bangalore?

I worked basically in technology and still pursuing same and I came in media when I was 37 years old and I hardly worked in media due to many unexplained reasons because I dont wish to enter into this.

Note – You never told readers about my IIM B background and being Tehelka staffer and my work getting IPI award. It clears your motive how badly you were interested in doing character assassination based on your source who claimed to be knowing me.

 

3.

If I was hired by BJP and this was told to you by Amit shah? Or me? But you wrote someone close to Amit shah told someone this in Hotel. You didnt bother to call me to confirm this or take my stand but because your intention was to attack on me , which you did.

I did this anti BJP story in 2013 and after 3 years if I m writing this it means I never search on web what media writes about me. But you should have at least called me to know my stand and get the facts crosschecked.

 

4. Now If I talk about Ayush ministry story then please see attached file and talk on this number with the person who did this story ( Shams – -096965 72257) you will come to know facts and this has been published in Inquilab today.

Note – Irrespective of the fact fake encounters were executed in Gujarat but then Gujarat government tried hard to portray it real encounter. Later in Supreme court , Adv K T S Tulsi , on behalf of Gujarat government admitted that Gujarat encounters were fake. Government , either state of Center won’t accept its fault ever.

Our senior Deepak sharma did mujaffarnagar riots story and now entire system, UP Police, UP Assembly is hell bent to portray it wrong sting operation.

You wrote this https://mediavigil.com/2016/06/24/%E0%A4%91%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A4%A8-%E0%A4%A6%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%BE-%E0%A4%86%E0%A4%9C%E0%A4%A4%E0%A4%95-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%86%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%BF/

do you think Deepak sharma and his team was doing this due to some agenda?

The real reason is y arrogance because of my dependency on other profession never made me get surrendered to editors of many organisations and they will never tell you how badly I treated them in front of all. You name and I will tell the facts how and why I put them on knees. Same gang creates rumor about me and it never affects me brother.

Hope things  are clear now ……

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3 अगस्‍त

https://en.wikipedia.org/wiki/User:Pushpsharmapushp
https://www.facebook.com/yashnur.rajveer
in.linkedin.com/in/pushpsharma
http://pushpsharma1382.blogspot.in/
Memorable Work –
http://www.tehelka.com/rent-a-riot-cash-for-chaos/

 

4 अगस्‍त

You were in a hurry to post whatever you found against me ….but when I have given you clear picture then why its taking so much time?

I don’t know how to react on this line

दिल्ली में अनिरुद्ध बहल के लिए काम करने वाले अधिकतर ईमानदार अंडरकवर पत्रकारों की निगाह में शर्मा की विश्वसनीयता बहुत पहले ख़त्म हो चुकी थी।

S now https://mediavigil.com/ provides authentication and certification of honesty?

Even if you smell something fishy in my 2013 work do you think such’ secret operation would have been  known to so many ?

As you mentioned it was  “source” as claimed in your article?

”अमित शाह के एक बेहद करीबी व्यक्ति मुझे यह बात बहुत पहले दिल्ली के एक होटल में अनौपचारिक मुलाकात के दौरान बताई थी”।

A basic psychology works when you create rumors like many journalists do , either they can’t compete with you on the basis of work or they have certain inferiority complex. Media has problem with all be it Rajat sharma, Deepak sharma , Arnab , Barkha or even Ravish etc. Is it the way media should function? This was only reason I never tried to adjust myself in the world of regular job anywhere because jealousy is core issue which keeps most of journalists in limit. They come to do stories and end of the day they create stories from dawn and throw dust after each 40ML.

Did you find me anywhere with media people? Media is just a part time fun job for me , I don’ earn bread and butter through this. It makes most of the people look at me with suspicion that why a man who is not doing regular salaried job , doing such exclusive expose? Such people make media a hate profession where I myself never want to receive any call from a media person because i know best whatever you say to them , they will paint it black because they are born negative minded. Anyway your call , do whatever you feel happy.

cheers