कल आंबेडकर जयंती है। राजकमल प्रकाशन से हाल में आयी अरुंधति रॉय की पुस्तक ‘एक था डॉक्टर एक था संत’ इस लिहाज से काफी प्रासंगिक है। वर्तमान भारत में असमानता को समझने और…
सन् 1967 में हुए चौथे आम चुनाव से भारतीय राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत हुई। इस आम चुनाव की काफी कुछ पृष्ठभूमि 1962 में हुए तीसरे आम चुनाव में ही तैयार…
रामू सिद्धार्थ ‘मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना’- इस सफेद झूठ का क्या ठिकाना। अगर मजहब बैर नहीं सिखलाता तो चोटी-दाढ़ी की लड़ाई में हजार बरस से आज तक हमारा मुल्क पामाल…
अनिल जैन सन 1962 में तीसरा आम चुनाव आते-आते प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सफेद चादर थोड़ी-थोड़ी मैली हो चुकी थी। उनके अपने ही दामाद सांसद फिरोज गांधी ने मूंदड़ा कांड का पर्दाफाश किया…
अनिल जैन लोकसभा का दूसरा आम चुनाव 1957 में हुआ। 1956 में भाषायी आधार पर हुए राज्यों के पुनर्गठन के बाद लोकसभा का यह आम चुनाव पहला चुनाव था। तमाम आशंकाओं के विपरीत…
अनिल जैन सोलहवीं लोकसभा का कार्यकाल पूरा हो चुका है और देश अब सत्रहवीं लोकसभा चुनने के लिए तैयार है। चुनाव आयोग ने आम चुनाव का बिगुल फूंक दिया है। आयोग ने लोकसभा…
रमणिका गुप्ता नहीं रहीं। आज से कोई दसेक साल पहले की बात है जब उन्होंने मुझसे अपनी समग्र कविताओं पर एक समीक्षा लिखने को कहा था। शायद कई लोगों से कहा था। योजना…
त्रिभुवन उर्दू की मशहूर शायर परवीन शाक़िर का एक बहुत सुंदर शेर है : अपने क़ातिल की ज़ेहानत से परेशान हूँ मैं, रोज़ इक मौत नए तर्ज़ की ईजाद करे। कुछ ऐसा ही…
व्यवस्था परिवर्तन ( सिस्टम ) और सत्ता परिवर्तन ,दो अलग अलग राजनीतिक -आर्थिक हस्तक्षेप हैं. इस्लामी क्रांति के बाद ईरान में भी कुछ ऐसा ही घाटा है.
वरिष्ठ पत्रकार शीतला सिंह की एक बेहद जरूरी किताब जो अयोध्या विवाद को बेपर्ता करती है।
उनकी लिखी एकमात्र किताब ‘यादों की रोशनी में’ पेरिन के अपने जज्बे, अपनी जीजीविषा की भी कहानी है
उन्होंने दशकों पहले बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. की थी और उसके बाद उन्होंने अनेक पुस्तकों और लेखों का हिंदी अनुवाद किया जिसका प्रकाशन साहित्य अकादमी ने किया
जिस हिंदू महासभा की नेता ने कल गांधी के पुतले को गोली मारी, उसी के नेता गोडसे ने बापू को गोली मारी थी
आज नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की जयंती पर भी गाँधीजी के साथ उनके आपसी संबंधों पर चर्चा करना इसीलिए जरूरी है कि जब तक लोगों के दिमाग में भर दिया गया कचरा निकाला नहीं…
ऐसा लगता है कि बीजेपी की सरकार रहते कुंभ में पत्रकारों का पिटना कोई रस्म बन गई है।
रोजा लक्जमबर्ग की आज से कोई 100 साल पहले 15 जनवरी 1919 को हत्या कर दी गई थी
'हम इंतजामिया और आइडियोलॉजी में फ़र्क नहीं कर रहे हैं. रूस में जो हारा है, वह मैनेजमेंट हारा है, आइडियोलॉजी नहीं हारी है।'
प्रतिपक्ष के संपादक जार्ज फर्नाडीस ने इसे अपनी इस संपादकीय टिप्पणी के साथ प्रकाशित किया था : ‘‘ लेखक आरएसएस के जानेमाने नीति निर्धारक एवं विचारक हैं।
50% औरतें तलाक चाहती हैं। युवाओं में अफीम की लत बढ्ती जा रही है।अफीम को सस्ती दरों पर चोरी-छिपे बेचा जाता है।
सुभाष गाताड़े की नई पुस्तक में पहचान की राजनीति और वाम के बीच आपसी संबंधों पर एक ज़रूरी अध्याय
नेहरू पर पीयूष बबेले की नई पुस्तक के अहम अंश
इस शिया प्रधान इस्लामी देश में हिन्दू युवक और शिया युवती वैवाहिक सूत्र में बंधे मिले।
'मोदी ने प्रशांत से कहा कि वे आपको कभी माफ नहीं करेंगे और उन्हें जब भी मौका मिलेगा वे बदला लेंगे।'
भारत की पहली महिला प्रशिक्षित शिक्षक के जन्मदिवस 3 जनवरी पर विशेष
यह शायद भारत में ही हो सकता है कि विज्ञान कांग्रेस में एक विशेष व्याख्यान एक ऐसे अर्द्धशिक्षित व्यक्ति का कराया जाए जो विद्वतजनों को बताए कि किस तरह हजारों साल पहले यहां…